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अपनी पार्टी बनाने से ग़ुलाम नबी आज़ाद का इनकार

अपनी पार्टी बनाने से ग़ुलाम नबी आज़ाद का इनकार

कई नेताओं के कांग्रेस छोड़ने के बाद क्या अब बारी बड़े नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद की है?

कांग्रेस के बड़े नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद इन दिनों अपने गृह राज्य जम्मू-कश्मीर में रैलियां कर रहे हैं। लेकिन इन रैलियों से कांग्रेस हाईकमान परेशान है क्योंकि आज़ाद इन रैलियों के जरिये अपने समर्थकों को एकजुट कर रहे हैं और कहा जा रहा है कि वह जल्द ही अपनी पार्टी बना सकते हैं। हालांकि आज़ाद ने कहा है कि वह कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे। 

बीते कुछ दिनों में आज़ाद के कई समर्थकों ने पार्टी से इस्तीफ़ा दिया है। इनमें राज्य के कई पूर्व मंत्री और विधायक शामिल हैं। इनके निशाने पर जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष ग़ुलाम अहमद मीर रहे हैं। 

ग़ुलाम नबी आज़ाद कांग्रेस में बाग़ी नेताओं के गुट G-23 के नेता हैं और उनकी इन रैलियों और उनके गुट के नेताओं के इतनी बड़ी संख्या में कांग्रेस छोड़ने का एक मतलब कांग्रेस आलाकमान पर यह दबाव बनाना भी हो सकता है, कि प्रदेश कांग्रेस की कमान फिर से ग़ुलाम नबी आज़ाद के हाथों में दी जाए। 

चुनाव कराने की मांग 

आज़ाद ने हाल ही में ऐसी एक रैली में कहा था कि उन्हें नहीं लगता कि कांग्रेस अगले चुनाव में 300 सीट जीत सकती है। आज़ाद अपनी इन रैलियों में राज्य में विधानसभा चुनाव जल्द कराने और जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग जोर-शोर से उठाते हैं। 

माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में जल्द ही विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। इन दिनों राज्य में विधानसभा सीटों के परिसीमन की प्रक्रिया चल रही है। केंद्र सरकार कह चुकी है कि परिसीमन के बाद राज्य में चुनाव कराए जाएंगे। 

आज़ाद की इन रैलियों में अच्छी-खासी भीड़ भी जुट रही है। वह राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक़ अगर आज़ाद अपनी पार्टी बनाते हैं तो कांग्रेस के कई नेता उनके साथ जा सकते हैं। 

मीर रहे निशाने पर 

कांग्रेस से इस्तीफ़ा देने वाले आज़ाद गुट के नेताओं ने कहा था कि पार्टी नेतृत्व ने उनकी बातों पर ध्यान ही नहीं दिया। उनका कहना था कि प्रदेश अध्यक्ष मीर के नेतृत्व में कांग्रेस बर्बादी की हालत में पहुंच गई है और कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में लोकसभा से लेकर डीडीसी, बीडीसी, पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव तक में हार चुकी है। यहां तक कि लोकसभा चुनाव में मीर और डीडीसी चुनाव में उनके बेटे भी हार चुके हैं। 

अगर आज़ाद पार्टी छोड़ते हैं तो कांग्रेस के लिए यह एक बड़ा झटका होगा। क्योंकि आज़ाद कई दशक से जम्मू-कश्मीर और इसके बाहर भी कांग्रेस के जाने-पहचाने मुसलिम चेहरे हैं। वह कई राज्यों में पार्टी के प्रभारी भी रहे हैं।

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