संसदीय समिति ने गूगल, फ़ेसबुक से कहा- नियमों का पालन करें
सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित संसदीय समिति ने मंगलवार को गूगल और फ़ेसबुक से कहा है कि वे भारत में डेटा प्राइवेसी और डेटा सुरक्षा के लिए बनाए गए कड़े नियमों का पालन करें। पैनल ने इन दोनों सोशल मीडिया कंपनियों के अफ़सरों से कहा कि उन्हें भारत सरकार की ओर से बनाए गए क़ानूनों को अमल में लाना ही होगा।
इंडिया टुडे के मुताबिक़, बैठक में गूगल और फ़ेसबुक के अफ़सरों से साफ कहा गया है कि डेटा की सुरक्षा और प्राइवेसी (निजता) को लेकर जो ख़ामियां हैं, उन्हें किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। सूचना प्रौद्योगिकी की इस समिति के सदस्य कांग्रेस के सांसद शशि थरूर हैं।
समिति की ओर से गूगल और फ़ेसबुक के अफ़सरों को सोशल मीडिया के ग़लत इस्तेमाल के आरोपों और डेटा की सुरक्षा और इसकी प्राइवेसी को लेकर उठ रही चिंताओं के मद्देनजर बुलाया गया था।
कहा जा रहा है कि यह समिति आने वाले हफ़्तों में यू ट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स के अफ़सरों को भी बुला सकती है।
बैठक में फ़ेसबुक की ओर से उसके पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर शिवनाथ ठुकराल और जनरल काउंसेल नम्रता सिंह, गूगल की ओर से अमन जैन और गीतांजलि दुग्गल मौजूद रहे। इस बैठक का एजेंडा आम लोगों के हक़ों की हिफ़ाजत करना और सोशल या ऑनलाइन मीडिया के ग़लत इस्तेमाल को रोकना था।
मनीष माहेश्वरी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर
उधर, जम्मू और कश्मीर को अलग देश दिखाने पर ट्विटर इंडिया के प्रमुख मनीष माहेश्वरी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है। इससे पहले ट्विटर के ख़िलाफ़ ग़ाज़ियाबाद में बुजुर्ग की पिटाई के मामले में भी एफ़आईआर दर्ज की गई थी और मनीष माहेश्वरी से लोनी थाने में पेश होने के लिए कहा गया था।
इस मामले में पत्रकारों मोहम्मद ज़ुबैर और राणा अय्यूब, कांग्रेस नेताओं सलमान निज़ामी, शमा मोहम्मद और मसकूर उस्मानी, लेखिका और पत्रकार सबा नक़वी, मीडिया पोर्टल द वायर के ख़िलाफ़ भी एफ़आईआर दर्ज की गई थी।
इस मामले में मनीष माहेश्वरी को कर्नाटक हाई कोर्ट से अंतरिम राहत मिली थी लेकिन यूपी पुलिस इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। लेकिन माहेश्वरी ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाख़िल कर दी है जिसका मतलब है कि अदालत इस मामले में कोई आदेश देने से पहले उनका पक्ष भी सुने।
आनाकानी कर रहा ट्विटर
बता दें कि नए डिजिटल नियमों को मानने में आनाकानी करने को लेकर केंद्र सरकार ट्विटर पर सख़्त है और उसे मध्यस्थता के तौर पर मिली सुरक्षा भी ख़त्म हो गई है जबकि बाक़ी कंपनियों ने चीफ़ कम्प्लायेंस अफ़सर, नोडल कांटेक्ट अफ़सर और रेजिडेंट ग्रीवांस अफ़सर की नियुक्ति की है और बाक़ी नियमों को भी माना है।
केंद्रीय सूचना मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि ट्विटर को नए डिजिटल या सोशल मीडिया नियमों के पालन करने के कई मौक़े दिए गए लेकिन उसने जानबूझकर सरकार की बात नहीं मानी। उन्होंने कहा था कि ट्विटर भारत सरकार की ओर से बनाए गए नियमों का पालन करने में पूरी तरह फ़ेल रहा है।