जीडीपी बाइबल, रामायण नहीं, समय के साथ हो जाएगा बेकार, बीजेपी सांसद ने कहा
ऐसे समय जब सरकारी एजेन्सी सेंट्रल स्टैटिस्टिकल ऑफ़िस (सीएसओ) कह रहा हो कि जीडीपी वृद्धि दर 6 साल के न्यूनतम स्तर 4.5 प्रतिशत पर हो, कोई सांसद कहे कि जीडीपी का कोई मतलब नहीं है और यह जल्द ही बेकार हो जाएगा, तो आप क्या समझेंगे और यदि वह सांसद सत्तारूढ़ दल का हो तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी
चौंकिए मत! भागलपुर से बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने जीडीपी के बारे में जो कुछ कहा, एक साधारण आदमी सुन कर अपना सिर पीट लेगा। उन्होंने सोमवार को संसद में कहा :
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जीडीपी की ओर आप बाइबल, रामायण या महाभारत की तरह मत देखिए। समय के साथ इसका महत्व ख़त्म हो जाएगा।’
निशिकांत दुबे, सांसद, बीजेपी
उन्होंने संसद में एक बहस में भाग लेते हुए कहा, 'जीडीपी 1934 में आया, इसके पहले जीडीपी नहीं था...केवल जीडीपी को बाइबल, रामायण या महाभारत मान लेना सत्य नहीं है और फ्यूचर मे जीडीपी का कोई बहुत ज़्यादा उपयोग भी नहीं होगा।'
Nishikant Dubey, BJP MP in Lok Sabha: GDP 1934 mein aaya issey pehle koi GDP nahi tha...... Keval GDP ko Bible, Ramayan ya Mahabharat maan lena satya nahi hai aur future mein GDP ka koi bahot zyada upyog bhi nahi hoga. pic.twitter.com/MVF4j07KF9
— ANI (@ANI) December 2, 2019
बता दें कि शुक्रवार को जारी आँकड़ों के मुताबिक़, दूसरी छमाही में सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि की दर 4.5 प्रतिशत दर्ज की गई। यह 6 साल की न्यूनतम विकास दर है।
इसके पहले चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5 प्रतिशत थी। दूसरी तिमाही में कुल मिला कर सकल घरेलू उत्पाद 49.64 लाख करोड़ रुपए दर्ज किया गया। सबसे तेज़ गति से विकास कृषि, वाणिकी और मत्स्य पालन में रहा, जहाँ 7.4 प्रतिशत वृद्धि देखी गई। लेकिन सबसे बुरा हाल खनन क्षेत्र का रहा, जिसमें विकास दर -4.4 प्रतिशत देखी गई। इसी तरह उत्पादन क्षेत्र में -1.1 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। बिजली, गैस, जल आपूर्ति में 2.3 प्रतिशत तो निर्माण में 4.2 प्रतिशत विकास देखा गया।
इसके पहले 2012-13 की जनवरी-मार्च की तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि की दर 4.3 प्रतिशत देखी गई थी। इसे इसके पहले का न्यूनतम जीडीपी वृद्धि दर माना गया था।
यह जीडीपी वृद्धि दर पहले के अनुमान से भी कम है। केंद्रीय बैंक ने जो अनुमान लगाया था, उससे भी कम जीडीपी यह बताता है कि अर्थव्यवस्था वाकई बहुत ही बुरे हाल में है।
दुबे जी कुछ कहें, अर्थव्यवस्था की बदहाली पर हो रही आलोचना से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण परेशान ज़रूर हैं। उन्होंने सोमवार को संसद में बहस के दौरान कहा कि उन्हें अब तक का सबसे ख़राब वित्त मंत्री कहा जाता है, उनकी खूब आलोचना होती है, वह आलोचना सुनने को तैयार हैं।
'निर्बला' वित्त मंत्री!
उन्होंने सोमवार को संसद में बहस के दौरान कहा कि उन्हें अब तक का सबसे ख़राब वित्त मंत्री कहा जाता है, उनकी खूब आलोचना होती है, वह आलोचना सुनने को तैयार हैं। कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने वित्त मंत्री की आलोचना करते हुए निर्बला कह दिया। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री जिस तरह अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने में असहाय लगती हैं, ऐसा लगता है मानो वह निर्मला नहीं, निर्बला हों।वित्त मंत्री ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज में कोई महिला निर्बला नहीं है। उन्होंने कहा :
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में दो महिलाएं कैबिनेट मंत्री बनी हैं, एक महिला को रक्षा मंत्रालय मिला, इसलिए मैं कहना चाहती हूँ कि मैं निर्बला नहीं, निर्मला हूँ और निर्मला ही रहूंगी। मैं यह साफ़ कर देना चाहती हूं कि हमारी पार्टी में सभी महिलाएं सबला ही हैं।
निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तिहाद-ए-मुसलमीन के सांसद असदउद्दीन ओवैसी ने सरकार को याद दिलाया कि कोर सेक्टर क्षेत्रों में वृद्धि दर गिर कर शून्य से भी 5.2 प्रतिशत नीचे चली गई है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को कॉरपोरेट जगत से बहुत ही अधिक लगाव है जबकि यह आम जनता से नफ़रत करती है।