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हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के दो और सहयोगी मुठभेड़ में ढेर

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के दो और सहयोगी मुठभेड़ में ढेर

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के दो सहयोगी गुरुवार सुबह अलग-अलग मुठभेड़ में मारे गए हैं। इन दोनों में से एक तो हिरासत में था और पुलिस के अनुसार भागने की कोशिश में मारा गया, जबकि दूसरे के साथ पुलिस की आमने-सामने की मुठभेड़ हुई।

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के दो सहयोगी गुरुवार सुबह अलग-अलग मुठभेड़ में मारे गए हैं। इन दोनों में से एक तो हिरासत में था और पुलिस के अनुसार कानपुर ले जाने के दौरान भागने की कोशिश में मारा गया, जबकि दूसरे के साथ पुलिस की आमने-सामने की मुठभेड़ हुई। इस मामले में मुठभेड़ में विकास दुबे का एक सहयोगी बुधवार को भी मारा गया था।

पुलिस के अनुसार, आठ पुलिस कर्मियों के मारे जाने के दौरान विकास दुबे के साथ मौजूद रहे रणबीर उर्फ़ बउआ दुबे गुरुवार सुबह मुठभेड़ में मारा गया। इटावा के एसएसपी आकाश तोमर ने कहा है कि उसके पास से हथियार भी बरामद हुए हैं। मुठभेड़ के दौरान एक पिस्तौल, एक डबल बैरल बंदूक और कई कारतूस बरामद किए गए। रणबीर के साथ मौजूद तीन अन्य लोग भागने में सफल रहे।

आज दूसरा आरोपी जो मारा गया उसका नाम प्रभात मिश्रा है जिसे एक दिन पहले ही दो अन्य आरोपियों के साथ गिरफ़्तार किया गया था। पुलिस का दावा है कि कानपुर ले जाने के दौरान उसने रास्ते में भागने का प्रयास किया। पुलिस के अनुसार, 'प्रभात के साथ वाले पुलिसकर्मी पुलिस वैन के टायर को बदलने की कोशिश कर रहे थे, तभी प्रभात ने उनसे पिस्तौल छीन ली और भागने की कोशिश की। उसने पुलिसकर्मियों पर गोली चला दी और पुलिसकर्मियों ने जवाबी कार्रवाई की। उसे पैर में गोली लगी और उसे अस्पताल ले जाया गया। इससे उसकी मौत हो गई।'

बता दें कि हरियाणा की फरीदाबाद पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान तीन लोगों को गिरफ़्तार किया था। इनमें कार्तिकेय उर्फ़ प्रभात निवासी बिकरू गाँव, अंकुर निवासी ग्राम कापूपुर, कानपुर व एक अन्य बदमाश श्रवण शामिल थे। 

इससे पहले बुधवार को उसका एक सहयोगी अमर दुबे लखनऊ से क़रीब 150 किलोमीटर दूर हमीरपुर ज़िले में पुलिस मुठभेड़ में बुधवार तड़के ही मारा गया था। एक सहयोगी श्यामू बाजपेयी को मुठभेड़ के बाद कानपुर में गिरफ़्तार किया गया। इधर विकास दुबे भी मंगलवार को फरीदाबाद के एक होटल में दिखा था, लेकिन पुलिस के पहुँचने से पहले ही वह भाग गया। पिछले कुछ घंटों में एक के बाद एक आ रही ऐसी ख़बरों से लगता है कि पुलिस धीरे-धीरे विकास दुबे के गुर्गों तक तो पहुँच रही है, लेकिन विकास दुबे अभी भी पकड़ से दूर है। अब तक कई रिपोर्टें रही हैं कि विकास दुबे के कई नेताओं से अच्छे संबंध रहे हैं। 

क़रीब एक हफ़्ते पहले घात लगाकर किए गए हमले में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद से ही विकास दुबे और उसके गैंग के सहयोगी फरार हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फ़ोर्स यानी एसटीएफ़ उनको तलाशने में जगह-जगह दबिश दे रही है।

बता दें कि कानपुर देहात के बिकरू गाँव में गुरुवार देर रात को हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर बदमाशों ने हमला कर दिया था। इसमें 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। शहीद होने वालों में डिप्टी एसपी और बिल्होर के सर्किल अफ़सर देवेंद्र मिश्रा, स्टेशन अफ़सर शिवराजपुर महेश यादव भी शामिल थे। दो सब इंस्पेक्टर और चार सिपाही भी शहीद हुए हैं। इसके अलावा सात पुलिस कर्मी घायल हुए थे। 

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