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प्रसिद्ध न्यायविद् फली एस नरीमन का 95 वर्ष की उम्र में निधन 

प्रसिद्ध न्यायविद् फली एस नरीमन का 95 वर्ष की उम्र में निधन 

प्रख्यात न्यायविद् फली एस नरीमन का बुधवार को दिल्ली में निधन हो गया है। वह 95 वर्ष के थे। सुप्रीम कोर्ट के दिग्गज वकील रहे फली एस नरीमन संवैधानिक कानूनों के प्रसिद्ध ज्ञाता थे।

प्रख्यात न्यायविद् फली एस नरीमन का बुधवार को दिल्ली में निधन हो गया है। वह 95 वर्ष के थे। सुप्रीम कोर्ट के दिग्गज वकील रहे फली एस नरीमन संवैधानिक कानूनों के प्रसिद्ध ज्ञाता थे। देश के कई ऐतिहासिक मुकदमों में वह वकील रह चुके थे। 

अपने गहरे ज्ञान और कानूनी सूझबूझ के कारण वह देश के सबसे बड़े और लोकप्रिय वकीलों में शामिल रहे हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक उनका निधन रात करीब 1.15 बजे हुआ। उनके परिवार ने  बताया कि वह अस्वस्थ नहीं थे और उन्होंने नींद में ही अंतिम सांस ली। 

नरीमन के परिवार में उनके बेटे और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन, बहू सनाया और बेटी अनाहिता हैं। उनकी पत्नी बापसी नरीमन का 2020 में निधन हो गया था। 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 10 जनवरी, 1929 को रंगून (अब यांगून) में सैम बरियामजी नरीमन और बानू नरीमन के घर जन्मे, फली एस नरीमन ने अपने परिवार के बॉम्बे (अब मुंबई) चले जाने से पहले शिमला में पढ़ाई की थी।

नरीमन ने 1950 में गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, बॉम्बे से कानून में स्नातक किया था। इसी वर्ष बॉम्बे हाईकोर्ट में उन्होंने कानून की प्रैक्टिस शुरू कर दी थी।  1971 में वह सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील बने थे। अपने समय के प्रसिद्ध वकील जमशेदजी बेहरामजी कांगा के जूनियर रहे, नरीमन ने दिल्ली जाने से पहले 22 साल तक बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की थी। 

इसके अगले वर्ष, उन्हें तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भारत का अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त कर दिया था। हालांकि, आपातकाल लागू होने के दो दिन बाद, फली एस नरीमन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। 

इसके बाद,फली एस नरीमन ने कोई अन्य सरकारी पद नहीं लिया, उन्होंने अगले दो दशकों तक विभिन्न प्रमुख संवैधानिक कानूनी मामले का नेतृत्व किया। सात दशकों से अधिक समय तक, वह भारत के सबसे अधिक लोकप्रिय वकीलों में से एक रहे।

वह कई ऐतिहासिक कानूनी मामलों का हिस्सा रहे, जिन्होंने भारतीय संवैधानिक कानून के विकास का मार्ग प्रशस्त किया। दिवंगत न्यायविद् नरीमन कानूनी और संवैधानिक मुद्दों पर अपनी दृढ़ राय रखते थे और उनका लेखन ज्ञान का खजाना माना जाता है। संवैधानिक कानूनों पर उनकी बड़ी छाप है। 

न्यायपालिका की स्वतंत्रता में दृढ़ विश्वास रखने वाले नरीमन मानते थे कि असहमति के अधिकार पर समझौता नहीं किया जा सकता और प्रभावी लोकतंत्र के लिए यह आवश्यक है।2012 में, उनकी आत्मकथा, बिफोर मेमोरी फ़ेड्स, प्रकाशित हुई थी। देश ने उन्हें 1991 में पद्म भूषण और 2007 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था । वह 1999 से 2005 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी रहे थे। 

पीएम मोदी समेत कई हस्तियों ने जताया शोक 

उनके निधन पर अपनी शोक संवेदनाएं जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि फली नरीमन जी सबसे उत्कृष्ट कानूनी दिमाग और बुद्धिजीवियों में से थे। उन्होंने अपना जीवन आम नागरिकों के लिए न्याय सुलभ कराने के लिए समर्पित कर दिया। 

उनके निधन से मुझे दुख हुआ है। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। उसकी आत्मा को शांति मिलें। वहीं उनके निधन के बाद शोक संवेदना जाहिर करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि फली नरीमन के परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं, जिनके निधन से कानूनी समुदाय में गहरा शून्य पैदा हो गया है। 

उनके योगदान ने न केवल ऐतिहासिक मामलों को आकार दिया है, बल्कि हमारे संविधान की पवित्रता और नागरिक स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए न्यायविदों की पीढ़ियों को भी प्रेरित किया है। न्याय और निष्पक्षता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उनकी अनुपस्थिति में भी हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी।

उनके निधन पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि न केवल कानूनी बिरादरी, बल्कि राष्ट्र ने बुद्धि और बुद्धिमत्ता की एक महान हस्ती को खो दिया है। उन्होंने अपने अपार योगदान से हमारे न्यायशास्त्र को समृद्ध बनाया है। 

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