अर्णब जेल से बाहर लेकिन महाराष्ट्र पुलिस के साथ जंग जारी
आर्किटेक्ट अन्वय नाइक की आत्महत्या के मामले में रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से भले ही जमानत मिल गयी हो लेकिन उनके रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क को राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। पुलिस ने अब इस मामले में कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) एस. सुंदरम को समन जारी किया है।
पुलिस ने यह समन अर्णब गोस्वामी के बयान को आधार बनाते हुए जारी किया है। उल्लेखनीय है कि अदालत ने इस मामले में रायगढ़ पुलिस की अपराध शाखा की एक टीम को अर्णब गोस्वामी से तलोजा सेंट्रल जेल में तीन घंटे तक पूछताछ करने की अनुमति दी थी।
क्राइम ब्रांच के एक अफ़सर के मुताबिक़, पूछताछ के दौरान अर्णब ने कहा था कि कंपनी की ओर से भुगतान करना सीएफओ का काम था। अधिकारी ने कहा, "इसलिए, हमने उन्हें समन जारी किया है और आने वाले दिनों में उन्हें हमारे सामने पेश होना चाहिए।"
अफ़सर ने कहा कि अभियुक्त के वित्तीय रिकॉर्ड की जांच करने सहित इस मामले में अन्य पहलुओं पर पूछताछ जारी है। मामले में अर्णब गोस्वामी के अलावा सह-अभियुक्त फ़िरोज़ शेख और नितेश शारदा हैं और उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जमानत हासिल हुई है।
पुलिस के मुताबिक़, दूसरे अभियुक्तों ने कहा है कि उन्होंने नाइक को भुगतान किया था, हालांकि काम की समय सीमा पूरी नहीं हुई थी। पुलिस का कहना है कि आने वाले दिनों में कुछ और लोगों को समन जारी किया जाएगा।
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अलीबाग पुलिस के अफ़सर एस. वरडे, जिन्होंने शुरू में इस मामले की जांच की थी, ने दावा किया था कि अभियुक्तों पर पैसे बकाया होने के बजाय, नाइक पर ही फिरोज़ शेख और नितेश शारदा का पैसा बकाया था और इसी बात को आधार बनाकर पुलिस ने पिछले साल इस मामले में अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। वरडे के ख़िलाफ़ फिलहाल कोंकण पुलिस महानिरीक्षक के द्वारा विभागीय जांच की जा रही है।
वरडे ने सुसाइड नोट में नामजद तीनों अभियुक्तों पर आरोप लगाने के लिए अपर्याप्त सबूत होने का हवाला देते हुए केस को बंद कर दिया था लेकिन इस साल अक्टूबर में यह मामला फिर से खोला गया और जांच रायगढ़ क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई।
बीजेपी अर्णब के संग
आर्किटेक्ट अन्वय नाइक और उनकी मां ने 2018 में आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी से महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल सा आ गया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर दर्जनों मंत्रियों तथा बीजेपी आईटी सेल से जुड़े नामी-गिरामी चेहरों ने इसे महाराष्ट्र में आपातकाल जैसे हालात तथा पत्रकारिता पर हमला बताया था।
यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने जब इस मामले में व्यक्तिगत आज़ादी की बात कहते हुए अर्णब को जमानत देने का फ़ैसला किया तो सोशल मीडिया पर अदालत के फैसले की जमकर आलोचना होने लगी। आलोचनाओं का दौर अभी थमा नहीं है और ऐसे ही एक आलोचनात्मक ट्वीट पर कॉमेडियन कुणाल कामरा के ख़िलाफ़ अवमानना का मुक़दमा चलाये जाने की तैयारी शुरू हो गयी है।