गौतम अडानी का सपना टूटा: चौबे गये छब्बे बनने दुबे बनकर लौटे
कहावत है कि चौबे गये छब्बे बनने दुबे बनकर लौटे। अरबपति गौतम अडानी पर यह बात पूरी तरह लागू हो रही है। गौतम अडानी के पास अवसर था कि वह मुकेश अंबानी को पीछे छोड़कर एशिया के सबसे बड़े रईस बन जाते। लेकिन, हुआ यह कि वे झोंग शानशान से भी पीछे होकर तीसरे नंबर पर पहुँच गये। कहानी पूरी तरह फ़िल्मी लगती है लेकिन है हक़ीक़त।
अरबपति गौतम अडानी एशिया के सबसे बड़े दौलतमंद होने की ओर बढ़ रहे थे। उम्मीद की जा रही थी कि 24 जून को अपने जन्मदिन के मौक़े तक वे इस उपलब्धि को हासिल कर लेंगे। लेकिन, जन्मदिन से ठीक 10 दिन पहले 14 जून से अडानी समूह के स्वामित्व वाली कंपनियों के शेयरों ने ऐसा गोता लगाना शुरू किया कि गौतम अडानी के पैरों तले मानो ज़मीन ही खिसक गयी। 17 जून आते-आते 13 अरब डॉलर हाथ से ऐसे निकल गये जैसे मुट्ठी से रेत। जाहिर है एशिया में सबसे बड़े रईस होने का गौतम अडानी का ख्वाब पूरा होते-होते रह गया है। एक सपना टूटा है या दूर हुआ है। अडानी दूसरे स्थान से खिसककर तीसरे स्थान पर जा पहुँचे हैं।
गोवा की जीडीपी से भी बड़ा नुक़सान
एशियाई रईसों की सूची में गौतम अडानी नंबर दो से एक पर पहुँचें या तीन पर, इससे आमजन को बहुत फर्क नहीं पड़ता। लेकिन, दुनिया के अरबपतियों और खासकर एशियाई अरबपतियों में हड़कंप मच गया है। भारत के धनकुबेर भी भौंचक हैं। अर्थशास्त्री गणित लगा रहे हैं कि महज चार दिन के भीतर गौतम अडानी की दौलत में आयी कमी का मतलब क्या है? भारत के सबसे छोटे राज्य गोवा की इकॉनोमी का आकार 11 अरब डॉलर है। गौतम अडानी को इससे भी 2 अरब डॉलर ज़्यादा का नुक़सान हो चुका है।
ब्लूमबर्ग बिलियनॉयर्स इंडेक्स में 17 जून 2021 को मुकेश अंबानी की दौलत 84.5 अरब डॉलर है जबकि झोंग शानशान की दौलत 69.4 अरब डॉलर। गौतम अडानी तीसरे नंबर पर खिसकते हुए 67.6 बिलियन डॉलर पर जा पहुँचे हैं। इसी साल 21 मई को गौतम अडानी ने एशियाई रईसों में दूसरे नंबर का स्थान हासिल किया था। तब उनके पास मुकेश अंबानी से 10 अरब डॉलर की दौलत कम थी। मुकेश के पास 76.5 अरब डॉलर की दौलत थी।
चार दिन में बदल गयी हैसियत
चार दिन में 13 अरब डॉलर के नुक़सान से पहले गौतम अडानी की दौलत 77 अरब डॉलर की ऊँचाई को छू रही थी। ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि अपने जन्म दिन 24 जून आते-आते वे मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ देंगे। मगर, 18 जून आते आते अडानी की दौलत घटकर 63.5 अरब डॉलर आ पहुँची।
अडानी समूह की कंपनियों में अडानी पोर्ट्स को 8.5 फ़ीसदी और अडानी एंटरप्राइजेज को 5.6 फ़ीसदी नुक़सान हुआ है जबकि अडानी ग्रीन एनर्जी को कम से कम 4.95 फ़ीसदी का नुक़सान हुआ है। अडानी समूह के लिए यह बहुत बड़ा झटका है। इससे उबरने में इस समूह को अभी वक़्त लगेगा।
कहा जा रहा है कि गौतम अडानी की कंपनियों के स्टॉक की क़ीमत में आयी भारी कमी की वजह एक ख़बर रही। इसके मुताबिक़ संदिग्ध विदेशी निवेश अडानी की कंपनियों में हो रहा था। इस आधार पर नेशनल सिक्योरिटीज डिपोजिटरी लिमिटेड (एनडीएलएस) ने मॉरिशस स्थित तीन कंपनियों के अकाउंट पर रोक लगा दी। यह ख़बर भी फैली कि इन कंपनियों के मालिकों पर सूचनाएँ छिपाने के आरोप लगाए गए हैं। अडानी ग्रुप ने तुरंत इसका खंडन किया और बयान जारी किए। एनडीएलएस ने भी ऐसी ख़बरों को बेबुनियाद बताया। मगर, तब तक मार्केट सेंटीमेंट अडानी समूह को भारी चपत लगा चुका था।
एक ट्वीट में इतनी ताकत!
Another scandal hard to prove outside the black box of information available with SEBI tracking systems is the return of an operator of the past who is relentlessly rigging prices of one group. All through foreign entities! His speciality & that of a former FM. Nothing changes!
— Sucheta Dalal (@suchetadalal) June 12, 2021
वरिष्ठ पत्रकार सुचेता दलाल के ट्वीट की भी बहुत चर्चा है। कहा जा रहा है कि उन्होंने ही यह ट्वीट कर अडानी के कंपनियों में संदिग्ध विदेशी निवेश की ओर सबका ध्यान दिलाया। यह ट्वीट कारोबारी जगत में इतना अधिक री-ट्वीट होने लगा कि अडानी समूह के लिए चिंता का सबब बन गया। सुचेता दलाल वही पत्रकार हैं जिन्होंने हर्षद मेहता कांड का खुलासा किया था। इस कांड के बाद ही सेबी अस्तित्व में आया। अब एक बार फिर सेबी के रहते संदिग्ध विदेशी निवेश होने के खुलासे को लेकर नये सिरे से कारोबारी जगत में बहस छिड़ेगी।
यह सवाल भी महत्वपूर्ण है कि क्या एक ट्वीट से बाज़ार का सेंटीमेंट इतना प्रभावित हो सकता है? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है कि यह ट्वीट ऐसे समय में चर्चा में आया है जब केंद्र सरकार ट्विटर को नियमों में बांधने की कोशिशों में जुटी हुई है।
अगर सुचेता दलाल के ट्वीट को निवेशकों के हित में मानते हुए इसे एक पत्रकार का साहस भी बताया जा सकता है और इसी ट्वीट को अडानी की कंपनी को नुक़सान की वजह के तौर पर भी देखा जा सकता है। ऐसे में यह उदाहरण भारत सरकार और ट्विटर के बीच बहस का विषय भी बन सकता है।
सामने आएगा संदिग्ध विदेशी निवेश का सच?
यह बात भी उल्लेखनीय है कि अरबों डॉलर के नुक़सान के बीच बीते एक साल में गौतम अडानी की दौलत में 33.8 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। इसका मतलब यह है कि वर्तमान में 63.5 अरब डॉलर की दौलत अडानी के पास है उसके आधे से ज़्यादा की कमाई बीते एक साल में महामारी के दौरान ही हुई है। दुनिया में सबसे तेज़ गति से दौलत जोड़ने में गौतम अडानी दूसरे नंबर पर है। पहले नंबर पर अमेरिका के बर्नार्ड अरनॉल हैं जिनकी दौलत बीते एक साल में 63.4 अरब डॉलर यानी गौतम अडानी की दौलत के बराबर बढ़ोतरी हुई है। हालाँकि यह भी उल्लेखनीय है कि दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति जेफ बेजोस की दौलत के बढ़ने की रफ्तार भी अडानी से कम रही है।
अडानी की दौलत में अप्रत्याशित बढ़ोतरी संदिग्ध विदेशी निवेश की आशंका की अगर पुष्टि नहीं भी करती है तो कम से कम ऐसे निवेश की जाँच की ज़रूरत की ओर इशारा तो ज़रूर करती है। हालाँकि यह बात भी कम महत्वपूर्ण नहीं है कि चार दिन में 13 अरब डॉलर के नुक़सान का रिकॉर्ड बना है। इतने कम समय में इतने बड़े नुक़सान का कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता। जाहिर है गौतम अडानी को हुए नुक़सान को भी साज़िश की नज़र से देखा जाएगा। आख़िर वो कौन लोग हैं जिन्होंने गौतम अडानी के सपने को चूर-चूर कर डाला है। ये लोग अरबपतियों की दुनिया से ही हो सकते हैं। क्या कभी ये सच सामने आ पाएगा?