बीजेपी के मंच पर ‘जमानती’ मंजू वर्मा, मोदी, 'सुशासन बाबू' चुप
जिस मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम मामले में हुए लड़कियों के यौन उत्पीड़न ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया हो, उसी मामले में अभियुक्त और जमानत पर जेल से बाहर बिहार की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा बीजेपी के मंच की शोभा बढ़ा रही हैं। सोशल मीडिया पर एक फ़ोटो वायरल हो रही है जिसमें मंजू वर्मा एक चुनावी सभा के मंच पर बैठी हैं और हंसती दिख रही हैं और इस चुनावी सभा को केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह संबोधित कर रहे हैं। शेल्टर होम मामले का मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर मंजू वर्मा का क़रीबी है।
बता दें कि हाल ही में मुज़फ़्फ़रपुर की स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं अन्य के विरुद्ध जाँच का आदेश दिया था। मंजू वर्मा के पति चन्द्रशेखर वर्मा मामले में पहले ही कोर्ट में आत्मसमर्पण कर चुके हैं। जब इस मामले ने तूल पकड़ा था तो मंजू वर्मा को बिहार सरकार से इस्तीफ़ा देना पड़ा था।
फ़रवरी में जब यह ख़बर आई थी कि शेल्टर होम मामले में 5 लड़कियाँ ग़ायब हो गई थीं तब विपक्ष ने सरकार से यह सवाल पूछा था कि आख़िर इस मामले में किसे बचाने की कोशिश की जा रही है।
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा था कि मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम की गवाह 7 बच्चियों को ग़ायब कर सत्ता के शीर्ष पर बैठे किस शख़्स को बचाने की साज़िश हो रही है सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग के बावजूद ये दुस्साहस कौन कर रहा है तेजस्वी ने तंज कसा था कि आख़िर 'सुशासन बाबू' नीतीश कुमार को किस बात का डर है
ग़ौरतलब है कि टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेस, मुम्बई ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में बालिका गृह की संवासनियों को प्रताड़ित करने एवं उनके यौन शोषण की शिकायत का जिक़्र किया था। इसके बाद राज्य सरकार ने समाज कल्याण विभाग को मामले में कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। मुज़फ़्फ़रपुर ज़िला कल्याण पदाधिकारी द्वारा इस मामले में महिला थाने में 31 मई 2018 को प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। 2 जून को इस मामले के मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर समेत 8 लोगों को गिरफ़्तार करके जेल भेज दिया गया था।
मेडिकल रिपोर्ट में 34 लड़कियों से बलात्कार होने की पुष्टि हुई थी। कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 164 के तहत पीड़िताओं के बयान दर्ज कराए गए थे। इसमें पीड़िताओं ने अपने ऊपर हुए अत्याचार को बयां किया था और यह रोंगटे खड़े कर देने वाला था।
सीबीआई ने पिछले साल 17 अगस्त को मंजू वर्मा के आवास पर छापेमारी की थी। इस दौरान उनके घर से अवैध हथियार के साथ 50 कारतूस भी बरामद हुए थे। इसके बाद से ही मंजू वर्मा फरार चल रही थीं।
मंजू वर्मा की गिरफ़्तारी न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार पुलिस को जमकर लताड़ लगाई थी। कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य के डीजीपी को पेश होने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि यह कैसे हो सकता है कि कैबिनेट मंत्री फरार हों और किसी को पता ही न हो कि वह कहाँ हैं।
सुप्रीम कोर्ट की तीख़ी टिप्पणियों और चौतरफा बन रहे दबाव के बाद पिछले वर्ष नवंबर में पूर्व मंत्री मंजू वर्मा ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था।
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले की जाँच शुरू की थी। लेकिन राज्य सरकार ने आनन-फानन में मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले की तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरप्रीत कौर का मुज़फ़्फ़रपुर से समस्तीपुर तबादला कर दिया था। तबादले को लेकर राज्य सरकार की काफ़ी किरकिरी हुई थी क्योंकि यह कहा जा रहा था कि हरप्रीत कौर ने बिना किसी दबाव में आए इस मामले की जाँच की थी और अभियुक्त के ख़िलाफ़ चार्जशीट भी दायर की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में सरकार बनने के बाद बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा दिया था। प्रधानमंत्री के नारे के बाद बीजेपी ने इसे बड़ा अभियान भी बनाया था। लेकिन लोकसभा चुनाव के मौक़े पर मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम जैसे वीभत्स मामले में जमानत पर चल रहीं पूर्व मंत्री आख़िर किस हैसियत से मंच पर बैठी हैं। इसका जवाब देने की हिम्मत शायद बीजेपी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ‘सुशासन बाबू’ में भी नहीं है।