केजरीवाल पर जर्मनी का अब यू-टर्न, क्या भारत का दबाव काम कर गया
केजरीवाल की गिरफ्तारी पर भारत ने जर्मनी और अमेरिका की टिप्पणी पर कड़े तेवर दिखाए तो जर्मनी ने गुरुवार को अपने सुर बदल लिए। जर्मन विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने भारतीय संविधान में विश्वास जताया। हालांकि कुछ दिन पहले जर्मनी ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि श्री केजरीवाल को निष्पक्ष सुनवाई मिलेगी। लेकिन भारत के तेवर का अमेरिका पर जरा भी असर नहीं पड़ा। उसने अपने पिछले बयान पर कायम रहते हुए कांग्रेस के फ्रीज खातों का भी जिक्र कर दिया है।
जर्मनी के एक अधिकारी ने अपने बयान में कहा- "भारतीय संविधान... और मैं इसे अपने नजरिए से कह सकता हूं क्योंकि मैं खुद भारत में तैनात था - मौलिक मानवीय मूल्यों और स्वतंत्रता की गारंटी देता है। और हम एशिया में एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में भारत के साथ इन लोकतांत्रिक मूल्यों को साझा करते हैं।"
जर्मनी सरकार के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि भारत और जर्मनी विश्वास के माहौल में मिलकर काम करते हैं।
उन्होंने कहा, "शनिवार को विदेश मंत्रालय के साथ इस विषय पर चर्चा हुई। मैं एक बार फिर इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि हम - भारत और जर्मनी - निकट सहयोग और विश्वास के माहौल में एक साथ रहने में बहुत रुचि रखते हैं।"
केजरीवाल को पिछले सप्ताह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था, जो कथित शराब नीति घोटाले के सिलसिले में मनीष सिसौदिया और संजय सिंह के बाद हिरासत में लिए जाने वाले तीसरे बड़े आम आदमी पार्टी (आप) नेता हैं। जर्मन विदेश कार्यालय के प्रवक्ता सेबस्टियन फिशर ने शनिवार को कहा था कि उन्होंने केजरीवाल की गिरफ्तारी पर ध्यान दिया है और उम्मीद करते हैं कि इस मामले में बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांतों को लागू किया जाएगा।
जर्मनी के प्रवक्ता ने यह भी कहा था- "आरोपों का सामना करने वाले किसी भी व्यक्ति की तरह, केजरीवाल निष्पक्ष सुनवाई के हकदार हैं, इसमें बिना किसी प्रतिबंध के सभी उपलब्ध कानूनी रास्ते का उपयोग करना शामिल है। निर्दोषता का अनुमान कानून के शासन का एक केंद्रीय तत्व है और उन पर लागू होना चाहिए।"
इस पर भारत ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इस टिप्पणी को "भारत के आंतरिक मामलों में ज़बरदस्त हस्तक्षेप" करार दिया था। भारत ने आधिकारिक विरोध दर्ज कराने के लिए जर्मन दूतावास के मिशन के उप प्रमुख जॉर्ज एनज़वीलर को भी बुलाया। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने बैठक के बाद एक बयान में कहा, "हम ऐसी टिप्पणियों को हमारी न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कम करने के रूप में देखते हैं।"
भारत ने कहा था- "भारत कानून के शासन वाला एक जीवंत और मजबूत लोकतंत्र है। जैसा कि देश में और लोकतांत्रिक दुनिया में अन्य जगहों पर सभी कानूनी मामलों में होता है, कानून तत्काल मामले में अपना काम करेगा। इस संबंध में की गई पक्षपातपूर्ण धारणाएं सबसे अनुचित हैं।" अमेरिका से केजरीवाल पर बयान आने के बाद भारतीय विदेश विभाग ने बुधवार को एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक को तलब किया। लेकिन भारत की आपत्ति के बाद अमेरिका ने अपनी नवीनतम टिप्पणी में "निष्पक्ष, पारदर्शी, समय पर कानूनी प्रक्रियाओं" के लिए अपना आह्वान दोहराया है। अमेरिका ने कांग्रेस के फ्रीज खातों का भी मुद्दा उठा दिया है। यानी जर्मनी जहां पीछे हट गया है, वहां अमेरिका न सिर्फ अपने स्टैंड पर कायम है, बल्कि उसने कांग्रेस वाला मुद्दा भी जोड़ दिया है।