कोरोना दूसरी लहर: फ़्रांस में रिकॉर्ड 52 हज़ार नये केस
फ्रांस में कोरोना संक्रमण एक बार नियंत्रित हो गया था। 27 मई को एक दिन में सिर्फ़ 191 नये केस आए थे। लेकिन अब 25 अक्टूबर को एक दिन में 52 हज़ार से ज़्यादा केस आए हैं। यह एक दिन में फ्रांस में सबसे ज़्यादा केस है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आ चुकी है। जब पहली लहर चरम पर थी तब सबसे ज़्यादा क़रीब 7500 केस एक दिन में आए थे और अब 52 हज़ार से ज़्यादा। यानी संक्रमण की पहली लहर से कहीं ज़्यादा ख़तरनाक। दरअसल, यूरोप के कई देशों में दूसरी लहर आ गई है। अमेरिका में भी संक्रमण काफ़ी तेज़ी से बढ़ने लगा है। अब भारत में संक्रमण के मामले 50 हज़ार से नीचे आकर क़रीब 45 हज़ार पर पहुँच चुके हैं, यानी भारत में अब हर रोज़ संक्रमण के मामले उतने आ रहे हैं जितने जुलाई के तीसरे हफ़्ते में आ रहे थे। तो क्या यूरोप में दूसरी लहर भारत को अभी भी पहले की तरह ही सावधान रहने का संकेत नहीं है
फ़्रांस में पिछले तीन दिनों में 1 लाख 39 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले आए हैं। यह संख्या उस देश में मार्च के मध्य से मई के मध्य तक दो महीने के लॉकडाउन के दौरान आए 1 लाख 32 हज़ार से भी ज़्यादा है। फ्रांस में अब तक कुल 11 लाख 38 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले आ चुके हैं और 34 हज़ार से ज़्यादा मौतें हुई हैं। सबसे ज़्यादा संक्रमण के मामले में फ़्रांस अब अर्जेंटीना और स्पेन को पीछे छोड़ते हुए पाँचवें स्थान पर पहुँच गया है। इससे ज़्यादा अब अमेरिका, भारत, ब्राज़ील और रूस में ही संक्रमण के मामले आए हैं।
फ्रांस के बाद अब स्पेन में भी स्थिति बिगड़ने लगी है। स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने रविवार को कोरोनोवायरस संक्रमण को रोकने के प्रयास में नयी आपात स्थिति की घोषणा की है। स्थानीय स्तर पर रात का कर्फ्यू लगाया गया है और कुछ मामलों में क्षेत्रों के बीच यात्रा पर प्रतिबंध भी लगाया गया है। स्पेन वह देश है जहाँ शुरुआती दिनों में फ़रवरी और मार्च में जब कोरोना तेज़ी से फैलना शुरू था तो सख़्त लॉकडाउन लगाया गया था। पहली लहर में तब देश में एक दिन में कोरोना संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले 20 मार्च को क़रीब 10 हज़ार 800 आए थे।
स्पेन में मई, जून और जुलाई में यह संख्या कम हो गई थी। 13 जून को तो सिर्फ़ 116 केस आए थे। लेकिन अब हर रोज़ क़रीब 20 हज़ार मामले आने लगे हैं। स्पेन में अब तक 11 लाख 10 हज़ार संक्रमण के मामले आए हैं और 34 हज़ार से ज़्यादा मौत हो गई है।
यूरोप के दूसरे देशों में भी स्थिति काफ़ी ख़राब हो रही है। अब हर रोज़ आ रहे पॉजिटिव केसों की संख्या को ही देखें। अमेरिका में एक दिन पहले सबसे ज़्यादा क़रीब 60 हज़ार मामले आए और इसके बाद सबसे ज़्यादा मामले यूरोप के देश फ्रांस में ही 52 हज़ार आए हैं। फिर सबसे ज़्यादा केस भारत में 45 हज़ार आए हैं। इसके बाद अधिकतर यूरोपीय देशों में ही सबसे ज़्यादा पॉजिटिव केस आ रहे हैं।
हर रोज़ इटली में क़रीब 21 हज़ार, इंग्लैंड में 20 हज़ार, बेल्जियम में 18 हज़ार, रूस में 16 हज़ार, पोलैंड में 12 हज़ार, जर्मनी और नीदरलैंड्स में क़रीब 10-10 हज़ार संक्रमण के मामले आ रहे हैं।
बता दें कि यूरोप में संक्रमण से हालात ऐसे हो गए हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में चेताया है कि यदि संक्रमण का मामला कम आना शुरू नहीं हुआ तो यूरोप के कई शहरों में आने वाले हफ़्तों में आईसीयू यानी इंटेंसिव केयर यूनिट में क्षमता से ज़्यादा मरीज़ आ सकते हैं। यह वह स्थिति है जब इटली और स्पेन में मार्च महीने में संक्रमण के इतने मामले आ गए थे कि अस्पतालों में जगह कम पड़ गई थी। मार्च का ही वह महीना था जब यूरोप कोरोना संक्रमण का केंद्र बिंदु था और पूरे यूरोप में लॉकडाउन लगाया गया था। हालाँकि, सख़्ती और एहतियात के बाद स्थिति काबू में हो गई थी और मई व जून आते-आते पूरे यूरोप में हालात काबू होने लगे थे। लेकिन फिर से ढिलाई बरती और यूरोप में फिर से संक्रमण काफ़ी तेज़ी से फैल रहा है। भारत में भी सावधानी बरते जाने की ज़रूरत है। ऐसा इसलिए कि सर्दी के मौसम में प्रदूषण के फैलने से संक्रमण के बढ़ने के आसार हैं।