आर्थिक सुधार का अगला चरण शुरू, रक्षा उत्पादन में 74% एफ़डीआई की छूट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संकेत दिया है कि देश की अर्थव्यवस्था में सुधार की तुरन्त ज़रूरी है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए यहाँ की अर्थव्यवस्था को कम्पीट करना होगा और इसके लिए सुधार की ज़रूरत है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि मेक इन इंडिया को आगे बढ़ाने की ज़रूरत है और ऐसा भारत बनाना होगा जो कम्पीट कर सके, जो अधिक से अधिक निवेश आकर्षित कर सके।
वित्त मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के शुरू में ही कहा कि स्ट्रक्चरल रीफ़ॉर्म्स की ज़रूरत है और इसके अगले चरण की शुरुआत की जाएगी।
बता दें कि स्ट्रक्चरल रीफ़ॉर्म का सामान्य भाषा में अर्थ यह है कि सरकार बची खुची जगहों से भी अपने हाथ खीचेंगी और निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करेगी। सामान्य भाषा में कहें तो निजीकरण को और बढ़ावा देगी।
कोयला
- सरकार कोयला क्षेत्र में निजी कंपनियों को प्रोत्साहित करेगी।
- कोल बेस्ड मीथेन निकालने के लिए निजी कंपनियों को कहा जाएगा और उन्हें हर तरह की सुविधाएं दी जाएंगी।
- इसके लिए कोल ब्लॉक की नीलामी की जाएगी।
- दूसरी ओर, कोयला का आयात जारी रहेगा।
- इसके साथ ही सरकार निजी कंपनियों के साथ राजस्व साझा करने की नीति अपनाएगी।
- सरकार ऐसे 50 ब्लॉक को नीलाम करेगी।
- इसके लिए पात्रता की सीमा नहीं रहेगी। जो पैसे दे सकेंगे, उन्हें ही इसका लाइसेंस दिया जाएगा।
- ढाँचागत सुविधाएं सरकार तैयार करेगी और इस पर 50 हज़ार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
खनन
खनन क्षेत्र में निजी कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए एक्सप्लोरेशन-माइनिंग-प्रोडक्शन की नीति अपनाई जाएगी। इससे जुड़े दूसरे क्षेत्रों की भी अनुमति दी जाएगी। उदाहरण के लिए, अल्युमिनियम के लिए बॉक्साइट खदान लेने वालों को कोयला ब्लाक भी दिया जाएगा। इससे अल्युमिनियम कंपनी को सस्ती बिजली मिल सकेगी।
- कैप्टिव माइन्स की बात हटा दी जाएगी।
- जिस खदान में जो कुछ खनिज बचा रहेगा, वह किसी दूसरे को इस्तेमाल के लिए दिया जा सकेगा। माइनिंग लीज़ का ट्रांसफर किया जा सकेगा।
- 500 माइनिंग ब्लॉक उपलब्ध कराया जाएगा।
- स्टैम्प ड्यूटी नियमों को दुरुस्त किया जाएगा।
- सरकार इस क्षेत्र पर 50 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करेगी।
रक्षा उपकरण
रक्षा मामलों में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित किया जाएगा, उन्हें मदद दी जाएगी। सरकार कुछ उपकरणों का आयात पर रोक लगा देगी। यानी ये वे उपकरण होंगे, जिन्हें देश के अंदर ही खरीदना होगा। यह सूची धीरे धीरे समय के साथ बड़ी होती जाएगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि ऑर्डिनेंस फ़ैक्ट्री बोर्ड का कॉरपोरेटीकरण किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ़ किया कि इसका मतलब निजीकरण नहीं है।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि ऑर्डिनेंस फ़ैक्ट्री बोर्ड का निजीकरण नहीं किया जाएगा, पर वे कंपनियाँ स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध हो सकेंगी, पूंजी बाज़ार से पैसे उगाह सकेगी, उन्हें पारदर्शिता रखनी होगी, उन्हें पूरी जानकारी सबके साथ साझा करनी होगी।
वित्त मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि इससे आयात बिल कम होगा और भारतीय कंपनियों को बेहतर मौका मिलेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सबसे बड़ी घोषणा यह है कि रक्षा क्षेत्र में ऑटोमैटिक रूट से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफ़डीआई की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ कर 74 प्रतिशत कर दी गई है।