क़ानून वापस नहीं होने तक घर वापसी नहीं: किसान नेता
कृषि क़ानूनों पर तात्कालिक रोक और कमेटी गठन के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद भी किसानों ने साफ़ तौर पर कहा है कि वे क़ानून वापस लिए जाने तक दिल्ली से अपने-अपने घरों को नहीं लौटेंगे। फ़ैसले के तुरंत बाद अपनी प्रतिक्रिया में बीकेयू के किसान नेता राकेश सिंह टिकैत ने कहा कि कमेटी गठन को लेकर किसान नेता विचार-विमर्श के बाद फ़ैसला लेंगे।
इससे पहले विवादास्पद कृषि क़ानून 2020 को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बेहद महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए तीनों कृषि क़ानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि वह एक कमेटी बनाएगी और यदि किसान समस्या का समाधान चाहते हैं तो उन्हें उसमें पेश होना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक आदेश जारी करते हुए कहा, 'अगर किसान सरकार के पास जा सकते हैं तो कमेटी के सामने क्यों नहीं आ सकते? अगर वे समस्या का समाधान चाहते हैं तो हम यह नहीं सुनना चाहते कि किसान कमेटी के समक्ष पेश नहीं होंगे।'
कमेटी के इसी सवाल पर पत्रकारों के साथ बातचीत में राकेश टिकैत ने कहा, 'न तो हम सुप्रीम कोर्ट में गए और न ही हमने कमेटी की माँग कभी की। हम अपनी कोर कमेटी की बैठक में आगे इस पर विचार करेंगे।'
जब टिकैत से पूछा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने तो फ़िलहाल रोक लगा दी है तो क्या अब वे घर लौटेंगे तो उन्होंने कहा कि यदि हम वापस चले गए और फिर सरकार इन क़ानूनों को वापस नहीं ली तब क्या होगा।
राकेश सिंह टिकैत ने साफ़-साफ़ कहा कि जब तक क़ानून वापस नहीं लिया जाएगा तब तक हम घर नहीं जाएँगे। हालाँकि, उन्होंने इस पूरे मामले पर किसानों की कोर कमेटी की बैठक में अंतिम निर्णय लिए जाने की बात कही।
इस मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरीष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह स्पष्ट कर सकता है कि यह किसी पक्ष की जीत नहीं होगी, बल्कि क़ानून की प्रक्रिया के जरिए जाँच की कोशिश होगी।
हालाँकि, किसानों के 400 निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे, एचएस फूलका, कॉलिन गोंसाल्वेस आज सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही में शामिल नहीं हुए हैं।
किसानों ने पहले ही कमेटी में शामिल होने के प्रति अनिच्छा जाहिर की थी। एक दिन पहले यानी सोमवार को जब सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाने का सुझाव दिया था तब संयुक्त किसान मोर्चा ने इस मामले में बयान जारी किया है। इसने अपने बयान में कहा है कि कृषि क़ानूनों को लागू किए जाने से रोकने के सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का सभी संगठन स्वागत करते हैं लेकिन वे सामूहिक और व्यक्तिगत रूप से सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित किसी कमेटी की कार्यवाही में शामिल होने के प्रति अनिच्छुक हैं। उन्होंने कहा था कि वे सर्वसम्मति से कृषि कृानूनों को रद्द करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा का यह बयान सोमवार को तब आया जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी।