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हरियाणा पुलिस ने आंदोलनकारी किसानों पर छोड़े आँसू गैस के गोले

हरियाणा पुलिस ने आंदोलनकारी किसानों पर छोड़े आँसू गैस के गोले

रविवार देर शाम को हरियाणा में किसानों पर आँसू गैस के गोले छोड़े गए हैं। इनमें अधिकतर किसान राजस्थान से थे। 

रविवार देर शाम को हरियाणा में किसानों पर आँसू गैस के गोले छोड़े गए हैं। इनमें अधिकतर किसान राजस्थान से थे। वे हरियाणा की सीमा पार कर दिल्ली आना चाह रहे थे लेकिन उन्हें रोक दिया गया। यह तब हो रहा है जब केंद्र सरकार इस मुद्दे को सुलझाने की हर कोशिश कर रही है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने तो छठे दौर की पिछली वार्ता के बाद कहा था कि बातचीत अच्छी रही है और किसानों की दो माँगें मान ली गई हैं। 

एक रिपोर्ट के अनुसार, क़रीब 50 किसान रेवाड़ी में राजस्थान-हरियाणा सीमा पर जबरन बैरिकेड पार करने की कोशिश कर रहे थे। तभी हरियाणा पुलिस ने आँसू गैस के गोले दागे। इससे पहले क़रीब 300 किसानों ने गुरुवार को रेवाड़ी में राजस्थान-हरियाणा सीमा पर 'जबरन' बैरिकेड को पार किया था। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार बावल के डीएसपी राजेश कुमार ने आँसू गैस छोड़े जाने की बात की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि किसानों ने बैरिकेड को तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश की। 

बातचीत के लिए सौहार्दपूर्ण माहौल बनाने की कोशिश तो की जा रही है, लेकिन दोनों तरफ़ से दबाव बनाने का प्रयास भी जारी है। सरकार की तरफ़ से अब तक कई बार कहा जा चुका है कि केंद्र सरकार किसी दबाव में नहीं झुकेगी तो किसान भी आंदोलन तेज करने की चेतावनी देते रहे हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों से किसान दिल्ली आ भी रहे हैं। फ़िलहाल बड़ी संख्या में किसान सिंघु बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। 

शनिवार को ही किसानों ने सिंघु बॉर्डर से आगे बढ़ने की चेतावनी दी है। किसान यूनियनों ने कहा है कि यदि उनकी माँग नहीं मानी जाती है तो वे 26 जनवरी को दिल्ली में घुसेंगे।

सरकार और किसानों के बीच फ़िलहाल दो मुद्दों पर गतिरोध बरकरार है। किसानों की चार माँगों में से दो माँगों को सरकार ने पहले ही मान लिया है। किसान नये कृषि क़ानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर क़ानूनी गारंटी की माँग कर रहे हैं। सरकार यह मानने को तैयार नहीं है। 

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पिछली बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि किसानों की शंका थी कि पराली वाले अध्यादेश में किसानों को नहीं रखा जाना चाहिए, सरकार ने किसानों की इस बात को मान लिया है। तोमर ने कहा कि प्रस्तावित बिजली क़ानून को लेकर किसानों की कुछ मांग थी, सरकार और यूनियन के बीच में इस मांग को लेकर रजामंदी हो गई है।

किसान यूनियनों ने शनिवार को आगे की योजना की भी घोषणा की। 

बीकेयू (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसानों के आंदोलन के उद्देश्यों को लेकर जो झूठ फैलाया जा रहा है उसको बेनकाब करने के लिए 6 जनवरी से 20 जनवरी तक देश जागृति अभियान के तौर पर ट्रैक्टर/ट्रॉली रैलियाँ आयोजित की जाएँगी। उन्होंने कहा कि 'हम उस झूठ का पर्दाफाश करेंगे जिसमें हमें खालिस्तानी और बिचौलिए बताया जा रहा है।'

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किसानों ने कहा कि 13 जनवरी को लोहड़ी पर तीनों क़ानूनों की प्रतियों को प्रतीकात्मक विरोध के रूप में जलाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि महिला किसानों और प्रदर्शनकारियों को सम्मानित करने के लिए 18 जनवरी को महिला किसान दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

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