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कृषि क़ानून: किसानों ने पंजाब में बीजेपी विधायक को पीटा, कपड़े फाड़े

कृषि क़ानून: किसानों ने पंजाब में बीजेपी विधायक को पीटा, कपड़े फाड़े

कृषि क़ानूनों पर बीजेपी से नाराज़ किसानों के एक समूह ने पंजाब के मुक्तसर ज़िले के मलोट में बीजेपी के अबोहर विधायक अरुण नारंग की कथित तौर पर पिटाई कर दी और उनके कपड़े फाड़ दिए। 

कृषि क़ानूनों पर बीजेपी से नाराज़ किसानों के एक समूह ने पंजाब के मुक्तसर ज़िले के मलोट में बीजेपी विधायक की कथित तौर पर पिटाई कर दी और उनके कपड़े फाड़ दिए। अबोहर विधायक अरुण नारंग शनिवार को स्थानीय नेताओं के साथ एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस करने पहुँचे थे। लेकिन किसानों ने उन्हें घेर लिया। उन पर काली स्याही फेंकी गई। इस घटना की पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, कांग्रेस के अन्य नेताओं, शिरोमणि अकाली दल, बीजेपी और किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने निंदा की है।

जब से नये कृषि क़ानून बनाए गए हैं तब से किसान बीजेपी से नाराज़ हैं। लेकिन उनकी नाराज़गी तब और बढ़ गई जब पंजाब-हरियाणा के किसान दिल्ली आ रहे थे तो हरियाणा की बीजेपी सरकार ने उनपर बल प्रयोग किया। दिल्ली में सिंघु, टिकरी और गाज़ीपुर बॉर्डर पर भी किसानों के साथ सख्ती बरतने की ख़बरें आती रहीं। और इसी बीच किसानों ने बीजेपी नेताओं का विरोध करना शुरू कर दिया। इसकी शुरुआत हुई हरियाणा में। 

हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी विधायकों के लिए गाँवों में सार्वजनिक बैठकें करना मुश्किल कर दिया। किसानों ने उन्हें काले झंडे दिखाए। यहाँ तक कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की करनाल में किसान महापंचायत का ज़बरदस्त विरोध हुआ था और उनको अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा था। इस बीच कुछ बीजेपी विधायकों ने किसानों का समर्थन भी किया। बाद में बीजेपी प्रतिनिधियों के विरोध की ख़बरें पंजाब और उत्तर प्रदेश से भी आईं। 

कृषि क़ानूनों को लेकर किसान आंदोलन के बाद बीजेपी विधायकों और जेजेपी विधायकों पर भी किसानों का साथ देने का दबाव है। इनके बारे में भी कहा जा रहा है कि उन्हें डर है कि अगले चुनाव में उन्हें वोट नहीं मिलेंगे। 

इसी बीच पंजाब के मलोट में बीजेपी विधायक नारंग से मारपीट की घटना सामने आई है। पुलिस के अनुसार, मलोट पहुँचने पर जैसे ही किसानों के एक समूह ने विरोध-प्रदर्शन शुरू किया और उन्हें घेरने की कोशिश की, कुछ पुलिस कर्मियों ने उन्हें एक दुकान में ले जाकर सुरक्षित करने की कोशिश की। 

लेकिन जब वे दुकान से बाहर आए तो प्रदर्शनकारियों ने उन्हें कथित तौर पर पीटा और उनके कपड़े फाड़ दिए। बाद में किसी तरह पुलिस उन्हें किसी तरह सुरक्षित जगह पर ले जा सकी।

इस घटना पर पुलिस ने सफ़ाई दी है। 'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के मुताबिक़ मलोट के पुलिस उप अधीक्षक जसपाल सिंह ने कहा कि प्रदर्शनकारी इस बात पर अड़े थे कि वे बीजेपी विधायकों को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की अनुमति नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि एक पुलिस अधिकारी को इस घटना में मामूली चोट लगी है। 'पीटीआई' की रिपोर्ट के अनुसार नारंग ने भी आरोप लगाया है कि उन्हें कुछ लोगों ने मुक्के मारे और उनके कपड़े फाड़े गए। हालाँकि उन्होंने इस संबंध में तब कोई केस दर्ज नहीं कराया था और कहा था कि वह इस मामले में अपनी पार्टी के नेताओं से बात करेंगे। रविवार को ख़बर आई है कि मलोट थाने में एफ़आईआर दर्ज की गई है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने जसीयना और बीकेयू सिद्धूपुर के अध्यक्ष सुखदेव सिंह बुरबुजार सहित सात लोगों के ख़िलाफ़ हत्या और दंगा करने के प्रयास के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। इनके अलावा 200 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ भी एफ़आईआर दर्ज की गई है। 

इस घटना के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर हमले की निंदा की है और 'राज्य की शांति भंग करने वाले' के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से कृषि क़ानून वापस लेने की माँग भी की। 

शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने ट्वीट किया है, 'मलोट में बीजेपी के अबोहर विधायक अरुण नारंग पर हुआ हिंसक हमला बेहद निंदनीय है! हम निर्वाचित प्रतिनिधि की गरिमा की रक्षा करने में विफल रहने पर राज्य पुलिस पर ज़िम्मेदारी तय करने के लिए घटना की निष्पक्ष जाँच की मांग करते हैं। शर्मनाक है कि कांग्रेस सरकार क़ानून और व्यवस्था बनाए रखने में विफल रही है!'

संयुक्त किसान मोर्चा ने भी इस घटना के बाद एक बयान जारी कर इसकी निंदा की है। 

केंद्रीय कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शन पाल ने एक बयान में कहा, 'आज किसानों ने बीजेपी विधायक के ख़िलाफ़ अबोहर में विरोध प्रदर्शन किया। प्रतिकूल परिस्थितियों में यह हिंसक हो गया और विधायक पर शारीरिक हमला किया गया। यह खेद की बात है कि एक निर्वाचित प्रतिनिधि के साथ इस तरह से व्यवहार किया गया। हम इस तरह के व्यवहार को प्रोत्साहित नहीं करते हैं। हम इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हैं।'

दर्शन पाल ने यह भी कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी प्रदर्शनकारियों से शांतिपूर्ण और अनुशासित रहने की अपील करता है।

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