दार्जिलिंग में अब गोरखालैंड चुनावी मुद्दा नहीं
पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में बीते क़रीब तीन दशकों से हर चुनाव में सबसे अहम मुद्दा रहा गोरखालैंड अबकी विधानसभा चुनाव में परिदृश्य से ग़ायब है। अब यहाँ विकास और बेरोज़गारी की बात हो रही है। हालाँकि कुछ छोटी पार्टियों ने इस बार भी अलग गोरखालैंड के गठन का मुद्दा उठाने का प्रयास किया था, लेकिन आम लोगों पर इस बार इसका कोई भावनात्मक असर देखने को नहीं मिल रहा है। इस बार यहाँ दो पूर्व दोस्तों की दुश्मनी का फ़ायदा उठाते हुए बीजेपी जीत का सपना देख रही है। ये दोनों हैं गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के नेता बिमल गुरुंग और कभी उनके सबसे क़रीबी रहे विनय तमांग।
यहाँ दो दुश्मनों का एक ही कॉमन दोस्त है। गोरखा मुक्ति मोर्चा के बिमल गुरुंग और विनय तमांग गुट की कॉमन दोस्त है ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस। तृणमूल कांग्रेस ने इलाक़े की तीन विधानसभा सीटें मोर्चे के लिए छोड़ी थीं। लेकिन मोर्चे के दोनों गुटों ने इन पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। बाद में टीएमसी ने बिमल गुरुंग गुट को समर्थन देने का एलान किया।
वर्ष 2017 में अलग गोरखालैंड की मांग पर हुए हिंसक आंदोलन और 104 दिनों के बंद के बाद गुरुंग के भूमिगत होने की वजह से मोर्चा दो-फाड़ हो गया था। एक गुट की कमान विनय तमांग ने संभाली और उन्होंने ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के प्रति समर्थन जताया था। गुरुंग गुट और जीएनएलएफ़ ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी उम्मीदवार राजू बिस्टा को समर्थन दिया था।
लेकिन इस बार इलाक़े में राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। क़रीब तीन साल बाद भूमिगत रहने के दौरान गुरुंग का बीजेपी से मोहभंग हो चुका है। भगवा पार्टी से मोहभंग होने के बाद बीते साल के आख़िर में गुरुंग अचानक सामने आए और तृणमूल कांग्रेस को समर्थन देने का एलान कर दिया।
वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने हिल एरिया की तीनों सीटों पर कब्जा जमाया था। दार्जिलिंग सीट पर जीजेएम के अमर सिंह राई ने टीएमसी के एस राई सुब्बा को हराया था। वहीं कर्सियांग सीट पर जीजेएम के रोहित शर्मा ने टीएमसी के शांता छेत्री को मात दी थी। इसके अलावा कलिम्पोंग सीट पर जीजेएम की सरिता राय ने निर्दलीय हरका बहादुर छेत्री पर जीत हासिल की थी।
मई 2019 में दार्जिलिंग सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की थी। बीजेपी के नीरज तमांग जिम्बा ने निर्दलीय उम्मीदवार विनय तमांग को 46,538 वोटों के बड़े अंतर से हराया था। जिम्बा को 88,161 वोट मिले जबकि तमांग को 41,623 वोट हासिल हुए थे।
बिमल गुरुंग के समर्थन से ही वर्ष 2009 से लगातार तीन बार बीजेपी दार्जिलिंग लोकसभा सीट जीत चुकी है। पार्टी ने वर्ष 2019 में दार्जिलिंग विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी विनय तमांग को क़रीब 46 हज़ार वोटों से हरा कर कब्जा कर लिया था। जबकि उससे पहले वर्ष 2011 और 2016 में अविभाजित मोर्चा के उम्मीदवारों ने यह सीट जीती थी।
बीजेपी ने अबकी तीनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। उसे इलाक़े में गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ़) का समर्थन हासिल है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कालिम्पोंग और दार्जिलिंग में रोड शो कर चुके हैं। बीजेपी इलाक़े के विकास और गोरखा समुदाय के प्रति राज्य सरकार की कथित उपेक्षा को ही अपना प्रमुख मुद्दा बनाया है।
टीएमसी ने इलाक़े की तीनों सीटें जीजेएम के गुरुंग खेमे के लिए छोड़ दी हैं। मोर्चा के दोनों गुटों में एक बात कॉमन है। वह यह है कि दोनों बीजेपी के ख़िलाफ़ हैं। लेकिन इलाक़े के लोगों का मानना है कि इससे भगवा खेमे को फ़ायदा हो सकता है।