सिख विरोधी दंगों में पहली बार मौत की सज़ा
दिल्ली हाई कोर्ट ने 1984 में सिख विरोधी दंगों के मामले में मंगलवार को दिये एकअहम फ़ैसले में एक आदमी को मौत की सज़ा सुनाई है और एक दूसरे को आजीवन कारावास की सज़ा दी है।बीते 34 साल में यह पहला मौका है जब सिख विरोधी दंगोें में किसी शख़्स को मौत की सज़ा दी गई है। यशपाल सिंह को मौत की सज़ा और नरेश शेरावत को आजीवन कारावास की सज़ा दी गई है। इन्हें दंगा करने, हत्या करने, लूटपाट और संपत्ति को नुक़सान पँहुचाने का दोषी पाया गया है। साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या दो सिख सुरक्षा गार्डो ने कर दी थी। इसके बाद दिल्ली समेत देश के कइ इलाक़ों में दंगे भड़क उठे थे। इ्न दंगों में 2,800 लोग मारे गये थे। यह पहली बार हुआ है कि इस मामले में किसी कोे मौत की सज़ा मिली है। सिख संगठनोें ने इस पर संतोष जताते हुए माँग की है कि तमाम मामलों का निपटारा ज़ल्द से ज़ल्द किया जाए ताकि पीड़ितोें के साथ न्याय हो सके। साल 2015 में गठित किये गये विशेष जाँच दल ने इन दंगों से जुड़े 60 मामले अपने हाथ में लिये थे। बीते हफ़्ते पहली बार इस टीम को किसी को दोषी साबित करने कामयाबी मिली।