हिंसा के पीछे दीप सिद्धू, केंद्रीय एजेंसियों पर आरोप क्यों?
ट्रैक्टर रैली के दौरान मंगलवार को जो हिंसा हुई उससे पहले सिंघु बॉर्डर पर किसानों के बीच क्या हुआ था? क्या कोई योजना बनी थी और यदि बनाई थी तो किसने? क्या इसमें केंद्र सरकार की एजेंसियों का हाथ था और क्या पंजाबी फ़िल्मों के अभिनेता दीप सिद्धू ने इसमें अहम भूमिका निभाई? ये सवाल इसलिए कि हिंसा के बाद कई किसान नेताओं ने कुछ ऐसे ही आरोप लगाए हैं।
हिंसा के बाद किसान नेताओं ने जो बताया उससे शायद इन सवालों के जवाब मिल जाए कि आख़िर हिंसा हुई कैसे। किसानों ने कहा कि सोमवार रात को सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के मंच को कुछ 'फ्रिंज एलिमेंट' ने हथिया लिया था और उन्होंने 'हमारा रूट रिंग रोड' का नारा दिया था। जबकि संयुक्त किसान मोर्चा और पुलिस के बीच जो तीन रूट तय हुए थे उसमें रिंग रोड शामिल नहीं था। इसी का कुछ युवा विरोध कर रहे थे।
इस विरोध का नेतृत्व करने वालों में पंजाबी फ़िल्मों के अभिनेता दीप सिद्धू और लखबीर सिंह सिधाना उर्फ लखा सिधाना शामिल थे। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा है कि ऐसी बेकाबू स्थिति की नींव सोमवार देर शाम तब पड़ गई थी जब संयुक्त मोर्चा के मंच पर हंगामा खड़ा हो गया। और इस हंगामे का नेतृत्व सिद्धू और सिधाना ने किया। सिद्धू मंगलवार को लाल क़िले में थे। हालाँकि सिधाना थे या नहीं इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
दीप सिद्धू ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार सनी देओल के लिए प्रचार किया था। सिद्धू और उनके भाई मनदीप सिंह को इसी महीने एनआईए यानी राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने सिख फ़ॉर जस्टिस से संबंध के लिए समन भेजा था।
सिधाना गैंग्स्टर से राजनेता बने हैं और वह मालवा यूथ फ़ेडरेशन के अध्यक्ष हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले सिधाना को कई जघन्य मामलों में बरी कर दिया गया था। पंजाब की पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार के रूप में मनप्रीत सिंह बादल द्वारा उनको लाया गया था। उन्हें युवाओं को किसानों के आंदोलन से जोड़ने में अहम कड़ी के रूप में देखा गया।
‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, किसान नेता राजिंदर सिंह ने हिंसा की स्थिति के लिए केंद्रीय एजेंसियों को दोषी ठहराया और कहा कि दीप सिद्धू ने भी ठीक भूमिका नहीं निभाई। रिपोर्ट के अनुसार, बीकेयू एकता उगराहन के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगरान ने कहा, 'जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है और हम इस सब पर ग़ौर करेंगे और देखेंगे कि क्या ग़लत हुआ क्योंकि केंद्रीय एजेंसियाँ अपनी योजना बनाने में सफल रहीं।'
बीकेयू हरियाणा के नेता गुरनाम सिंह चड़ूनी ने लाल क़िले मामले में युवाओं को गुमराह करने के लिए दीप सिद्धू की आलोचना की और उन्हें केंद्र सरकार का 'दलाल' बताया। उन्होंने साफ़ किया कि किसानों का आंदोलन धार्मिक नहीं था और भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा।
मंगलवार शाम को जारी एक वीडियो में चड़ूनी ने लोगों को दीप सिद्धू से सावधान रहने के लिए चेताया और कहा, 'लाल क़िला में आज जो भी घटना हुई है उसे धार्मिक रंग देना निंदनीय है। हमारा विरोध केवल किसानों और एक जन आंदोलन का है, जो धार्मिक नहीं है। और दीप सिद्धू ने जो भी किया है, हम इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं और हमें लगता है कि वह सरकार के एक दलाल हैं जो कई दिनों से गड़बड़ कर रहे हैं। हर बार, वह किसान नेताओं के ख़िलाफ़ बोलते हैं और गुमराह करते हैं। उन्होंने आज जो कुछ भी किया वह बेहद निंदनीय है क्योंकि हमने लाल क़िला जाने के लिए ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया था।'
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, किसान नेताओं के हवाले से कहा गया है कि सोमवार रात जब युवाओं ने सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के मंच को क़रीब छह घंटे तक हाइजैक कर लिया तो किसानों को दीप सिद्धू और सिधाना ने संबोधित किया। सिद्धू ने कहा, 'हमारा नेतृत्व दबाव में है। हमें उन पर अधिक दबाव नहीं डालना चाहिए। लेकिन हम उन्हें ऐसा निर्णय लेने के लिए कह सकते हैं जो सभी को स्वीकार्य हो। उन्हें मंच पर आना चाहिए। यदि वे नहीं आते हैं, तो हम एक निर्णय लेंगे। आप सभी को यह तय करना चाहिए कि उस मामले में फ़ैसला किसे लेना चाहिए।'
सिधाना ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, 'हज़ारों युवा रिंग रोड पर जाना चाहते हैं। किसान मज़दूर संघर्ष समिति ने रिंग रोड पर जाने का फ़ैसला किया है। वे हमसे आगे विरोध कर रहे हैं, इसलिए हमारे ट्रैक्टर उनके पीछे होंगे। इसलिए अगर कोई रिंग रोड पर जाना चाहता है तो वह किसान मजदूर संघर्ष समिति के पीछे हो सकता है… फिर मुद्दा क्या है? आपको शांत होना चाहिए।'
उस मंच पर मौजूद सिख लेखक डॉ. सुखप्रीत सिंह उदोके ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा, 'किसान संघों ने सबसे पहले गणतंत्र दिवस पर संसद पहुँचने का आह्वान किया। फिर उन्होंने इसको दिल्ली में प्रवेश करने के लिए संशोधित किया। बाद में उन्होंने इसे रिंग रोड तक जाना तय किया। लेकिन, दिल्ली पुलिस के साथ अपने समझौते में वे रिंग रोड से भी पीछे हट गए। इसे लेकर युवा आंदोलित थे। हमने कहा कि यदि वे रिंग रोड पर जाना चाहते हैं तो किसान मज़दूर संघर्ष समिति के पीछे जाएँ, जबकि अन्य संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा तय किए गए मार्ग पर चल सकते हैं।'
इस घटना से एक दिन पहले सोमवार सुबह ही किसान मज़दूर संघर्ष समिति ने घोषणा की थी कि वे रिंग रोड पर मार्च निकालेंगे। इसने मंगलवार को ऐसा ही किया भी।
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार किसान मज़दूर संघर्ष समिति के नेताओं ने कहा कि लाल क़िले पर जाने की उनकी कोई योजना नहीं थी। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों के कुछ समूह ने मजनू का टीला से लाल क़िले की ओर जाना तय किया और फिर हालात बेकाबू हो गए।
लाल क़िले की घटना के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में दीप सिद्धू ने कहा था कि यह आंदोलन का परिणाम है जो कई महीनों से चल रहा है और एक व्यक्ति पर दोष नहीं लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि निशान साहिब और किसान यूनियन के झंडे भावनाओं के आवेग में फहराए गए।
उन्होंने कहा, ‘मैंने चेताया था कि हमारे नेताओं ने एक निर्णय लिया है जो फिर से युवाओं की भावना है। जब संयुक्त किसान मोर्चा को एक निर्णय लेने के लिए कहा गया जो सभी के लिए स्वीकार्य हो, तो उन्होंने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। दीप सिद्धू इतनी भारी भीड़ को कैसे उकसा सकता है... आपको मेरा एक भी वीडियो नहीं मिलेगा जो किसी को लाल क़िले तक आने के लिए कह रहा है। हर कोई पल के आवेग में बह गया था।’
बीकेयू-राजेवाल के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, ‘मैंने कहा था कि अगर हम शांतिपूर्ण रहेंगे तो हम जीतेंगे, लेकिन अगर हम हिंसा करते हैं तो हमारी जीत नहीं भी हो सकती है। अब जो लोग किसानों को ग़लत मार्गों पर ले गए, वे इस सब के लिए ज़िम्मेदार हैं। क्यों और कैसे यह सब हुआ, इसे बारे में हम आत्मनिरीक्षण करेंगे।'