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फ्रांस में घोर दक्षिणपंथी बड़ी जीत की ओर, सत्ता मिली तो क्या बदलाव होंगे

फ्रांस में घोर दक्षिणपंथी बड़ी जीत की ओर, सत्ता मिली तो क्या बदलाव होंगे

फ्रांस में अचानक हो रहे चुनाव में वहां की घोर दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रेली (आरएन) बड़ी जीत की ओर बढ़ रही है। हालांकि संसद में उसे पूर्ण बहुमत अभी भी नहीं मिला है। लेकिन दूसरे दौर के चुनाव में अगर वो बढ़त बनाती है तो फ्रांस में राजनीतिक सीन बदल जाएगा। राष्ट्रपति मैक्रां की पार्टी के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है। समझिए पूरा मामलाः

फ्रांस में पहले दौर के चुनाव में मरीन ले पेन की पार्टी नेशनल रैली (RN) को बड़ी जीत हासिल हुई है। इसका क्या मतलब है।...फ्रांसीसी मतदाता 7 जुलाई को दूसरे दौर में अगर इस पार्टी को बहुमत देते हैं तो द्वितीय विश्व युद्ध के नाजी कब्जे के बाद फ्रांस में पहली धुर दक्षिणपंथी सरकार बन सकती है। मरीन ले पेन की पार्टी आरएन ने संसदीय चुनाव के पहले दौर में करीब 34 प्रतिशत वोट हासिल किए, जो एक बड़ी जीत है। लेकिन ऐसी जीत नहीं जो पार्टी को संसद में पूर्ण बहुमत देती हो।

ले पेन की पार्टी लगभग 29 प्रतिशत वोटों से वामपंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट (एनएफपी) गठबंधन और लगभग 20.5 प्रतिशत वोटों से राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां के मध्यमार्गी एन्सेम्बल गठबंधन से पीछे है। ले पेन ने दूसरे दौर में उनकी पार्टी को जिताने के लिए फ्रांसीसी नागरिकों से उनकी पार्टी को वोट देने की अपील की है।

आधिकारिक नतीजों से पता चलता है कि मरीन ले पेन की इमीग्रेशन विरोधी नीति की वजह से उनकी पार्टी के पास पहली बार संसद के निचले सदन में बहुमत हासिल करने का अच्छा मौका है। लेकिन जटिल मतदान प्रणाली और राजनीतिक रणनीतियों के बीच नतीजे अभी भी अनिश्चित हैं।

रविवार के पहले दौर में, नेशनल रैली और उसके सहयोगी लगभग एक-तिहाई वोटों से आगे रहे। न्यू पॉपुलर फ्रंट गठबंधन जिसमें सेंटर लेफ्ट, ग्रीन और हार्ड-लेफ्ट पार्टियां शामिल हैं, राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां के गठबंधन से आगे दूसरे स्थान पर है। रविवार को कम से कम 50% वोट पाने वाले दर्जनों उम्मीदवार सीधे चुने गए है। अब 7 जुलाई को होने वाले दूसरे दौर के लिए दो या तीन शीर्ष उम्मीदवार बचे हैं। उनके जीतने पर आरएन को बहुमत मिल सकत है। अपनी हार के बावजूद, मैक्रां ने 65.8 फीसदी मतदान का स्वागत किया, और दूसरे दौर में घोर दक्षिणपंथियों के मुकाबले खड़े होने को कहा। राष्ट्रपति ने एक आधिकारिक बयान कहा, "दूसरे दौर में हमे एकजुटता दिखानी है।"

मरीन ले पेन के इरादे

अगर मरीन ले पेन की पार्टी फ्रांस के आकस्मिक चुनाव में जीतती है तो वो क्या करेगी। उसे ले पेन के बयान से समझा जा सकता है। उन्होंने अपना चुनावी एजेंडा जारी करते हुए कहा-  “इस्लामिक विचारधारा से जुड़े लोगों से उनकी राष्ट्रीयता छीन ली जानी चाहिए और उन्हें निष्कासित कर दिया जाना चाहिए। शत्रु की विचारधारा अपनाने वाले फ्रांसीसियों को दंडित किया जाना चाहिए। कट्टरपंथी मस्जिदें बंद कर दी जाएंगी...और मुस्लिम ब्रदरहुड भंग कर दिया जाएगा...।'' 

मतदान के अनुमानों से पता चलता है कि नेशनल रैली के पास अगली नेशनल असेंबली में सबसे अधिक सीटें होंगी, लेकिन यह साफ नहीं है कि उसे 577 सीटों में से 289 का पूर्ण बहुमत मिलेगा या नहीं। फ्रांसीसी मतदान प्रणाली किसी पार्टी को मिले राष्ट्रव्यापी समर्थन को महत्व नहीं देती। सांसद जो जिलों से चुनकर आते हैं, उनका महत्व है।

फ्रांस दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और एक महत्वपूर्ण राजनयिक और सैन्य शक्ति है। फ्रांसीसी मतदाता महंगाई और कम आमदनी और इस भावना से जूझ रहे हैं कि वे दुनिया में पीछे रह गए हैं। ले पेन की पार्टी, जो फ्रांस की कई समस्याओं के लिए इमीग्रेशन को जिम्मेदार ठहराती है, ने मतदाताओं की इस निराशा का लाभ उठाया। उसने एक राष्ट्रव्यापी समर्थन नेटवर्क बनाया, विशेष रूप से छोटे शहरों और किसान समुदायों में, जो मैक्रां और पेरिस के राजनीतिक वर्ग से संपर्क करने में मुश्किल मानते हैं।

अगर नेशनल रैली या उसके  गठबंधन के अलावा किसी अन्य राजनीतिक ताकत को बहुमत मिलता है, तो मैक्रॉन को उस नए बहुमत से संबंधित प्रधानमंत्री नियुक्त करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में सरकार उन नीतियों को लागू करेगी जो राष्ट्रपति की योजना से भिन्न हैं।

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