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जनरल बिपिन रावत के साले को क्यों लगानी पड़ी न्याय की गुहार?

जनरल बिपिन रावत के साले को क्यों लगानी पड़ी न्याय की गुहार?

जनरल बिपिन रावत के साले यशवर्धन ने क्यों लिखा कि भारत सरकार के आदेशानुसार शहडोल मप्र स्थित हमारे निजी निवास परिसर से बिना भूमि अधिग्रहण किये अवैध रूप से समाधियों को नष्ट कर व पेड़ों को काटकर नेशनल हाईवे का निर्माण किया जा रहा है?

कुन्नूर हेलीकॉप्टर हादसे में मारे गये सीडीएस जनरल बिपिन रावत के साले और मधुलिका रावत के भाई यशवर्धन सिंह ने ‘न्याय’ की गुहार लगाई है। वे मध्य प्रदेश के शहडोल में अपनी ज़मीन को लेकर न्याय की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि हस्तक्षेप करने पर स्थानीय पुलिस को उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा तक दर्ज करने का आदेश दे दिया गया है।

यशवर्धन ने मंगलवार को अपनी फ़ेसबुक वॉल पर एक पोस्ट लिखी है। इस पोस्ट में यशवर्धन ने कहा है, ‘जिस दिन जीजाजी जनरल बिपिन रावत और जिज्जी मधुलिका रावत का अग्नि संस्कार किया जा रहा था, उसी वक़्त मौक़े का फायदा उठाते हुए भारत सरकार के आदेशानुसार शहडोल मप्र स्थित हमारे निजी निवास परिसर से बिना भूमि अधिग्रहण किये अवैध रूप से समाधियों को नष्ट कर व पेड़ों को काटकर नेशनल हाईवे का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही हमारे किसी हस्तक्षेप पर स्थानीय पुलिस को भी हमारे ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज करने का आदेश जारी किया गया है। न्याय की दरकार....’

यशवर्धन की फ़ेसबुक वाल को देखने के बाद लोग तमाम सवाल उठा रहे हैं। किसी ने पूरे मामले को शर्मनाक करार दिया है तो किसी ने लिखा है, ‘ये बहुत ग़लत हुआ है।’ प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए लोगों ने यह टिप्पणी भी की है कि- ‘प्रशासन की तानाशाही चल रही है कोई रोकने-टोकने वाला भी नहीं है।’ कुछ लोगों ने पूरी कार्रवाई को सही भी बताया है।

जनरल रावत और उनकी पत्नी मधुलिका के हेलीकॉप्टर हादसे में मारे जाने के बाद पूरे देश में संवेदनाएँ जताई गई थीं। जनरल रावत की अंत्येष्टि में भारी हुजूम उमड़ा था। मधुलिका रावत के परिजनों को भी लोगों ने नमन् किया था।

बता दें कि जनरल रावत की पत्नी मध्य प्रदेश की मूल निवासी हैं। उनके पिता कुंवर मृगेन्द्र सिंह शहडोल जिले के सोहागपुर गढ़ी के राजा हुआ करते थे। आज़ादी और रियासतों की समाप्ति के बाद वे कांग्रेस के टिकट पर शहडोल जिले से दो बार विधायक रहे। मधुलिका का विवाह जनरल रावत से 1986 में हुआ था। 

मधुलिका के परिवार में मां और दो भाई हैं। जबकि स्वयं मधुलिका बीच की संतान थीं। सोहागपुर में इस परिवार की काफी संपत्तियाँ हैं। कुंवर मृगेन्द्र सिंह के बड़े पुत्र हर्षवर्धन सिंह शहडोल में ही रहते हैं। तमाम परिसंपत्तियों की देखभाल वही कर रहे हैं। 

कुछ यूँ है संपत्ति विवाद से जुड़ा मसला

2015 में नेशनल हाईवे क्रमांक 43 कटनी से झारखंड के गुमला तक जो रोड बननी थी, वह रोड यशवर्धन सिंह के सुहागपुर स्थित निवास के कैंपस से होकर निकल रही थी। इसका मुआवजा निर्धारण 2015 में हो चुका था, लेकिन सड़क का निर्माण 2020 में शुरू हुआ। इसमें यशवर्धन सिंह के पिता मृगेन्द्र सिंह और उनकी पत्नी सरला सिंह के नाम से मुआवजा हुआ। मुआवजे का अंश भी परिवार को मिल गया। पेड़ों का अंश नहीं दिया गया था। बाद में पेड़ काट दिये गये थे। 

बताते हैं कि ज़िला प्रशासन ने पूरे मामले को लेकर यशवर्धन एवं उनकी पत्नी को बुलवाया भी था। यशवर्धन ने कहा था, ‘वे किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं कर रहे हैं। उनकी आपत्ति केवल इतनी थी कि जितनी जमीन का अधिग्रहण किया गया, उस पूरी जमीन का मुआवजा नहीं मिला है।’

आपत्ति के बाद शहडोल कलेक्टर ने ज़मीन की नपती करवाई थी तब यशवर्धन सिंह का दावा सही पाया गया था। शेष मुआवजा देने का भरोसा प्रशासन ने उन्हें दिलाया था।

बातचीत और सेटलमेंट का सिलसिला के बीच जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी का हेलीकॅप्टर हादसे में निधन हो गया था। यशवर्धन दिल्ली चले गए।

बताया गया कि यशवर्धन जब दिल्ली में स्वर्गीय बिपिन रावत और अपनी बहन की अंतिम यात्रा में थे तब उनके पास रोड बनाने वाली कंपनी के मैनेजर का फोन आया कि उनकी शेष ज़मीन पर भी सड़क निर्माण शुरू हो गया है। प्रशासन ने साफ़ तौर पर कहा है कि यदि यशवर्धन या उनके परिवार का कोई भी व्यक्ति इसमें बाधा डाले तो पुलिस उस पर सख्त कार्रवाई करेगी।

सड़क निर्माण कार्य आरंभ होने और पुलिस को एक्शन की छूट देने संबंधी जानकारी यशवर्धन सिंह ने आज फ़ेसबुक वाल पर ‘शेयर’ कर दिया।

शहडोल कलेक्टर ने दिया यह बयान

यशवर्धन सिंह की फ़ेसबुक वाल पर पोस्ट डाले जाने के बाद उपजे हालातों के बीच शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य ने सफ़ाई दी। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘नेशनल हाइवे के लिए सोहागपुर स्थित यशवर्धन सिंह की ज़मीन का अर्जन किया गया था। साल 2016 में हुई कार्रवाई के बाद सवा दो करोड़ रुपयों का मुआवजा दे दिया गया था।’

कलेक्टर ने आगे कहा, ‘यशवर्धन की समाधियों और कुछ पेड़ों को लेकर आपत्तियाँ थीं। जाँच में पाया गया था समाधियाँ पहले ही विस्थापित हो चुकी थीं। रोड का निर्माण काफ़ी आगे तक कर लिया गया था। पेड़ों से जुड़े तर्कों को सही मानते हुए मुआवजे की बात हुई थी।’

उन्होंने कहा, ‘यशवर्धन सिंह ने पुनः आवेदन दिया है। वे दिल्ली से जब भी शहडोल आयेंगे, इस मामले का निराकरण कर दिया जाएगा।’

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