किसान आंदोलन: सिंघु बॉर्डर पर धरना दे रहे किसान की मौत
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के कई बॉर्डर्स पर धरना दे रहे किसानों का आंदोलन इस कड़ाके की ठंड में भी जारी है। किसानों का कहना है कि ये कृषि क़ानून उनके लिए डेथ वारंट की तरह हैं और जब तक सरकार इन्हें वापस नहीं लेती, वे यहां से हटेंगे नहीं। ऐसे में दिल्ली के सिंघु बॉर्डर से एक चिंताजनक ख़बर आई है।
यहां धरना दे रहे एक किसान की मौत हो गई है। किसान के परिजनों का कहना है कि उनकी मौत ठंड लगने के कारण हुई है। बड़ी संख्या में किसान पंजाब से दिल्ली के बॉर्डर्स पर आकर डटे हैं। इनमें कई बुजुर्ग किसान भी हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी आंदोलन में आए हैं।
पिछले कई दौर की बातचीत के बेनतीजा रहने के बाद किसान आक्रामक हैं और उनका कहना है कि सरकार तुरंत इन क़ानूनों को वापस ले।
भारत बंद के दौरान सुबह 11 बजे से दिन में 3 बजे तक दिल्ली में चक्का जाम रहेगा। दिल्ली और हरियाणा की पुलिस ने अपने बॉर्डर्स पर पुलिसकर्मियों की तैनाती की हुई है। किसानों ने कहा है कि वे बंद के दौरान टोल प्लाज़ा पर कब्जा कर इन्हें फ्री कर देंगे। सभी किसान संगठनों ने कहा है कि बंद पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा और किसी भी तरह की हिंसा की इजाजत नहीं होगी।
बैंक यूनियनों ने कहा है कि वे किसानों के साथ हैं लेकिन वे बंद में साथ नहीं देंगी। लेकिन वे अपनी बाहों पर काली पट्टी बांधकर किसानों का समर्थन करेंगे। राजधानी दिल्ली की बड़ी सब्जी मंडियों ग़ाज़ीपुर, ओखला और नरेला इस दौरान प्रभावित हो सकती हैं।
खा लिया था ज़हर
जब मोदी सरकार कृषि विधेयक लाई थी, तभी से किसान पंजाब में विधेयकों के विरोध में लगातार धरना दे रहे थे। सितंबर महीने में इन विधेयकों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे एक किसान ने आत्महत्या कर ली थी। यह घटना बठिंडा के बादल गांव में हुई थी। आत्महत्या करने वाले किसान का नाम प्रीतम सिंह था और उनकी उम्र 60 साल थी।
प्रीतम सिंह मानसा जिले के अक्कावाली गांव के रहने वाले थे और विधेयकों के ख़िलाफ़ बादल गांव में धरना दे रहे थे। प्रीतम सिंह की मौत के बाद किसान संगठनों ने केंद्र की सरकार के ख़िलाफ़ जबरदस्त नाराजगी का इजहार किया था।