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आ रहे हैं किसानः पूरी दिल्ली में धारा 144, सभी बॉर्डर सील, चंडीगढ़ में बैठक आज

आ रहे हैं किसानः पूरी दिल्ली में धारा 144, सभी बॉर्डर सील, चंडीगढ़ में बैठक आज

किसानों का दस किलोमीटर लंबा काफिला दिल्ली की तरफ बढ़ रहा है लेकिन दिल्ली और हरियाणा में इस काफिले को रोकने की तैयारी युद्धस्तर पर है। पूरी दिल्ली में धारा 144 लागू कर दी गई है। हरियाणा-यूपी से लगते सभी बॉर्डर सील कर दिए गए हैं। इसी बीच सोमवार 12 फरवरी को चंडीगढ़ में केंद्र सरकार के तीन मंत्रियों की बैठक किसान नेताओं के साथ है। केंद्रीय मंत्रियों का नेतृत्व पीयुष गोयल कर रहे हैं। किसान एमएसपी गारंटी कानून मांग रहे हैं, जिसका वादा मोदी सरकार ने किया था।

पंजाब से चला किसानों का दस किलोमीटर लंबा काफिला जैसे-जैसे दिल्ली की ओर बढ़ रहा है, दिल्ली और हरियाणा में सख्तियां बढ़ती जा रही हैं। दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने सोमवार को कहा कि किसानों के 13 फरवरी को दिल्ली मार्च के आह्वान को देखते हुए पूरी दिल्ली में धारा 144 लागू कर दी गई है। दिल्ली की हरियाणा और यूपी से लगती सीमाओं को सील कर दिया गया है। दिल्ली पुलिस के आदेश के मुताबिक किसानों के मार्च से पहले ही सभा, रैलियों और जुलूसों पर रोक लगा दी है, ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों, विस्फोटक या संक्षारक पदार्थों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है, उत्तेजक बयानों और कार्यों पर रोक लगा दी है और लाउड स्पीकर पर रोक लगा दी है।

हरियाणा सरकार ने दो प्रमुख स्टेडियमों को अस्थायी जेलों में परिवर्तित कर दिया है। सिरसा में चौधरी दलबीर सिंह इंडोर स्टेडियम और डबवाली में गुरु गोबिंद सिंह स्टेडियम किसानों के मार्च के दौरान किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति में उनके लिए अस्थायी हिरासत केंद्र के रूप में काम करेंगे। राज्य के 6 जिलों में इंटरनेट, बल्क एसएमएस पर पहले ही पाबंदी लग चुकी है। हरियाणा ने पंजाब से लगती अपनी सारी सीमाएं सील कर दी हैं। हरियाणा-दिल्ली सीमा पर कंटीले ताल, नुकीली कीलें किसानों को रोकने के लिए बिछा दी गई हैं। लेकिन किसान इससे बेपरवाह बढ़े चले आ रहे हैं। 

 

दिल्ली में अधिकारियों ने किसानों को राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए सीमाओं को कंक्रीट ब्लॉकों से मजबूत कर दिया है और अंतरराज्यीय सीमा पर सड़क पर कीलें, कांटेदार तार और हजारों पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। विपक्षी दलों ने इन अवरोधों को तानाशाही बताया है।

किसानों और सरकार के बीच गतिरोध बरकरार रहने के कारण सभी की निगाहें सोमवार शाम होने वाली दूसरे दौर की बातचीत पर होगी। बातचीत के लिए निमंत्रण संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) नेताओं को उनके निर्धारित "दिल्ली चलो" मार्च की पूर्व संध्या पर खुश करने के केंद्र के आखिरी प्रयास के रूप में आया है।

चंडीगढ़ बैठक में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय सोमवार शाम को प्रमुख किसान संघों के नेताओं के साथ उनकी 12 मांगों पर चर्चा करेंगे। इन मांगों में सभी फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले के आधार पर कृषि उपज की कीमतें तय करना, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पूर्ण ऋण माफी और फसल बीमा शामिल हैं। एमएसपी गारंटी कानून का वादा सरकार ने किया था।

एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में कई किसान संघों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए कानून सहित व्यापक सुधारों की मांग को लेकर 13 फरवरी को 'दिल्ली चलो' मार्च घोषित किया है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम), जो 40 कृषि संघों का एक समूह है, जिसने 2020-21 के आंदोलन का नेतृत्व किया था, 13 फरवरी के विरोध प्रदर्शन में भाग नहीं ले रहा है, लेकिन उसने 16 फरवरी को देशव्यापी "ग्रामीण बंद" का आह्वान किया है। लेकिन पंजाब से चल चुके किसानों के ट्रैक्टर दिल्ली की तरफ बढ़ रहे हैं।

किसान नेताओं और तीनों केंद्रीय मंत्रियों की बैठक 8 फरवरी को चंडीगढ़ में हो चुकी है। लेकिन उसमें कोई सहमति नहीं बनी थी। अब सरकार सोमवार को फिर बातचीत करने वाली है लेकिन दूसरी तरफ वो किसानों को रोकने की तैयारी भी कर रही है। हरियाणा और दिल्ली पुलिस की विस्तृत तैयारी और तैनाती से यह संदेश मिल रहा है कि सरकार द्वारा किसानों द्वारा रखी गई सभी मांगों को मानने की संभावना नहीं है। किसान नेताओं ने सोमवार शाम 5 बजे चंडीगढ़ में अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय सहित केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक में भाग लेने के अपने इरादे की घोषणा की है। हालांकि, किसानों ने इस बात पर जोर दिया कि अगर सरकार बैठक के दौरान उनकी मांगों को स्वीकार करने में विफल रही तो वे योजना के अनुसार आगे बढ़ेंगे।

पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव और केएमएम के समन्वयक सरवन सिंह पंढेर ने पुष्टि की कि यदि सोमवार शाम की बातचीत विफल रही तो किसान विरोध प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं।


हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और चंडीगढ़ को नई दिल्ली से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण राजमार्ग एनएच-44 पर भारी पुलिस तैनाती संभावित व्यवधानों के बारे में चिंता पैदा कर रही है। लगभग 60,000 वाहन प्रतिदिन इस राजमार्ग से गुजरते हैं, और किसी भी गड़बड़ी से यात्रियों और राजधानी में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। किसान अगर दिल्ली नहीं पहुंच पाए तो वे राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कर सकते हैं और ऐसे में हालात और खराब हो जाएंगे। 

किसानों को NH-44 पर कब्ज़ा करने से रोकने के लिए दिल्ली और हरियाणा पुलिस व्यापक सुरक्षा व्यवस्था कर रही है। हरियाणा पुलिस किसानों के आंदोलन की निगरानी कर रही है, पंजाब से हरियाणा के मुख्य प्रवेश बिंदु शंभू सीमा पर बोल्डर रखने जैसे उपाय लागू किया गया है।

दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने 2020-21 में साल भर चलने वाले किसानों के विरोध के केंद्र टिकरी और सिंघू सीमाओं पर व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। दिल्ली पुलिस के आंतरिक आकलन का अनुमान है कि 2,000 से 2,500 ट्रैक्टरों पर 15,000 से 20,000 किसान मार्च में भाग लेने के लिए दिल्ली पहुंच सकते हैं, जिसमें कई राज्यों के कृषि संघों की भागीदारी की उम्मीद है।

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