किसान आंदोलन: तोमर बोले- MSP पर होगा विचार, 5 को फिर होगी बातचीत
दिल्ली के टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर पंजाब-हरियाणा सहित कई राज्यों के किसानों का धरना जारी है। विवाद का हल निकालने के लिए गुरूवार को एक बार फिर किसानों और सरकार के बीच विज्ञान भवन में बातचीत हुई, जो 7 घंटे तक चली।
बैठक में 40 किसान नेता मौजूद रहे। सरकार की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने किसानों की बात सुनी। अगली बैठक 5 दिसंबर को दोपहर 2 बजे होगी। इससे पहले मंगलवार शाम को हुई बैठक बेनतीजा रही थी।
बैठक के बाद कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर क़ानून बनाने की मांग पर विचार करेगी। उन्होंने किसानों से आंदोलन ख़त्म करने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि किसानों ने पराली जलाने से संबंधित अध्यादेश और बिजली के क़ानून को लेकर चिंता जताई है और सरकार इन मुद्दों पर भी बातचीत करने के लिए तैयार है।
तोमर ने कहा, ‘किसान यूनियनों की चिंता है कि नये क़ानूनों से एग्रीकल्चर मार्केटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) ख़त्म हो जाएंगी। लेकिन भारत सरकार इस बात पर विचार करेगी कि एपीएमसी सशक्त हों और इनका उपयोग बढ़े।’ कृषि मंत्री ने कहा कि मंडी में ट्रेडर का रजिस्ट्रेशन हो, भारत सरकार इसे सुनिश्चित करेगी।
बैठक के बाद किसान नेताओं ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि सरकार क़ानूनों में संशोधन की बात कह रही है लेकिन हम चाहते हैं इन्हें रद्द किया जाए। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को सभी आंदोलनकारी किसान संगठनों की बैठक होगी।
पिछली बैठक में केंद्र सरकार ने एक कमेटी बनाने की बात कही थी। इस कमेटी में किसानों के अलावा सरकार के अफ़सर भी शामिल होने की बात कही गई थी। लेकिन किसान इसके लिए तैयार नहीं दिखते। किसानों की एक सूत्रीय मांग यही है कि तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द कर दिया जाए।
आज ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात की। बैठक के बाद अमरिंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने गृह मंत्री को पंजाब के हालात के बारे में जानकारी दी है और मांग की है कि इस मसले का हल जल्द निकलना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन से पंजाब की माली हालत और राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी असर हो रहा है।
बादल, ढींढसा ने अवार्ड लौटाए
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के बॉर्डर्स पर धरना दे रहे किसानों को चौतरफ़ा समर्थन मिल रहा है। गुरूवार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत की सियासत के सबसे बुजुर्ग और तजुर्बेकार नेता सरदार प्रकाश सिंह बादल ने सरकार को पद्म विभूषण अवार्ड लौटा दिया।
बादल के बाद शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी पद्म भूषण अवार्ड वापस करने का एलान कर दिया। ढींढसा के साथ बीजेपी चुनावी तालमेल बढ़ा रही थी और माना जा रहा था कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उनकी पार्टी से गठबंधन कर सकती है। लेकिन किसान आंदोलन ने इस समीकरण को बिगाड़ दिया है।
अब हरियाणा के कई जिलों से बड़ी संख्या में किसान और खाप पंचायतें खुलकर किसानों को समर्थन दे रही हैं और पंजाब से भी लगातार जत्थेबंदियां आ रही हैं। इससे टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है।
दूसरी ओर, ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के नेतृत्व में किसानों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। पुलिस ने दिल्ली-हरियाणा और दिल्ली-यूपी के कई छोटे बॉर्डर्स को भी बंद कर दिया है। इससे आम लोगों को खासी परेशानी हो रही है।
ताबड़तोड़ बैठकें कर रही सरकार
कृषि क़ानूनों पर आर-पार की लड़ाई का एलान कर चुके किसानों को किस तरह समझाया जाए, इसे लेकर बीजेपी आलाकमान और मोदी सरकार लगातार माथापच्ची कर रहे हैं। मोदी सरकार और बीजेपी संगठन सोशल मीडिया से सड़क तक नए कृषि क़ानूनों को किसानों के हित में बता रहे हैं लेकिन पंजाब-हरियाणा के साथ ही देश भर के किसान इन्हें डेथ वारंट बता रहे हैं।
बुधवार सुबह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर सरकार के मंत्री फिर से जुटे। इस बैठक में शाह के अलावा, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद रहे। इसमें फिर से किसान आंदोलन को लेकर चर्चा हुई। मंगलवार को भी ऐसी ही बैठक हुई थी। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल रहे थे और उससे पहले सोमवार को हुई बैठक में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पूरी पार्टी इस वक़्त किसान आंदोलन के कारण चिंता में है क्योंकि वह बिहार की जीत के बाद बंगाल और कुछ चुनावी राज्यों में जीत की रणनीति बनाने की तैयारी कर रही थी।
बीजेपी सांसदों ने मानी गड़बड़
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने हरियाणा के बीजेपी सांसदों से कृषि क़ानूनों को लेकर बातचीत की तो इसमें कई बीजेपी सांसदों ने माना कि किसानों के ख़िलाफ़ सरकार ने जिस तरह ताक़त का इस्तेमाल किया वह ग़लत था। कुछ सांसदों ने यह भी माना कि मोदी सरकार के कृषि क़ानूनों में गड़बड़ है। उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि बीजेपी किसानों को इन क़ानूनों के फ़ायदे बताने में असफल रही।चेता रहे सहयोगी
मुश्किलों से घिरी मोदी सरकार और बीजेपी को अपने सहयोगियों की चेतावनी भी सुननी पड़ रही है। हरियाणा और राजस्थान में उसके दो सहयोगी- जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने उसे कृषि क़ानूनों को लेकर चेताया है।
किसानों की नाराज़गी से होने वाले सियासी ख़तरे को भांपते हुए ही जेजेपी संस्थापक अजय चौटाला सामने आए हैं। चौटाला ने कहा, ‘सरकार से कहा गया है कि इस मसले का जल्द से जल्द हल निकाला जाए।’ जेजेपी संस्थापक ने कहा, ‘जब सरकार बार-बार कह रही है कि एमएसपी को जारी रखेंगे तो उसको लिखने में क्या दिक्क़त है।’ उन्होंने कहा कि अन्नदाता परेशान है और सड़कों पर है, ऐसे में किसानों को जल्द राहत दी जानी चाहिए।