दूसरी छमाही में जीडीपी वृद्धि दर गिर कर 4.2% होने के आसार : स्टेट बैंक
सरकार भले ही न माने, पर सरकारी एजेन्सियाँ यह मानती हैं कि देश की आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। रिज़र्व बैंक ने सकल घरेलू उत्पाद कम होने के बारे में बताया ही था, अब स्टेट बैंक ने भी अपनी ताज़ा रपट में लगभग वही आशंका जताई है।
सरकारी कंपनी स्टेट बैंक ने अपनी ताज़ा रपट में कहा है कि चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में सकल घरेल उत्पाद की वृद्धि दर घट कर 4.2 प्रतिशत पर आ सकती है।
बैंक का कहना है कि गाड़ियों की कम बिक्री, हवाई यात्रा में गिरावट, कोर सेक्टर की बदहाली और निर्माण व ढाँचागत सुविधाओं के क्षेत्र में कम निवेश की वजह से ऐसा होने की संभावना है। अगले वित्तीय वर्ष में विकास दर 6.1 प्रतिशत से गिर कर 5 प्रतिशत पर आ जाएगा।
इसके पहले एशियाई विकास बैंक, विश्व बैंक, ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इकनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और रिज़र्व बैंक ने 2020 में विकास दर कम होने का अनुमान लगाया है।
स्टेट बैंक ने अपनी रपट में कहा है कि इस साल सितंबर में अर्थव्यवस्था के 33 बड़े इन्डीकेटर सिर्फ़ 17 प्रतिशत कामकाज ही दिखा रहे थे। ये इन्डीकेटर साल 2018 के अक्टूबर महीने में 85 प्रतिशत कामकाज पर थे।
स्टेट बैंक ने इसके साथ ही यह भी कहा है कि साल 2020 में आने वाली मंदी वैश्विक मंदी से अलग नहीं है।
दूरसंचार कंपनी इनफ़ोसिस के पूर्व निदेशक और पद्म श्री से सम्मानित टी. वी. मोहनदास पई ने कहा है, 'नरेंद्र मोदी जी! अर्थव्यवस्था वाकई सुस्त हो चुकी है, सब कुछ नीचे है सर! लोगों का मनोबल, मूड। हस्तक्षेप कीजिए, उद्योग जगत से बात कीजिए। '
GDP Growth rate:GDPgrow at 4.2% in Q2. @PMOIndia @narendramodi @nsitharaman Sir economy is very down;Mood down,morale down! q3 too not good!pl intervene,Talk to industry,needHealing touch!19-20 looks bad @SubramanianKri https://t.co/KTr7kkrjoD
— Mohandas Pai (@TVMohandasPai) November 12, 2019
इसके पहले अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेन्सी मूडीज़ के 2019-2020 के लिए भारत के सकल घरेल उत्पाद की अनुमानित वृद्धि दर घटाकर 5.8 प्रतिशत कर दी थी। उसके बाद ही विश्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की ग्रोथ रेट का अनुमान घटा दिया था। विश्व बैंक ने कहा था कि भारत की विकास दर 6% रह सकती है जबकि पिछले वित्त वर्ष (2018-19) में भारत की विकास दर 6.9% रही थी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक से पहले जारी रिपोर्ट में यह बात कही गई थी। वित्त वर्ष 2018-19 में भारत की वृद्धि दर 6.8% रही थी जबकि 2017-18 में यह 7.2% थी।
विश्व बैंक ने कहा है कि भारत 2021 में 6.9% और 2022 में 7.2% की विकास दर हासिल कर सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक़, मैन्युफ़ैक्चरिंग और निर्माण गतिविधियों के कारण औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर बढ़कर 6.9 प्रतिशत हो गयी, जबकि कृषि और सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर क्रमशः 2.9 और 7.5 प्रतिशत रही।
लगातार लग रहे झटके
पिछले कुछ महीने से आर्थिक मोर्चे पर लगातार एक के बाद एक निराशजनक ख़बरें आ रही हैं। कुछ दिन पहले भारतीय रिज़र्व बैंक ने सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि दर में कटौती कर दी थी और इसे 6.9 प्रतिशत से कम कर 6.1 प्रतिशत कर दिया था। विश्व आर्थिक फ़ोरम द्वारा तैयार अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा इन्डेक्स में भी भारत 10 स्थान फिसल कर 68वें स्थान पर आ गया।इसके भी पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जीवा ने कहा था कि भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देश में आर्थिक मंदी ज़्यादा प्रभावी और साफ़ दिख रही है। जॉर्जीवा ने चिंता जताई थी कि विश्व की अर्थव्यवस्था का 90 प्रतिशत हिस्सा अगले साल मंदी की चपेट में आ जाएगा।