जेल से छूटे फ़ारूक़ अब्दुल्ला, राजनीतिक बयान देने से किया इनकार
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला शुक्रवार को जेल से छूट गए। वह 7 महीने बाद जेल से छूटे हैं। जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने के तुरन्त बाद सरकार ने उन्हें उनके अपने ही घर में नज़रबंद कर दिया था। बाद में उन पर पीएसए लगा कर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और उनके आवास को ही उप जेल में तब्दील कर दिया गया था।
जेल से छूटने के बाद अब्दुल्ला ने कहा, 'मेरे पास शब्द नहीं हैं, आज मैं आज़ाद हूँ, मैं आज़ाद हूँ।'
फ़ारूक अब्दुल्ला ने कोई राजनीतिक टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, 'जब तक सारे लोग रिहा नहीं हो जाते, मैं किसी राजनीतिक मुद्दे पर नहीं बोलूँगा।'
इसके थोड़ी देर पहले ही सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री पर से पब्लिक सेफ़्टी एक्ट (पीएसए) हटाने का एलान किया था।
राज्य सरकार ने शुक्रवार को पीएसए हटा कर उनकी गिरफ़्तारी ख़त्म करने का आदेश जारी कर दिया था। बता दें कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद यानी 5 अगस्त को फ़ारूक़ अब्दुल्ला को नजरबंद कर दिया गया था। उन्हें अपने घर पर ही नज़रबंद किया गया था।
लेकिन जब इस नज़रबंदी को अदालत में चुनौती दी गई, सरकार ने उन पर पीएसए लगा दिया। इसके बाद उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया था।
थरूर ने किया स्वागत
कांग्रेस के सांसद और साहित्यकार शशि थरूर ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला की रिहाई का स्वागत किया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'डॉ फ़ारूक़ अब्दुल्ला की देर से हुई रिहाई का स्वागत है। मुझ उम्मीद है कि वह लोकसभा की अगली पंक्ति में जल्द ही फिर बैठने लगेंगे, जिसका उन्हें पूरा हक़ है। वह वहाँ से पूरे जोश-खरोश से देस और अपने राज्य से जुड़ी समस्याओं को उठा सकते हैं।'Welcome the belated release of Dr Farooq Abdullah. I hope he will soon resume his rightful place on the front bench of the Lok Sabha, where he can address with his usual compelling vigour the issues facing his state & the state of the nation. His detention was a disgrace. pic.twitter.com/TnCR2BZ04x
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) March 13, 2020
कांग्रेस नेता और राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने फ़ारूक अब्दुल्ला की रिहाई पर खुशी जताते हुए उम्मीद की है कि दूसरे पूर्व मुख्यमंत्रियों और दूसरे लोगों को भी जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा।
Glad to hear the news of the release of Former CM #FarooqAbdullah ji.
— Sachin Pilot (@SachinPilot) March 13, 2020
I hope that other former Chief Ministers detained in J&K are also released soon. pic.twitter.com/swi9PjFDgu
एमडीएमके के नेता वाईको ने फ़ारूक की नज़रबंदी को अदालत में चुनौती दी थी। चेन्नई में एक कार्यक्रम रखा गया था, जिसमें अब्दुल्ला कोे निमंत्रित किया गया था। इसके बाद वाइको ने उनकी नज़रबंदी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने फ़ारूक़ पर पीएसए लगा दिया।
फ़ारूक़ अब्दुल्ला की बेटी ने अपने पिता पर से पीएसए हटने की पुष्टि कर दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'मेरे पिता अब आज़ाद हैं।'
My father is a free man again.
— Safia Abdullah Khan (@safiakhan71) March 13, 2020
क्या है मामला
पीएसए के तहत बग़ैर मुक़दमा चलाए दो साल तक नज़रबंद या गिरफ़्तार रखा जा सकता है। फ़ारूक के आवास को ही उप जेल में तब्दील कर दिया गया था। पहले तीन महीने के लिए पीएसए लगाया गया। तीन महीने की मियाद 15 दिसंबर को खत्म होने वाली थी, उससे दो दिन पहले यानी 13 दिसंबर को उनकी गिरफ़्तारी 3 महीने के लिए बढ़ा दी गई थी। यह मियाद आज ख़त्म हो गई।पीएसए के तहत आतंकवादियों, अलगाववादियों और जम्मू-कश्मीर में सुरक्ष बलों पर पत्थर फेंकने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाती रही है। यह पहली बार हुआ कि मुख्यधारा के किसी राजनेता पर पीएसए लगाया गया। फ़ारूक के अलावा उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और राज्य की एक दूसरी पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती पर भी पीएसए लगाया गया है।
क्या कहा था फ़ारूक़ ने
सरकार ने फ़ारूक़ पर 'नियम क़ानून भंग' करने का आरोप लगाया था। अनुच्छेद 370 ख़त्म किए जाने के बाद वाजेपयी सरकार में मंत्री रहे इस नेता ने कहा था, 'आपको कैसा लगेगा यदि शरीर का कोई हिस्सा काट कर अलग कर दिया जाए शरीर का जो हिस्सा हर हाल में साथ था, जिसने मिल कर लड़ाई लड़ी थी'इसके बाद ही फ़ारूक़ अब्दुल्ला को नज़रबंद कर दिया गया था। उसके बाद अब तक किसी ने उन्हें सार्वजनिक जीवन में नहीं देखा है।