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राज्यसभा में किसान विधेयक ध्वनि मत से पारित, विपक्ष ने कहा- लोकतंत्र के लिए बुरा दिन

राज्यसभा में किसान विधेयक ध्वनि मत से पारित, विपक्ष ने कहा- लोकतंत्र के लिए बुरा दिन

सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्ष के सदस्यों में ज़बरदस्त बहस, झड़प और हंगामे के बीच किसानों से जुड़े दो विधेयक राज्यसभा में पारित हो गए। उप सभापति हरिवंश ने बिल पर वॉयस वोटिंग (ध्वनिमत) से ही फ़ैसला सुना दिया। 

किसानों से जुड़े विधेयकों पर राज्यसभा में गर्मागर्म बहस के बीच तृणमूल कांग्रेस और सत्तारूढ़ बीजेपी के बीच ज़ोरदार झड़प हुई। तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने पीठासीन अधिकारी के पास जाकर सदन की रूल बुक फाड़ दी। सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई है।

डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने ही रूल बुक फाड़ दी। डेरेक ओ ब्रायन और तृणमूल कांग्रेस के बाकी सांसदों ने आसन के पास जाकर रूल बुक दिखाने की कोशिश की और उसे फाड़ डाला।

टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने बहस में भाग लेते हुए सरकार पर धोखा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने संसद में हर नियम को तोड़ा है। पश्चिम बंगाल के इस सांसद ने सरकार पर आरोप लगाया कि राज्यसभा टीवी के फीड काट देते हैं ताकि देश देख न सके।

सदन में दिन की शुरुआत में ही केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से जुड़े विधेयकों को पेश कर दिया।  विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार कृषि विधेयकों को लेकर जल्दबाजी दिखा रही है।

राज्यसभा में सरकार के लिए मुश्किल

साथ ही यह भी सच है कि नरेंद्र मोदी सरकार के लिए विधेयकों को राज्यसभा में पास करवाना मुश्किल है। कई विपक्षी दलों ने संकेत दे दिया है कि वे  किसान बिल के विरोध में एकजुट हो सकते हैं। ओडिशा के बीजू जनता दल, तेलंगाना का वाईएसआर कांग्रेस और तेलंगाना राष्ट्र समिति बिल को पारित कराने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

याद दिला दें कि एनडीए की पुरानी सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल ने इन बिलों का विरोध किया है और सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया क्योंकि पार्टी किसानों के ज़बरदस्त दबाव में है। राज्यसभा में बिल पारित कराने के लिए बीजेपी ने व्हिप जारी कर अपने सभी सांसदों को बिल पर मतदान के समय सदन में मौजूद रहने को कहा है।

सरकार ने किसान बिल को पास करवाने के लिए समर्थन जुटाने की खातिर विपक्षी दलों से भी मोर्चाबंदी शुरू कर दी है। कुल 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। दो स्थान खाली होने की वजह से फिलहाल बहुमत का आँकड़ा 122 है। .

डेथ वारंट

कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने सदन की बहस में भाग लेते हुए किसान बिल को किसानों की आत्मा पर चोट बताया। उन्होंने कहा, 'इन विधेयकों को समर्थन देने का मतलब किसानों के डेथ वारंट पर दस्तख़त करना। इसलिए उनकी पार्टी इस बिल का विरोध करती है।' कांग्रेस सांसद ने कहा,

'कांग्रेस पार्टी इस बिल को खारिज करती है... हम किसानों के इस डेथ वारंट पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।'


प्रताप सिंह बाजवा, सांसद, कांग्रेस

बाजवा ने इसके आगे कहा, 'आप जैसा दावा कर रहे हैं, किसान उस लाभ को नहीं लेना चाहते हैं तो फिर आप जबर्दस्ती उन्हें चारा देने की कोशिश क्यों कर रहे हैं'

बाजवा ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, 'अब किसान अनपढ़ नहीं रहे. वो समझ रहे हैं कि इसके जरिए आप उनसे न्यूनतम समर्थन मूल्य छीनना चाह रहे हैं। अगर यह बिल एक बार पास हो गया तो पूंजीपति उनके खेतों पर कब्जा जमा लेंगे।' 

सदन में हंगामा केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की ओर से पेश दो बिल - कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 तथा कृषक (सक्तिशकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 पर बहस के दौरान हुई। 

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