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गोवा: ईश्वर की ‘सहमति’ के बाद बीजेपी में शामिल हुए दिगंबर कामत?

गोवा: ईश्वर की ‘सहमति’ के बाद बीजेपी में शामिल हुए दिगंबर कामत?

गोवा में हुआ यह सियासी घटनाक्रम इस बात को दिखाता है कि राजनीति में सत्ता ही सब कुछ है। सभी दलों में बड़ी संख्या में ऐसे नेता हैं जिनकी पार्टी के प्रति कोई वफादारी नहीं होती और वे सिर्फ सत्ता की चाह रखते हैं। 

गोवा में कांग्रेस के 8 विधायकों के पाला बदलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत ने जो बयान दिया है उसकी चर्चा चारों ओर है। पूर्व मुख्यमंत्री कामत से जब यह सवाल पूछा गया कि उन्होंने कांग्रेस क्यों छोड़ी जबकि विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने इस बात की शपथ ली थी कि वह पार्टी से दगाबाजी नहीं करेंगे तो कामत ने कहा कि इसके लिए उन्हें ईश्वर से सहमति मिल चुकी थी। 

गोवा की राजनीति के दिग्गज दिगंबर कामत ने कहा कि वह ईश्वर के पास गए और कहा कि उनके मन में बीजेपी में शामिल होने का विचार है और उन्हें क्या करना चाहिए। कामत के मुताबिक, ईश्वर ने कहा कि आप चिंता मत करो और आगे बढ़ो। 

पाला बदलने वाले विधायकों में नेता प्रतिपक्ष रहे और पूर्व कैबिनेट मंत्री माइकल लोबो भी शामिल हैं। कामत और लोबो सहित सभी विधायकों ने विधानसभा चुनाव से पहले इस बात की शपथ ली थी कि वे कांग्रेस के प्रति वफादार रहेंगे और पार्टी को छोड़कर नहीं जाएंगे। 

माइकल लोबो को जब पत्रकारों ने विधानसभा चुनाव से पहले उनके द्वारा ली गई शपथ के बारे में याद दिलाया तो उन्होंने कहा कि जब हमने शपथ ली थी तो हालात दूसरे थे। जबकि उनकी पत्नी दलीला लोबो ने कहा कि हमने इस बात की शपथ ली थी कि हम कांग्रेस के साथ रहेंगे और बीजेपी को सत्ता से बाहर करेंगे लेकिन बीजेपी ही गोवा की सत्ता में बनी हुई है। 

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दिगंबर कामत की ही तरह माइकल लोबो भी कई बार पाला बदल चुके हैं। मार्च 2022 में गोवा के चुनाव नतीजे आने के बाद से ही दिगंबर कामत और माइकल लोबो के कांग्रेस छोड़ने की चर्चाएं जोरों पर थी और अंततः यह सच साबित हुई। लोबो के एक बार फिर से पाला बदलने की संभावना को देखते हुए कांग्रेस ने इस साल जुलाई में उन्हें नेता विपक्ष के पद से हटा दिया था। 

कांग्रेस ने तब आरोप लगाया था कि दिगंबर कामत और माइकल लोबो बीजेपी के साथ मिलकर उसके विधायकों में तोड़फोड़ की कोशिश कर रहे हैं। 

2019 में भी हुई थी टूट

2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को गोवा में 11 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन अब उसके पास सिर्फ 3 विधायक रह गए हैं। साल 2019 में भी कांग्रेस को ऐसी ही टूट का सामना करना पड़ा था जब उसके 15 में से 10 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे। 

माइकल लोबो, दिगंबर कामत सहित कांग्रेस के सभी उम्मीदवारों ने इस साल विधानसभा चुनाव से पहले जनवरी में देवी महालक्ष्मी के मंदिर में इस बात की शपथ ली थी कि वे कांग्रेस के लिए पूरी तरह वफादार रहेंगे। शपथ में यह भी कहा गया था कि चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार किसी भी हाल में पार्टी के साथ बने रहेंगे। 

इसी तरह की एक शपथ कांग्रेस के उम्मीदवारों ने बम्बोलिम क्रॉस और हमजा शाह दरगाह पर चादर चढ़ाते वक्त भी ली थी। इसके जरिए कांग्रेस ने मतदाताओं को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की थी कि इस बार उसके विधायक पाला बदल नहीं करेंगे।

‘ईश्वर से डरने वाले लोग’

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उस वक्त दिगंबर कामत ने कहा था कि वे सभी इस शपथ को लेकर बेहद गंभीर हैं और किसी भी पार्टी को कांग्रेस विधायकों को तोड़ने नहीं देंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि हम ईश्वर से डरने वाले लोग हैं, हमारा ईश्वर में पूरा भरोसा है और इसलिए यह शपथ ली गई है। 

हलफनामे पर दस्तखत 

गोवा कांग्रेस के उम्मीदवारों ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की उपस्थिति में 4 फरवरी को एक हलफनामे पर दस्तखत किए थे। हलफनामे में घोषणा की गई थी कि उम्मीदवार पार्टी के प्रति वफादार रहेंगे। तब बीजेपी ने कांग्रेस की यह कहकर आलोचना की थी कि कांग्रेस जनता से उसके उम्मीदवारों पर भरोसा करने के लिए कैसे उम्मीद कर सकती है जब उसे अपने ही उम्मीदवारों पर भरोसा नहीं है। गोवा में कांग्रेस की सहयोगी गोवा फॉरवर्ड पार्टी के उम्मीदवारों ने भी ऐसा ही किया था। 

तब राहुल गांधी ने कहा था कि शपथ लेने का यह मतलब नहीं है कि हमें अपने उम्मीदवारों पर भरोसा नहीं है बल्कि यह इस बात को दिखाता है कि हमारे पास ऐसे उम्मीदवार हैं जो ईमानदार हैं और सरकार बनाने के लिए काम कर रहे हैं। 

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विधायकों के तर्क

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने वाले विधायक केदार नाइक ने कहा कि हम लोगों ने साथ रहने की शपथ ली थी लेकिन अगर हम सरकार बना पाते तब ऐसा होता। लेकिन आज हालात अलग हैं और अगर हम कांग्रेस में बने रहते तो हम बहुत सारे काम नहीं करा पाते और इसलिए ही दो-तिहाई विधायकों ने कांग्रेस छोड़ने का फैसला किया। 

इसी तरह का तर्क विधायक राजेश फलदेसाई ने दिया और कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों ने कहा कि उन्हें लोगों के लिए कुछ करना चाहिए। उन्होंने लोगों की आवाज सुनी और अब उनके पास ज्यादा ताकत है। 

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने वाले मोरमुगांव सीट से विधायक संकल्प अमोनकर ने कहा कि इस फैसले को लेकर उनके निर्वाचन क्षेत्र में उनका स्वागत किया गया। अमोनकर के मुताबिक, चुनाव के 6 महीने हो चुके थे और उन्हें ऐसा लगा कि विपक्ष में रहते हुए वह लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी में दो दशक से ज्यादा वक्त तक काम करने के बाद भी पार्टी ने माइकल लोबो को विधायक दल का नेता बना दिया। 

पाला बदलने वाले एक नुवेम सीट से विधायक अलेक्सो सेकेइरा ने कहा कि उन्होंने बहुत सोच समझकर ही बीजेपी में आने का फैसला किया। विधायक ने कहा कि इस फैसले को लेकर कुछ लोगों ने उन्हें बधाई दी तो कुछ लोगों ने उन्हें कोसा भी। 

निश्चित रूप से गोवा में हुआ यह सियासी घटनाक्रम इस बात को दिखाता है कि राजनीति में सत्ता ही सब कुछ है। सभी दलों में बड़ी संख्या में ऐसे नेता हैं जिनकी पार्टी के प्रति कोई वफादारी नहीं होती और वे सिर्फ सत्ता की चाह रखते हैं।

ऑपरेशन कीचड़ 

कांग्रेस ने विधायकों के पाला बदल को ऑपरेशन कीचड़ का नाम दिया है। कुछ दिन पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी उनके विधायकों को तोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा था कि दिल्ली में बीजेपी का ऑपरेशन लोटस ऑपरेशन कीचड़ बन गया है।

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