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बिहार: हत्या की वारदात, नीतीश के मंत्री रामसेवक सिंह पर FIR

बिहार: हत्या की वारदात, नीतीश के मंत्री रामसेवक सिंह पर FIR

विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान से ठीक पहले बिहार में हुई एक हत्या के मामले में जेडीयू के मंत्री का नाम सामने आया है। 

विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान से ठीक पहले बिहार में हुई एक हत्या के मामले में जेडीयू के मंत्री का नाम सामने आया है। चुनावी रैलियों में बिहार से अपराध कम हो जाने का दावा करने वाले जेडीयू मुखिया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर इस हत्या के बाद विरोधी सियासी दल हमलावर हो गए हैं। 

जेडीयू के इन मंत्री का नाम रामसेवक सिंह है।  जिस शख़्स को गोली मारी गई है, उनका नाम जय बहादुर सिंह था और वह बजरंग दल से जुड़े थे। हत्या की यह वारदात शुक्रवार को राज्य के मीरगंज इलाक़े में हुई। वारदात के बाद जय बहादुर सिंह के पोते धीरेंद्र सिंह ने मंत्री के ख़िलाफ़ हत्या का मुक़दमा दर्ज कराया है। 

मीरगंज पुलिस स्टेशन के अफ़सर शशि रंजन के मुताबिक़, मृतक के पोते ने कहा है कि मंत्री के ख़िलाफ़ चुनाव प्रचार करने के कारण उनके दादा की हत्या की साज़िश रची गई। मंत्री के अलावा पांच अन्य लोगों का नाम भी मुक़दमे में लिखा गया है। पुलिस का कहना है कि रंगदारी, ज़मीन के विवाद के एंगल से भी इस मामले की जांच की जा रही है। 

स्थानीय समाचार पत्रों के मुताबिक़, हथुआ थाने के रूपचनक गांव के रहने वाले जय बहादुर सिंह बाइक से अपने भतीजे के साथ चाय पीने नजदीक के होटल पर गए थे। बाइक से उतरकर जब वह होटल की ओर जा रहे थे तभी मोटरसाइकिल पर आए दो हमलावरों ने उन पर गोलियां बरसा दीं। हत्या से गुस्साए उनके समर्थकों ने एक अस्पताल, पुलिस के वाहन में तोड़फोड़ की और जाम लगा दिया।

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चुनाव प्रचार के दौरान रामसेवक सिंह।

पुलिस के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी

हालात बिगड़ते देख गोपालगंज के एसपी मनोज तिवारी पुलिस बल के साथ मौक़े पर पहुंचे और लोगों को शांत करने की कोशिश की। लोगों ने पुलिस के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की। तीसरे चरण के मतदान से ठीक पहले हुई इस वारदात और इसमें मंत्री का नाम आने के कारण यह मामला राजनीतिक तूल पकड़ गया। लेकिन पुलिस ने जैसे-तैसे जाम खुलवा दिया और जय बहादुर सिंह के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। छह घंटे से ज़्यादा वक़्त तक लोगों ने जाम लगाए रखा। 

मंत्री रामसेवक सिंह ने कहा है कि वह जय बहादुर सिंह को जानते थे लेकिन उनकी हत्या में उनका कोई हाथ नहीं है। उन्होंने कहा कि आरजेडी दबाव बनवाकर उनका नाम बेवजह इस मामले में घसीट रही है। 

आरजेडी ने हत्या की इस घटना को नीतीश कुमार का महाजंगलराज बताया है।

शक्ति मलिक की हत्या 

पिछले महीने ही आरजेडी के पूर्व नेता शक्ति मलिक की पूर्णिया जिले में उनके घर में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 37 साल के शक्ति मलिक महादलित समाज के नेता थे। इस मामले में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और उनके भाई तेज प्रताप यादव के ख़िलाफ़ एफ़आईआर भी दर्ज की गई थी। 

तेजस्वी और तेज प्रताप के अलावा आरजेडी की दलित सेल के अध्यक्ष अनिल कुमार साधू, अररिया जिले के पार्टी नेता कालू पासवान, सुनीता देवी और एक अन्य व्यक्ति का भी नाम एफ़आईआर में दर्ज है। यह एफ़आईआर मलिक की पत्नी की शिकायत पर दर्ज की गई है जिसमें उन्होंने कहा है कि उनके पति की हत्या राजनीतिक कारणों की वजह से हुई है। 

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शक्ति मलिक।

शक्ति मलिक ने मौत से कुछ दिन पहले एक वीडियो जारी कर आरोप लगाया था कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने चंदे के रूप में उनसे 50 लाख रुपये मांगे थे। मलिक रानीगंज सीट से चुनाव मैदान में उतरना चाहते थे। उन्होंने वीडियो में कहा था कि तेजस्वी यादव ने उन्हें जातिसूचक गालियां दीं। 

शक्ति मलिक की हत्या के मामले में तेजस्वी ने नीतीश कुमार को पत्र लिखकर कहा था कि वे इस मामले में उनके ख़िलाफ़ सीबीआई जांच करवाएं और ज़रूरत पड़े तो उन्हें गिरफ्तार कर पूछताछ करें।

कुछ दिन पहले बक्सर में एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार की भी ख़बर आई और इस तरह के अपराध की ख़बरें लगातार राज्य के अलग-अलग हलकों से आ रही हैं। लालू-राबड़ी के शासन को जंगलराज बताने वाले नीतीश कुमार अपने शासन में दिनदहाड़े हो रही इन हत्याओं को लेकर मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं हैं। 

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