गांगुली को दिल का दौरा पड़ने से विज्ञापन पर उठे सवाल
सौरव गांगुली ये दावा करते थे कि फ़ॉरच्यून राइसब्रैन तेल का इस्तेमाल करने से दिल का दौरा नहीं पड़ता। यह एक विज्ञापन था। लेकिन खुद सौरभ को दिल का दौरा पड़ा। अब वे स्वस्थ हैं। लेकिन ऐसा विज्ञापन करने पर गहरे सवाल खड़े हो गये है कि क्या यह विज्ञापन झूठा था और सौरव ऐसा विज्ञापन कैसे कर सकते हैं? कंपनी ने अब यह विज्ञापन हटा लिया है ।
हालांकि कंपनी अडानी विलमार ने कहा है कि यह निर्णय कुछ दिनों के लिए है और गांगुली कंपनी के ब्रांड एम्बेसेडर बने रहेंगे, पर इस घटना से विज्ञापन, उससे जुड़े नैतिकता के सवाल और उत्पाद बेचने के लिए अपनाए जा रहे तौर-तरीकों पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
क्या है मामला?
बता दें कि बीसीसीआई अध्यक्ष और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान को दिल का दौड़ा पड़ने के बाद कोलकाता के एक निजी नर्सिंग होम में दाखिला कराया गया, उनके हृदय की तीन धमनियों में ब्लॉकेज पाया गया, एक धमनी का एंजियोप्लास्टी हुआ और उसमें स्टेंट लगाया गया ताकि रक्त प्रवाह सामान्य बना रहे।
लेकिन बिल्कुल चुस्त-दुरुस्त दिखने वाले इस क्रिकेट खिलाड़ी को जनवरी 2020 में अडानी विलमार ने अपना ब्रांड एम्बेसेडर बनाया था। विज्ञापन क्षेत्र की मशहूर कंपनी ओगिल्वी एंड मैथर ने उन्हें केंद्र में रख कर एक विज्ञापन तैयार किया जिसमें यह कहा गया कि फ़ॉरच्यून राइसब्रैन तेल का इस्तेमाल करते रहने से हृदय ठीक रहता है, उससे जुड़ी बीमारियाँ नहीं होती हैं और दिल का दौड़ा नहीं पड़ता है।
और जिस व्यक्ति को केंद्र में रख कर यह सब प्रचारित किया जा रहा था, उसे ही दिल का दौड़ा पड़ा।
कंपनी की किरकिरी
इससे कंपनी की काफी किरकिरी हुई, उसका मजाक उड़ाया गया और उसके तेल की ब्रांड छवि को धक्का लगा। सोशल मीडिया पर इस तरह की टिप्पणियाँ आने लगी, ख़ास कर ट्विटर पर ये चीजें छा गईं।
ट्विटर अकाउंट @RajeshS68514131 का इस्तेमाल करने वाले राजेश शर्मा ने कहा, "कृपया इस तरह का विज्ञापन न करें...आप कह रहे हैं कि तेल दिल को स्वस्थ रखता है और आप स्वयं अस्पताल में भर्ती हैं....सिर्फ पैसे के लिए काम न करें....आप अंतरराष्ट्रीय चेहरा हैं।"
#sauravganguly ji please don't give ads for such things....you are asking the oil is heart healthy...and you laid in the hospital.... don't work only for money... you are an international face so do the things carefully... pic.twitter.com/aDdZNUThJ9
— Rajesh Sharma (@RajeshS68514131) January 4, 2021
पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी कीर्ति आज़ाद ने ट्वीट कर गांगुली के जल्द स्वस्थ होने की कामना की, लेकिन यह भी कहा कि उन्होंने "हमेशा सही व जाँचे-परखे गए उत्पादों का ही प्रचार किया है।" उन्होंने यह सलाह भी दे डाली कि "इस मामले में सावधान रहें।"
Dada @SGanguly99 get well soon. Always promote tested and tried products. Be Self conscious and careful. God bless.#SouravGanguly pic.twitter.com/pB9oUtTh0r
— Kirti Azad (@KirtiAzaad) January 3, 2021
विज्ञापन बंद
कुछ लोगों ने कहा कि किसी भी विज्ञापन पर आँख मूंद कर भरोसा नहीं करना चाहिए तो कुछ लोगों ने कहा कि अब फ़रच्यून तेल को अपनी छवि दुरुस्त करनी होगी।
अडानी विलमार ने इस फ़जीहत के बाद उस विज्ञापन को दिखाना बंद कर दिया। लेकिन कंपनी ने इसके साथ ही यह भी एलान किया है कि यह फौरी कदम है ।
'ब्रांड एम्बेसेडर बने रहेंगे'
'इकोनॉमिक टाइम्स' के मुताबिक़, कंपनी ने कहा, "हम अपने प्रिय दादा के जल्द ठीक होने की कामना करते हैं, वे हमारे ब्रांड एम्बेसेडर बने रहेंगे। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और किसी के साथ हो सकता है, हमने टीवी विज्ञापन को सिर्फ कुछ समय के लिए ही हटाया है, हम उनके साथ काम करते रहेंगे।"
क्या होता है ब्रांड एम्बेसेडर
ब्रांड एम्बेसेडर वह व्यक्ति होता है जिसे कोई संस्था या कंपनी अपने ब्रांड या उत्पाद को सकरात्मक रूप से पेश करने, उसके प्रति लोगों में जागरुकता बढाने या बिक्री बढ़ाने के लिए नियुक्त करती है। वह अपनी मौजूदगी, अपने व्यवहार और दूसरी बातों से कॉरपोरेट आइडेंटिटी यानी कंपनी की पहचान को मजबूत करता है।
ब्रांड एम्बेसेडर के लिए यह ज़रूरी नहीं कि वह उस उत्पाद का इस्तेमाल करे या उसकी पूरी पड़ताल करे। लेकिन उससे इस नैतिकता की उम्मीद ज़रूर की जाती है कि वह उस उत्पाद का प्रचार न करे जिससे वह पूरी तरह सहमत न हो।
सन्नी देओल से यह उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि वे लक्स अंडरवियर पहनते हैं न ही सलमान ख़ान से यह आशा की जाती है कि वे लखानी चप्पल पहनते होंगे। इसी तरह अमिताभ बच्चन से भी यह उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि वे दिमाग ठंडा रखने के लिये एक ख़ास तेल अपने सिर में लगाते हैं या किसी कंपनी के पास सोना गिरवी रख कर क़र्ज़ लिया है। लेकिन जिस उत्पाद का विज्ञापन वो करते हैं और जो वो कहते हैं उसमें अंतर आने से उपभोक्ता के प्रति उनकी ज़िम्मेदारी पर सवाल खड़े होते हैं ।