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संसद सत्र बुलाकर एमएसपी गारंटी पर कानून लाए केंद्र: किसान नेता

संसद सत्र बुलाकर एमएसपी गारंटी पर कानून लाए केंद्र: किसान नेता

किसान सरकार के चौथे दौर की बातचीत में की गई पेशकश को खारिज करने के बाद अपनी मांगों को लेकर आक्रामक नज़र आ रहे हैं। जानिए, किसानों ने अब क्या मांग की है।

एमएसपी की क़ानूनी गारंटी सहित कई मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा है कि सरकार अब एमएसपी की क़ानूनी गारंटी के लिए क़ानून बनाए। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने मंगलवार को केंद्र से एक दिवसीय संसद सत्र बुलाने और एमएसपी गारंटी पर कानून लाने का आग्रह किया। एक दिन पहले ही सोमवार को किसानों ने सरकार की उस पेशकश को ठुकरा दिया है जो उसने किसानों के सामने चौथे दौर की वार्ता के बाद रखी थी।

किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच रविवार की देर रात तक चौथे दौर की वार्ता के बाद केंद्र सरकार ने किसानों को मक्का, कपास, अरहर और उड़द दालों पर एमएसपी देने का प्रस्ताव दिया था। सरकार से हुई वार्ता के बाद पंजाब किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने कहा था कि किसानों की विभिन्न मांगों पर केंद्र सरकार के साथ बातचीत हुई। 

किसानों ने सोमवार रात को बयान जारी कहा कि इसने पुराने एमएसपी पर दालें, मक्का और कपास खरीदने के लिए पांच साल के अनुबंध की केंद्र सरकार की पेशकश को खारिज कर दिया है। सरवन सिंह पंढेर का ही अब बयान आया है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'पीएम एक दिवसीय संसद सत्र बुला सकते हैं और एमएसपी गारंटी पर कानून ला सकते हैं। सभी विपक्षी दलों को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए कि अगर केंद्र संसद में एमएसपी पर कानून लाता है तो वे इसके लिए वोट करेंगे। अकाली दल से लेकर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस तक, सभी को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।'

पंढेर ने कहा है कि कॉर्पोरेट लॉबी कभी भी एमएसपी कानून बनने नहीं देगी। उन्होंने कहा कि अगर यह कानून आता है तो हमारी खेती और मंडियों पर लटकने वाली तलवार हमेशा के लिए ख़त्म हो जाएगी।

किसान नेता सरवन सिंह पंढेर का कहना है कि सरकार के मौजूदा प्रस्ताव पर 1.5 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा। उन्होंने कहा, 'केंद्र भी बेनकाब हो गया है। पहले उन्होंने कहा था कि अगर एमएसपी कानून लागू हुआ तो यह बजट से बाहर हो जाएगा। अब जब वे पांच साल के लिए एमएसपी पर दालें, मक्का और कपास की खरीद के लिए एक नया प्रस्ताव लेकर आए, तो उन्होंने इसकी पुष्टि की कि इसकी लागत 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक होगी। और फिर वे कहते हैं कि यदि एमएसपी कानून लागू होता है, तो 23 फसलों पर वे जितना पैसा खर्च करेंगे, वह उनके वर्तमान प्रस्ताव पर खर्च होने वाली राशि से अधिक नहीं होगा।'

किसान दलहन और तिलहन का उत्पादन यहीं कर सकते हैं। सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि इससे विविधीकरण भी होगा। उन्होंने कहा, 'बाहर से तिलहन आयात करने पर 1,75,000 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। अगर इन आयात पर खर्च होने वाले पैसे को कम कर दिया जाए तो उसे एमएसपी प्रदान करने में लगाया जा सकता है। किसान यहीं पर दलहन और तिलहन का उत्पादन कर सकते हैं। इससे विविधीकरण भी होगा।' अगर अन्य फसलों पर भी एमएसपी दरें दी जा सकती हैं तो किसान उन्हें भी बोएंगे।'

राहुल गांधी ने पीएम मोदी सरकार पर हमला किया है। उन्होंने कहा, 'जब से कांग्रेस ने एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का संकल्प लिया है, तब से मोदी के प्रचारतंत्र और मित्र मीडिया ने एमएसपी पर झूठ की झड़ी लगा दी है।' उन्होंने मोदी सरकार के इस दावे को झूठ बताया है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी दे पाना भारत सरकार के बजट में संभव नहीं है।

किसान क्या चाहते हैं

किसान 23 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी और अपने कर्ज की माफी की मांग कर रहे हैं। वे स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली की मांग और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।

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