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चुनावी बॉन्ड से सबसे ज़्यादा चंदा देने वाली कंपनी फ्यूचर गेमिंग विवादों में क्यों?

चुनावी बॉन्ड से सबसे ज़्यादा चंदा देने वाली कंपनी फ्यूचर गेमिंग विवादों में क्यों?

चुनाव आयोग द्वारा अपनी वेबसाइट पर जारी की गई जानकारी में इलेक्टोरल बॉन्ड से सबसे ज़्यादा चंदा देने वालों में फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज नाम की कंपनी है। जानिए, आख़िर यह विवादों में क्यों है?

चुनाव आयोग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज नाम की कंपनी ने 2019 से 2024 तक 1368 करोड़ रुपये का चंदा दिया है। अब तक जारी जानकारी के अनुसार इतना चंदा और किसी ने नहीं दिया है। ऐसा हाल उस कंपनी का है जिसके मालिक कभी मज़दूर हुआ करते थे। बाद में वह लॉटरी किंग कहलाए और इस बीच न जाने कितने विवादों में रहे।

इस कंपनी और कंपनी के मालिक के बारे में जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर इस कंपनी के बारे में क्या जानकारी सामने आई है। चुनाव आयोग ने 14 मार्च को चुनावी बॉन्ड की जानकारी साझा की। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भारतीय स्टेट बैंक ने 12 मार्च को डेटा दिया था। अब जानकारियाँ सामने आने के बाद चंदा देने वालों की सूची में फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज नाम की कंपनी सबसे अग्रणी है। इसका संचालन 'लॉटरी किंग' के नाम से जाने जाने वाले सैंटियागो मार्टिन करते हैं।

अब सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, कोयंबटूर स्थित फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने 2019 से 2024 तक चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को 1,368 करोड़ रुपये का चंदा दिया। फ्यूचर गेमिंग 1,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार करने वाली एकमात्र कंपनी है।

ईडी धन शोधन निवारण अधिनियम के कथित उल्लंघनों के लिए 2019 से कंपनी की जांच कर रहा है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, ईडी ने अपनी जांच में कहा कि फ्यूचर गेमिंग ने 2014 और 2017 के बीच अवैध रूप से लगभग 400 करोड़ रुपये उगाहे। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तमिलनाडु में सैंटियागो मार्टिन के दामाद के परिसरों पर भी तलाशी ली थी।

इसके अलावा, मार्टिन से ईडी द्वारा उनके और अन्य के खिलाफ सीबीआई द्वारा शुरू किए गए एक अलग मनी लॉन्ड्रिंग मामले के तहत पूछताछ की गई।

फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज पीआर की स्थापना 1991 में भारत के लॉटरी किंग माने जाने वाले सैंटियागो मार्टिन द्वारा की गई थी।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मार्टिन की धर्मार्थ ट्रस्ट वेबसाइट म्यांमार के यांगून में एक मजदूर के रूप में शुरू हुई उनकी यात्रा की बात बताती है। 1988 में वह वापस भारत लौट आए और तमिलनाडु में एक लॉटरी उद्यम की स्थापना की।

कंपनी की स्थापना तमिलनाडु में हुई थी, लेकिन राज्य में लॉटरी पर प्रतिबंध लगने के बाद, मार्टिन ने अपना अधिकांश व्यवसाय केरल और कर्नाटक में स्थानांतरित कर दिया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने बाद में पूर्वोत्तर में विस्तार करते हुए सरकारी लॉटरी योजनाओं में कदम रखा। फ्यूचर गेमिंग फिलहाल 13 भारतीय राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, नागालैंड और सिक्किम में- संचालित होता है जहाँ लॉटरी अभी भी वैध है।

सैंटियागो मार्टिन का विवादों से नाता

सैंटियागो मार्टिन विवादों में ख़ूब रहे हैं। 2011 में, अवैध लॉटरी व्यवसायों पर कार्रवाई के तहत उनकी तमिलनाडु और कर्नाटक पुलिस बलों ने तलाशी ली थी। 2013 में केरल पुलिस ने राज्य में अवैध लॉटरी संचालन की जाँच के तहत मार्टिन के परिसरों पर छापेमारी की थी। 2015 में, आयकर विभाग ने कर चोरी और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक सहित विभिन्न राज्यों में मार्टिन के परिसरों पर छापे मारे थे। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार केरल की सीपीआई (एम) के मुखपत्र को 2 करोड़ रुपये देने को लेकर भी मार्टिन विवादों में रहे। वाम पार्टियों में इसको लेकर मतभेद थे। आख़िरकार पिनराई विजयन के धड़े ने वो पैसे मार्टिन को लौटा दिए। बाद में मुखपत्र के जनरल मैनेजर को हटा दिया गया।

2016 में प्रवर्तन निदेशालय ने सैंटियागो मार्टिन के लॉटरी व्यवसायों से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में उनकी संपत्तियों पर छापा मारा। और 2018 में सीबीआई ने अवैध लॉटरी संचालन और कथित वित्तीय अपराधों की व्यापक जांच के हिस्से के रूप में कई राज्यों में मार्टिन के आवासों और कार्यालयों की तलाशी ली। सैंटियागो मार्टिन पर आखिरी कार्रवाई मई 2023 में हुई थी, जब ईडी ने सिक्किम सरकार को 900 करोड़ रुपये से अधिक के कथित नुकसान से जुड़े मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत 457 करोड़ रुपये जब्त किए थे।

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