कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों पर आरोप है कि उन्होंने राजस्थान बीजेपी के नेता कैलाश मेघवाल के साथ बदसलूकी की और इसमें मेघवाल के कपड़े फट गए। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। यह घटना शुक्रवार की है। बीजेपी ने घटना की कड़ी निंदा की है। किसान कई जगहों पर बीजेपी नेताओं का पुरजोर विरोध कर चुके हैं।
घटना उस वक़्त हुई जब बीजपेी के कुछ नेता श्रीगंगानगर में गंगा सिंह चौक पर गहलोत सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे। संयुक्त किसान मोर्चा ने बीजेपी के इस प्रदर्शन का विरोध करने का एलान किया था। बीजेपी नेताओं के प्रदर्शन के दौरान किसान भी वहां पहुंच गए।
इसी दौरान किसानों की बीजेपी अनुसूचित मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कैलाश मेघवाल के साथ धक्का-मुक्की हुई और इसमें मेघवाल का कुर्ता फट गया। पुलिस और कुछ किसान नेताओं ने काफी कोशिश के बाद उन्हें छुड़ाया।
राजे, पूनिया ने की निंदा
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने इस घटना की मज़म्मत की है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौर ने इस घटना को लेकर कहा कि राज्य में क़ानून व्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि बीजेपी नेता के साथ हुई इस हरक़त के दौरान पुलिस मूकदर्शक बनकर खड़ी रही।
कई जगहों पर विरोध
इससे पहले पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर बीजेपी के नेताओं का पुरजोर विरोध हो चुका है। हरियाणा में बीजेपी के सहयोगी दल जेजेपी के नेता और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को किसानों के लगातार विरोध का सामना करना पड़ रहा है जबकि वहां किसान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ के ख़िलाफ़ भी कई बार मोर्चा खोल चुके हैं।
इसी तरह इस साल फरवरी में जब पंजाब में नगर निगम के चुनाव हुए थे, तब भी बीजेपी के कई प्रत्याशियों को जनता के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान किसानों का विरोध झेल चुके हैं।
इस साल मार्च में अबोहर सीट से बीजेपी विधायक अरुण नारंग पर मुक्तसर जिले में किसानों ने हमला कर दिया था। किसान इतने आक्रोशित थे कि उन्होंने अरुण नारंग के कपड़े तक फाड़ दिए थे। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हुआ था।
कई दलों ने छोड़ा साथ
पंजाब से शुरू हुआ किसान आंदोलन हरियाणा, पश्चिमी यूपी और राजस्थान सहित देश के कई इलाक़ों में पहुंचा। इस आंदोलन ने पंजाब में सियासी तूफ़ान भी पैदा किया और बीजेपी के बरसों पुराने साथी शिरोमणि अकाली दल को उसका साथ छोड़ने को मजबूर होना पड़ा। राजस्थान में भी हनुमान बेनीवाल ने कृषि क़ानूनों के मुद्दे पर एनडीए का साथ छोड़ दिया था।
संसद सत्र में गूंज
संसद सत्र में भी किसान आंदोलन की जबरदस्त गूंज है और तमाम विपक्षी दलों ने किसानों के मुद्दे को उठाया है। किसान भी संसद से कुछ दूरी पर स्थित जंतर-मंतर पर लगातार अपनी संसद चला रहे हैं। अब किसान पूरी ताक़त के साथ मिशन यूपी-उत्तराखंड में जुटने जा रहे हैं। इसने भी बीजेपी को परेशान करने का काम किया है।
कई बार समझा चुके मलिक
किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार भले ही लापरवाह दिख रही हो लेकिन मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक उसे लगातार आगाह कर रहे हैं। मलिक ने हाल ही में एक बार फिर कहा था कि किसान आंदोलन का जल्दी से जल्दी हल निकलना चाहिए।मलिक ने कहा था कि केंद्र सरकार का यही रूख़ रहेगा तो बहुत बड़ा सियासी नुक़सान हो जाएगा। उन्होंने कहा था कि हम पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान को खो देंगे लेकिन अगर हम समझदारी से काम करेंगे तो इन जगहों के लोग हमारे साथ ही रहेंगे।