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दक्षिण में भी बड़े पर्दे पर चुनावी जंग; एमजीआर, अम्मा पर बन रहीं फ़िल्में

दक्षिण में भी बड़े पर्दे पर चुनावी जंग; एमजीआर, अम्मा पर बन रहीं फ़िल्में

पॉलिटिकल बॉयोपिक की कड़ी में दो और बड़ी राजनीतिक हस्तियों का नाम जुड़ने जा रहा है। एमजीआर और जे. जयललिता के जीवन पर फ़िल्में बननी शुरू हो गई हैं। 

पॉलिटिकल बॉयोपिक की कड़ी में दो और बड़ी राजनीतिक हस्तियों का नाम जुड़ने जा रहा है। दक्षिण में तमिलनाडु के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों और अपने ज़माने में बेहद मशहूर रहे फ़िल्मी कलाकारों- एम. जी. रामचंद्रन (एमजीआर) और जे. जयललिता के जीवन पर फ़िल्में बननी शुरू हो गई हैं। पिछले दिनों मनमोहन सिंह, बाल ठाकरे, एन. टी. रामा राव (एनटीआर), वाई. एस. राजशेखर रेड्डी (वाईएसआर) पर बनीं फ़िल्में चर्चा और विवाद का विषय रही हैं। वैसे भी भारतीय दर्शक महात्मा गाँधी, सरदार पटेल, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, डॉ. बी. आर. अम्बेडकर पर बनीं फ़िल्में भी देख चुके हैं। दक्षिण में सामाजिक क्रांतिकारी 'पेरियार' रामस्वामी, पूर्व मुख्यमंत्री और 'किंगमेकर' के नाम से मशहूर रहे कामराज, डॉ. बी. आर. अम्बेडकर पर फ़िल्में बन चुकी हैं। मशहूर निर्माता-निर्देशक मणिरत्नम ने एमजीआर और करुणानिधि के राजनीतिक रिश्ते, दोस्ती-दुश्मनी पर भी एक फ़िल्म बनाई है। अब बारी एमजीआर और 'अम्मा' के नाम से मशहूर रही जयललिता की है। 

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जयललिता के जीवन पर बन रही फ़िल्म का नाम रखा गया है 'आयरन लेडी' और फ़िल्म में जयललिता का किरदार निभा रही हैं मशहूर अभिनेत्री नित्या मेनन। कामराज पर फ़िल्म बनाने वाले ए. बालकृष्णन एमजीआर की बायोपिक बना रहे हैं। फ़िल्म में एमजीआर का किरदार निभा रहे हैं सतीश कुमार।

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 - Satya Hindi

एमजीआर पर बनायी जा रही है फ़िल्म बायोपिक।

किसे होगा फ़ायदा, किसे नुक़सान

अगर इन फ़िल्मों के संभावित राजनीतिक प्रभाव की बात की जाय तो इन दोनों में एमजीआर और जयललिता को महानायक और महानायिका के तौर पर दर्शाया जाएगा, जिसकी वजह से सत्ताधारी एआईएडीएमके को फ़ायदा मिलने की संभावना बनेगी। अपने-अपने जीवनकाल में एआईएडीएमके के मुखिया रहे एमजीआर और जयललिता दोनों का डीएमके के अध्यक्ष करुणानिधि से राजनीतिक वैर था। इस समय करुणानिधि के बेटे स्टालिन के हाथों में डीएमके की कमान है और वह एआईएडीएमके की सत्ता को चुनौती दे रहे हैं, जिसकी कमान मुख्यमंत्री पलानीसामी और उपमुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम के हाथों में है। 

दो घटनाओं के चित्रीकरण को लेकर इन फ़िल्मों में लोगों की ख़ास नज़र रहेगी। 

  1. पहली, किस तरह से जयललिता ने एमजीआर की पत्नी जानकी को राजनीतिक मात देकर पार्टी की मुखिया बनी थीं। 
  2. दूसरी, किस तरह से करुणानिधि के नेतृत्व वाले डीएमके के विधायकों ने विधानसभा में जयललिता का अपमान किया था।

इन दो घटनाओं से मामला डीएमके के ख़िलाफ़ जा सकता है और एआईएडीएमके के नेता अम्मा के चाहने वालों को अपनी ओर खींच सकते हैं। इन सब के बीच इस बात में दो राय नहीं कि ये दोनों फ़िल्में तमिलनाडु विधानसभा को ध्यान में रखकर ही बनायी जा रही हैं। वैसे भी तमिलनाडु में राजनीति और सिनेमा का शुरू से ही गहरा संबंध रहा है। दोनों- एमजीआर और जयललिता ने भी फ़िल्मी दुनिया में धूम मचाने के बाद राजनीति में एंट्री ली थी और काफ़ी लंबे समय तक सत्ता में रहे थे।

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