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पीएम मोदी को गिफ्ट स्वर्ण मंदिर मॉडल हो रहा नीलाम, अकाली 'दुखी'

पीएम मोदी को गिफ्ट स्वर्ण मंदिर मॉडल हो रहा नीलाम, अकाली 'दुखी'

अकाली दल स्वर्ण मंदिर मॉडल की नीलामी पर बेहद नाराज है। अकाली दल अध्यक्ष ने पीएम मोदी से मॉडल की नीलामी पर रोक लगाने और इसे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति को वापस करने का आग्रह किया।

अकाली दल के वरिष्ठ नेता सुखबीर सिंह बादल ने बुधवार को कहा कि वह स्वर्ण मंदिर के मॉडल की सरकार की प्रस्तावित नीलामी से 'बहुत दुखी' हैं। इस मॉडल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उपहार के रूप में दिया गया था। इस अभियान पर आपत्ति जताते हुए बादल ने कहा कि 'अकाल पुरख और गुरु साहिबों के उपहार और आशीर्वाद के पवित्र प्रतीक' को नीलाम करना 'घोर अपमानजनक' है।

पीएम मोदी को यह गिफ्ट शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने भेंट किया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री बादल ने एक्स (ट्विटर) पर लिखा कि इस कदम से 'सिख समुदाय की धार्मिक भावनाएं भी आहत होंगी।' 

पीएम मोदी को मिले उपहारों की ई-नीलामी अभियान 2 अक्टूबर को शुरू हुआ और 31 अक्टूबर तक चलेगा। इसकी पांचवीं किस्त के हिस्से के रूप में, केंद्र ने 900 से अधिक स्मृति चिन्हों में स्वर्ण मंदिर के मॉडल को सूचीबद्ध किया। नीलामी से प्राप्त धनराशि सरकार की 'नमामि गंगे' पहल में जाएगी, जिसका उद्देश्य गंगा नदी को पुनर्जीवित करना है।

जिन अन्य उपहारों को सूची में शामिल किया गया है, उसमें भगवान लक्ष्मी नारायण विट्ठल और देवी रुक्मिणी की एक मूर्ति, गुजरात के सूर्य मंदिर का मॉडल, चित्तौड़गढ़ का विजय स्तंभ और प्रसिद्ध कलाकार परेश मैती द्वारा चित्रित बनारस घाट की एक पेंटिंग शामिल हैं।

इससे पहले, पीएम मोदी ने ही इन वस्तुओं की प्रदर्शनी की घोषणा की थी और कहा था कि वे 'भारत की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और कलात्मक विरासत का प्रमाण' प्रदर्शित करते हैं। प्रधानमंत्री देश-विदेश में जब विभिन्न स्थानों पर जाते हैं तो तमाम लोग और संगठन उनको उपहार देते हैं। इनमें कीमती चीजें भी होती हैं।

सुखबीर बादल का कहना है कि गोल्डन टेंपल का मॉडल अकाल पुरख और गुरु साहिबों के उपहार और आशीर्वाद के पवित्र प्रतीक के रूप में पीएम मोदी को प्रस्तुत किया गया था। उसे कैसे नीलाम किया जा सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री से इसकी नीलामी रोकने और मॉडल को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति को सौंपने का आग्रह किया। समझा जाता है कि बाकी राजनीतिक दल इसे बड़ा मुद्दा न बनाएं, अकाली दल ने यह मांग उठाकर मामले को शांत करने की कोशिश की है। अकालियों के भाजपा से पुराने संबंध हैं। एनडीए गठबंधन से हटने के बावजूद अकाली दल का सॉफ्ट कॉर्नर भाजपा के लिए अभी भी रहता है।

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