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मेघालय में चुनाव से पहले तेज होगी गारोलैंड राज्य की मांग!

मेघालय में चुनाव से पहले तेज होगी गारोलैंड राज्य की मांग!

अलग गारो राज्य की मांग क्यों हो रही है? क्या इसलिए कि राज्य की सत्ता में रहने वाले राजनीतिक दल गारो इलाक़े की उपेक्षा करते रहे हैं? क्या चुनाव से पहले यह मांग फिर से जोर पकड़ेगा?

पूर्वोत्तर के सबसे शांत प्रदेश मेघालय में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अब अलग गारोलैंड राज्य की मांग जोर पकड़ने लगी है। इस मांग के समर्थन में हाल में तूरा में एक रैली का आयोजन किया गया जिसमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। मेघालय के पश्चिमी हिस्से में रहने वाले स्वदेशी गारो लोगों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले गारोलैंड हिल्स स्टेट मूवमेंट कमेटी (जीएचएसएमसी) और नेशनल फेडेरेशन फॉर न्यू स्टेट्स (एनएफएनएस) के बैनर तले आयोजित इस रैली की कामयाबी से गदगद इन संगठनों ने अब दिल्ली में संसद के शीतकालीन अधिवेशन के दौरान जंतर मंतर पर दो-दिवसीय धरना और प्रदर्शन आयोजित करने का ऐलान किया है।

एनएफएनएस के अध्यक्ष प्रोफेसर मुनीष तामंग कहते हैं, ‘हम अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ दिल्ली जा कर केंद्र के सामने अपनी मांग उठाएंगे। अलग राज्य की हमारी मांग गैर-कानूनी नहीं है और यह राज्य के पश्चिमी हिस्से में रहने वाले लोगों का पुराना सपना है। हमारा नारा है एक राष्ट्र, कई राज्य।’ उनका दावा है कि अलग गारोलैंड राज्य की मांग को देश भर के विभिन्न संगठनों का समर्थन मिल रहा है।

रैली में शामिल एक अन्य संगठन हाइनीपट्रेप इंटीग्रेटेड टेरीटोरियल ऑर्गनाइजेशन (एचआईटीओ) के अध्यक्ष डोनबाक खार सवाल करते हैं, ‘अगर 12 लाख की आबादी वाला मिजोरम और 6.71 लाख की आबादी वाला सिक्किम अलग राज्य हो सकता है तो मेघालय के गारो और खासी इलाकों को अलग-अलग राज्य का दर्जा क्यों नहीं दिया जा सकता?’ उनकी दलील है कि राज्य के खासी और जयंतिया पहाड़ियों में रहने वाले लोगों का रहन-सहन, भाषा और संस्कृति भिन्न है और उनके सामाजिक रीतिरिवाज और परंपराएं भी अनूठी हैं। ऐसे में गारो तबके के लिए अलग राज्य की मांग बेहद प्रासंगिक है।

जीएचएसएमसी में क्षेत्रीय राजनीतिक दल गारो नेशनल कौंसिल (जीएनसी) समेत कई गारो संगठन शामिल हैं। राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से 24 सीटें गारो हिल्स के पांच जिलों में हैं। पूर्वी हिस्से में द हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) कई साल से अलग खासी-जयंतिया राज्य की मांग करती रही है।

मेघालय में अलग गारोलैंड की मांग दशकों पुरानी है। हर चुनाव में यह मुद्दा उठता है लेकिन इस बार इसे प्रमुख मुद्दा बनाने की कवायद चल रही है। वैसे, 2014 में नेशनल पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष पीए संगमा ने भी गारोलैंड का समर्थन किया था और उन्होंने लोगों इस बात पर वोट भी मांगा था। 

मेघालय के पहले मुख्यमंत्री कैप्टन डब्ल्यू ए संगमा के पौत्र और कांग्रेस उम्मीदवार डेरिल मोमिन के खिलाफ तुरा सीट पर मैदान में उतरे संगमा ने कहा था, ‘मैं संघर्ष की अगुवाई करूंगा और गारोलैंड का निर्माण सुनिश्चित करूंगा। मैं संसद में सर्वोच्च स्तर पर यह मुद्दा उठाऊंगा।’

मेघालय के पूर्वी हिस्से में गारो और खासी जनजाति के लोग रहते हैं और पश्चिमी हिस्से में गारो जनजाति के। गारो संगठनों का आरोप है कि राज्य की सत्ता में रहने वाले राजनीतिक दल हमेशा गारो इलाके की उपेक्षा करते रहे हैं। इसी वजह से दो दशक से भी पहले पहली बार अलग गारोलैंड की मांग उठी थी।

वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक़, क़रीब 10 हजार वर्ग किमी इलाके में फैले गारो हिल्स की आबादी 13.94 लाख है जबकि 15.4 हजार वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले खासी-जयंतिया पर्वतीय क्षेत्र में 22.44 लाख लोग रहते हैं। मेघालय विधानसभा ने मार्च, 2014 में अलग गारोलैंड का प्रस्ताव खारिज कर दिया था। असम से काट कर वर्ष 1972 में मेघालय को अलग राज्य का दर्जा दिया गया था।

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