पंजाब में अपनी तमाम मांगों को लेकर चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर धरना देने वाले किसान आखिरकार मान गए हैं। किसानों की मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ बुधवार को 3 घंटे तक पंजाब भवन में बातचीत हुई। इसमें किसानों और पंजाब सरकार के बीच अधिकतर मांगों पर सहमति बन गई है। इसके बाद किसानों ने धरने को स्थगित करने का एलान किया।
किसान 200 ट्रॉलियों में राशन और तमाम जरूरी सामान लेकर धरने पर पहुंचे थे।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा था कि अगर राज्य सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो दिल्ली की तरह यहां भी आंदोलन किया जाएगा और बड़ी संख्या में किसान यहां धरना देंगे।
क्या थी मांगें?
किसान प्रत्येक कुंटल गेहूं पर 500 रुपये का बोनस चाहते हैं। उनका कहना है कि इस बार उनकी उपज पर गर्मी का बेहद खराब असर हुआ है। किसान पंजाब सरकार द्वारा धान की रोपाई की अनुमति 18 जून से देने के फैसले के भी खिलाफ थे।
उनकी मांग थी कि धान की रोपाई की तारीख में बदलाव किया जाए। किसान चाहते हैं कि मक्का और मूंग के लिए सरकार एमएसपी को लेकर अधिसूचना जारी करे, गन्ने का बकाया भुगतान जल्द से जल्द किया जाए और स्मार्ट इलेक्ट्रिसिटी मीटर लगाए जाएं। इनमें से अधिकतर मांगों पर सहमति बन चुकी है।
किसान नेताओं ने चेतावनी दी थी कि अगर बुधवार तक उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे आगे बढ़ने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
अलर्ट पर थी पुलिस
हालात को देखते हुए चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई थी। किसानों को काबू में करने के लिए पुलिस ने बैरिकेड, वाटर कैनन सहित कई जरूरी इंतजाम किए थे। चंडीगढ़ पुलिस भी किसानों के प्रदर्शन को लेकर पूरी तरह अलर्ट पर थी।
दिल्ली का किसान आंदोलन
यहां बताना जरूरी होगा कि बीते साल दिल्ली के बॉर्डर पर पंजाब के किसानों की अगुवाई में 13 महीने तक बड़ा आंदोलन चला था और केंद्र सरकार को उनकी मांग मानते हुए कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा था।