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फीफा ने AIFF से प्रतिबंध हटाया, विश्व कप की मेजबानी करेगा भारत 

फीफा ने AIFF से प्रतिबंध हटाया, विश्व कप की मेजबानी करेगा भारत 

फीफा ने एआईएफएफ पर फीफा के कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाया था और कहा था कि अंडर-17 महिला विश्व कप तय कार्यक्रम के अनुसार नहीं हो सकता है। 

अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल संस्था फीफा ने शुक्रवार को ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) से अपना निलंबन हटा लिया है। अब भारत अक्टूबर में होने वाले अंडर-17 महिला विश्व कप 2022 की मेजबानी कर सकेगा। फीफा ने 15 अगस्त को एआईएफएफ पर बैन लगा दिया था और इसके पीछे किसी तीसरे पक्ष के दखल का हवाला दिया था। 

फीफा ने एआईएफएफ पर फीफा के कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाया था और कहा था कि अंडर-17 महिला विश्व कप तय कार्यक्रम के अनुसार नहीं हो सकता है। 

सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को एआईएफएफ के कामकाज की देखरेख के लिए बनाई गई प्रशासकों की समिति यानी सीओए को भंग कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने ही पिछले साल इस समिति को बनाने का निर्देश दिया था। 

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि एआईएफएफ प्रबंधन के काम की देखरेख कार्यवाहक महासचिव के नेतृत्व वाले एआईएफएफ के प्रशासन के द्वारा की जाए। उसके बाद ही फीफा की ओर से प्रतिबंध हटाने का फैसला लिया गया है। 

भूटिया बन सकते हैं अध्यक्ष 

एआईएफएफ के चुनाव 2 सितंबर को होने हैं। इसमें भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व कप्तान भाईचुंग भूटिया अगले अध्यक्ष बन सकते हैं। भूटिया ने अपने साथी पूर्व फुटबॉलरों से एक साथ आने और भारतीय फुटबॉल व्यवस्था को बेहतर करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा था कि वह भारतीय फुटबॉल का नेतृत्व करने के लिए सही शख्स हैं। उन्होंने राजनीति को खेल से दूर रखने की अपील भी की थी। 

सुप्रीम कोर्ट ने लंबे समय तक चुनाव नहीं करा पाने के कारण एआईएफएफ के पिछले नेतृत्व को हटा दिया था और इसके बाद प्रफुल्ल पटेल को अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था। 

3 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एआईएफएफ के चुनाव कराने का आदेश दिया था। यह चुनाव सीओए के द्वारा कराए जाने थे और इसमें 36 खिलाड़ियों को मतदान करने का अधिकार दिया गया था। लेकिन फीफा इस बात के पक्ष में नहीं था कि व्यक्तिगत सदस्यों का किसी तरह का निर्वाचक मंडल बनाया जाए और उसने 15 अगस्त को एआईएफएफ को निलंबित कर दिया था।

एआईएफएफ ने सुप्रीम कोर्ट के सामने प्रस्ताव रखा था कि मतदाता सूची में केवल एआईएफएफ के राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों के सदस्य संघों के प्रतिनिधि ही शामिल होने चाहिए और इसमें खिलाड़ियों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

फीफा के द्वारा बैन लगाए जाने के बाद सीओए के वकील गोपाल शंकर नारायण ने फीफा पर सवाल उठाया था और कहा था कि भारत को किसी के भी दबाव के आगे नहीं झुकना चाहिए। केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एआईएफएफ का निलंबन पूरे देश और सभी फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए घातक कदम है।

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