ग़ज़ा पर पूर्ण हमलाः इजराइली सेना और राजनीतिक नेतृत्व में मतभेद?
इजराइली सेना ने अभी तक गजा में दो सीमित जमीनी हमले किए हैं। हालांकि पिछले 12 दिनों से इजराइल की ओर से लगभग रोजाना एक बयान आता है कि गजा पर पूर्ण जमीनी हमला जल्द। यानी ऐसा हमला जिसमें पैदल सेना और टैंक शामिल होंगे। लेकिन इजराइल ने अभी तक उत्तरी और पूर्वी गजा में लगातार बुधवार और गुरुवार रात को सीमित घुसपैठ की और हमास के ठिकानों को टारगेट कर लौट आए। हमास ने इन दोनों सीमित हमलों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर इजराइल ने अभी तक पूर्ण जमीनी हमला क्यों नहीं किया। न्यू यॉर्क टाइम्स की मानें तो इस मुद्दे पर इजराइल के राजनीतिक नेतृत्व और सेना में आपसी मतभेद गहरे हैं।
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न्यू यॉर्क टाइम्स के मुताबिक इजराइली कैबिनेट के दो लोग, जो ऐसी बैठकों में शामिल थे, ने नाम न छापने की शर्त पर अखबार को बताया कि सेना के आला अफसरों ने पहले ही हमले की एक योजना को अंतिम रूप दे दिया है, लेकिन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इस पर वरिष्ठ अधिकारी नाराज हो गए। दरअसल, प्रधानमंत्री 7 अक्टूबर के हमले के बाद गठित वॉर कैबिनेट के सदस्यों से आमराय से अनुमोदन चाहते हैं। यानी नेतन्याहू जमीनी हमले को लेकर अकेले अपनी गर्दन नहीं फंसाना चाहते। अगर हमले के मनचाहे नतीजे नहीं मिले तो पूरी वॉर कैबिनेट पर ऊंगली उठेगी, अकेले प्रधानमंत्री पर नहीं।
नेतन्याहू ने दो दिन पहले दो बयान दिया था, उसका मतलब भी अभी तक निकाला जा रहा है। उन्होंने उस बयान में कहा था कि इजराइल जमीनी हमले के लिए तैयार है लेकिन वो कब और कैसे होगा, बता नहीं सकते। इस बयान के बाद दो सीमित जमीनी हमले सामने आए हैं।
न्यू यॉर्क टाइम्स ने लिखा है- इजराइली सैनिक गजा सीमा पर जमा हैं और उन्हें आगे बढ़ने के लिए तैयार रहने को कहा गया है, लेकिन सात वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और तीन इजराइली अधिकारियों के अनुसार, इजराइल के राजनीतिक और सैन्य नेता इस बात पर विभाजित हैं कि कैसे, कब हमला किया जाए। यहां तक कि हमला करना भी है या नहीं, इस मुद्दे पर भी विभाजित हैं।
हालांकि मीडिया में उन्होंने यही कहा है कि हमास के कब्जे में 200 बंधकों को छुड़ाने के लिए वे देरी कर रहे हैं। वे बंधकों की रिहाई के लिए बातचीत करने वालों को ज्यादा समय देना चाहते हैं। लेकिन इजराइली पीएम, जिन्होंने हमास के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की कसम खाई है, अभी तक इस बात पर सहमत नहीं हुए हैं कि ऐसा कैसे किया जाए।
अखबार के मुताबिक इजराइली नेताओं में से कुछ को चिंता है कि इस हमले से इजराइली सेना गजा के अंदर एक मुश्किल भरी लड़ाई में फंस सकती है। अन्य नेताओं को इसके बाद बड़े पैमाने पर संघर्ष का डर है। ईरान समर्थित हिजबुल्लाह मिलिशिया पहले से ही इजराइली शहरों की ओर लंबी दूरी की मिसाइलें दाग रहे हैं। जमीनी हमले होने के बाद यह और बढ़ेगा, घटेगा नहीं।
इजराइल सरकार में इस बात पर भी बहस चल रही है कि हमला एक बड़े ऑपरेशन के जरिए किया जाए या छोटे ऑपरेशनों के जरिए किया। हालांकि दो सीमित हमले हो भी चुके हैं। फिर सवाल यह भी है कि अगर इजराइल ने गजा पर कब्जा कर लिया तो उस पर शासन कौन करेगा।
दक्षिणपंथी पार्टी लिकुड के एक वरिष्ठ सांसद डैनी डैनन ने कहा, "हमारे यहां अलग-अलग राय वाली कैबिनेट है।" डैनन विदेशी मामलों और रक्षा समिति के सदस्य भी हैं। डैनन ने कहा, "कुछ लोग कहेंगे कि हमें शुरुआत करनी होगी। तभी हम अगले चरण के बारे में सोच सकते हैं। लेकिन नेतृत्व के लिए जरूरी है कि हमें लक्ष्य तय करने होंगे, और लक्ष्य भी बहुत स्पष्ट होने चाहिए, ये अस्पष्ट नहीं होने चाहिए।"
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न्यू यॉर्क टाइम्स के मुताबिक सेना के एक अधिकारी से जब पूछा गया कि ऑपरेशन के सैन्य उद्देश्य क्या हैं, तो एक इजराइली सैन्य प्रवक्ता ने कहा कि लक्ष्य "हमास को खत्म करना" था। जब सवाल किया गया कि सेना को कैसे पता चलेगा कि उसने वह लक्ष्य हासिल कर लिया है? तो प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल रिचर्ड हेचट ने कहा, "यह एक बड़ा सवाल है, और मुझे नहीं लगता कि मेरे पास अभी इसका उत्तर देने की क्षमता है।"
एक इजराइली अधिकारी, तीन वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और एक वरिष्ठ विदेशी राजनयिक के अनुसार, एक बड़ी चिंता बंधकों में से कम से कम कुछ की रिहाई कराने के लिए कतर की मध्यस्थता में होने वाली बातचीत है। इज़राइली सरकार उस बातचीत को आगे बढ़ने के लिए और अधिक समय देना चाहती है। जिनमें इजराइली महिलाओं और बच्चों की रिहाई सबसे प्रमुख है।
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न्यू यॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि हालांकि आगे की बातचीत के लिए अनुमति देने के बारे में थोड़ी अंदरुरनी असहमति है। लेकिन अधिकारियों के अनुसार, सेना और नेतन्याहू की सरकार के कुछ लोगों के बीच इस बात को लेकर विवाद है कि अगर बातचीत नाकाम हो जाती है तो क्या किया जाए। दूसका विवाद ये है कि नेतन्याहू हमले का आदेश देने से बच रहे हैं। वो चाहते हैं कि इजराइल की वॉर कैबिनेट फैसला ले और सभी उस पर हस्ताक्षर करें।
विश्लेषकों का कहना है कि नेतन्याहू हमले की एकतरफा हरी झंडी देने से इसलिए भी बच रहे हैं, क्योंकि उनके नेतृत्व में जनता का विश्वास पहले से ही कम हो रहा है, उन्हें ऑपरेशन विफल होने पर दोषी ठहराए जाने का डर है। इजराइल में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिन्हें विदेशी मीडिया नहीं दिखा रहा है। लेकिन ये प्रदर्शन नेतन्याहू की नीतियों के खिलाफ हैं।
न्यू यॉर्क टाइम्स ने प्रधानमंत्री नेतन्याहू के कार्यालय से इस लेख के लिए टिप्पणी मांगी थी, लेकिन उसने इनकार कर दिया। उनके कार्यालय ने प्रधानमंत्री द्वारा बुधवार रात दिए गए भाषण का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने इस तरह के ऑपरेशन के बारे में कुछ भी बताने की बजाय हमास को नष्ट करने का वादा किया था।
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न्यू यॉर्क टाइम्स ने कैबिनेट मीटिंग में मौजूद रहे दो लोगों के हवाले से लिखा है- सेना और प्रधानमंत्री के बीच आपसी संदेह इतना गहरा है कि सांसदों ने सेना को कैबिनेट बैठकों में रिकॉर्डिंग उपकरण लाने से रोक दिया है। उन्होंने इस कदम की वजह युद्ध के बाद जांच में पेश किए जा सकने वाले सबूतों की तादाद को सीमित करने के प्रयास के रूप में की।
हमास के हमले के बाद से नेतन्याहू असामान्य रूप से अलग-थलग दिखाई दे रहे हैं। तमाम आरोपों के बीच कि पिछले साल उनके अराजक नेतृत्व की वजह से 7 अक्टूबर का भयावह हमला हुआ, जिसमें इजराइली सुरक्षा नाकाम रही। इसके लिए उनके कुछ फैसले जिम्मेदार हैं। फिलहाल इजराइल इस युद्ध में जीत हासिल करना चाहता है। बाद में जो हालात बनेंगे। उसे बाद में देखा जाएगा।