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जी-20 सम्मेलन, बहुलतावाद को वैश्विक स्तर पर खतरा: नरेंद्र मोदी 

जी-20 सम्मेलन, बहुलतावाद को वैश्विक स्तर पर खतरा: नरेंद्र मोदी 

केंद्र की बीजेपी सरकार पूरे देश के एक विचारधारा में रंगने की कोशिश कर रही है, जब सवाल उठता है कि बहुलतावाद को खतरा किससे है? और कौन है जिसे इसके खत्म होने से फायदा है?

भारत इस साल जी-20 देशों की मेजबानी कर रहा है। इस समय देश में दुनिया भर के तमाम बड़े देशों के नेताओं का जमावड़ा लगा हुआ है। ऐसे समय में जब दुनिया तमाम तरह के संकटों से जूझ रही है, और भारत की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रही है। यह भारत की बढ़ती हुई ताकत का अंदाजा देता है।

जी-20 के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित किया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने एक जरूरी बात कही कि बहुलतावाद दुनिया भर में खतरे में है। जबकि यही बहुलतावाद लोकतांत्रिक व्यवस्था की बुनियाद है। प्रधानमंत्री का यह कथन ऐसे समय में आया है जबकि भारत खुद इस खत्म होते बहुलतावाद से जूझ रहा है। केंद्र की बीजेपी सरकार पूरे देश के एक विचारधारा में रंगने की कोशिश कर रही है, जब सवाल उठता है कि बहुलतावाद को खतरा किससे है? और कौन है जिसे इसके खत्म होने से फायदा है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों को एक वीडियो संदेश के जरिए संबोधित करते हुए कहा कि बहुपक्षवाद संकट में है और 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' के उद्देश्य जरूरत है। इसके लिए  उद्श्यों की एकता और उनपर कार्रवाई की एकता वर्तमान की जरूरत है। जिसपर आगे बढ़ना चाहिए।

बहुपक्षवाद संकट में है और 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' के उद्देश्य जरूरत है। इसके लिए उद्श्यों की एकता और उनपर कार्रवाई की एकता वर्तमान की जरूरत है। जिसपर आगे बढ़ना चाहिए।


नरेंद्र मोदी

उन्होंने कहा, 'विश्व युद्धों के बाद वैश्विक शासन भविष्य में युद्धों को रोकने और साझा हित के मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के अपने दोनों उद्देश्यों में विफल रहे हैं। ''हम सभी को स्वीकार करना चाहिए कि बहुपक्षवाद आज संकट में है। पिछले कुछ वर्षों के अनुभव- वित्तीय संकट, जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और युद्ध- स्पष्ट रूप से  बतीते हैं कि वैश्विक शासन अपने उद्देश्यों में नाकाम रहा है।

पीएम मोदी ने आगे कहा, "वर्षों की प्रगति के बाद, आज हम सभी सतत विकास लक्ष्यों पर वापस लौटने का जोखिम है। कई विकासशील देश फूड और एनर्जी सिक्योरिटी सुनिश्चित करने की कोशिश में लगे हुए और इसकी वजह से ऋण संकट से जूझ रहे हैं। यही देश वेअमीर देशों के रहन-सहन से बढ़ रही ग्लोबल वार्मिंग से भी सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। यही कारण है कि इसलिए भारत जी-20 का अध्यक्ष होने के नाते ग्लोबल साउथ को उसकी आवाज उठाने की कोशिश कर रहा है। 

मोदी ने वैश्विक नेताओं से विभाजनकारी मुद्दों पर एक साझा आधार' तलाशने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, 'हम ऐसे समय में मिल रहे हैं जब वैश्विक स्तर पर गहरे मतभेद हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि जो लोग इस कमरे में नहीं हैं। हमें उनके मुद्दों को आड़े नहीं आने देना चाहिए जिन्हें हम एक साथ हल नहीं कर सकते हैं।

इस सम्मेलन में जी-20 देशों के अलावा नौ अतिथि देशों बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्रियों ने भी बैठक में हिस्सा लिया। उम्मीद की जा रही है ये देश भी अपनी समस्याओं को दुनिया के सामने रख पाएंगे।  

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