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क्या पुलवामा हमले पर फ़ेक न्यूज़ गढ़कर लड़ा जाएगा चुनाव?

क्या पुलवामा हमले पर फ़ेक न्यूज़ गढ़कर लड़ा जाएगा चुनाव?

पुलवामा में सीआरपीएफ़ काफ़िले पर आतंकी हमले के बाद सोशल मीडिया पर फ़ेक न्यूज़ की बाढ़-सी ला दी गयी है। यहाँ सवाल उठता है कि चुनाव से पहले यह कहीं राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश तो नहीं है?

पुलवामा में सीआरपीएफ़ काफ़िले पर आतंकी हमले के बाद सोशल मीडिया पर फ़ेक न्यूज़ की बाढ़-सी ला दी गयी है। किसी में भावनाओं को कुरेदा जा रहा है तो किसी में मुसलिमों से हिंदुओं में डर दिखाया जा रहा है। किसी फ़ेक न्यूज़ में राहुल को आतंकियों के साथ तो किसी में श्रद्धांजलि सभा में प्रियंका को हँसते हुए बताया जा रहा है। फ़ोटोशॉप कर विदेश की तसवीरों और वीडियो को डरावना बता कर एक नैरेटिव गढ़ा जा रहा है। यहाँ सवाल उठता है कि क्या फ़ेक न्यूज़ गढ़कर देशभक्त और राष्ट्रवादी बना जा सकता है यदि यह देशभक्ति नहीं है तो इसे कौन बना या बनवा रहा है या फिर इससे किसे फ़ायदा होगा चुनाव से पहले यह कहीं राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश तो नहीं है

इन सवालों का जवाब भी सोशल मीडिया पर ही मिल जाता है। फ़ेक न्यूज़ का भंडाफोड़ करने वाली ख़बरों को ट्वीट करते हुए कपिल नाम के एक ट्विटर हैंडल से लिखा गया है, 'इन ट्वीट की शृंखला को देखें कि कैसे बीजेपी सोशल मीडिया और फ़ेक न्यूज़ गढ़ने वाली टीमें पुलवामा हमले को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रही हैं।' फ़ेक न्यूज़ का भंडाफोड़ करने वाली 'बूम लाइव वेबसाइट' की ऐसी ख़बरों से भी कुछ ऐसे ही संकेत मिलते हैं। वेबसाइट ने पुलवामा हमले के बाद वीडियो, तसवीरों और टेक्स्ट मैसेज वाली कई फ़ेक न्यूज़ का भंडाफोड़ किया है। 

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शहीद की पत्नी से मोदी की बातचीत की ख़बर ग़लत

छह साल पुराने वीडियो को सोशल मीडिया पर अब शेयर किया जा रहा है। वीडियो मैसेज में बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री एक शहीद की पत्नी से बातचीत कर रहे हैं और सांत्वना दे रहे हैं। जबकि यह वीडियो छह साल पुराना है। यह वीडियो 2014 के चुनाव से पहले 2013 में पटना की एक रैली के दौरान विस्फोट में मारे गये एक व्यक्ति की पत्नी का है। मारे गये व्यक्ति सेना के जवान नहीं थे। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उन्हें शहीद कहना शुरू कर दिया था। तब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और वह मृतक की पत्नी से बात करते हैं। बूम लाइव ने इस वीडियो की पड़ताल की है। 

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फ़ेक न्यूज़ में राहुल को आतंकी के साथ दिखाया

सोशल मीडिया पर राहुल गाँधी की एक फ़ेक न्यूज़ वायरल है। इसमें फ़ोटोशॉप करके राहुल गाँधी को पुलवामा के हमलावर के साथ दिखाया गया है। इसमें राहुल को आतंकवादी का साथी बताया गया है। जिस फ़ेसबुक पेज़ पर राहुल की यह फ़ेक न्यूज़ चला, उसने 'वन्स अगेन मोदी राज' का नारा लिख रखा है और वहाँ भगवा झंडा भी लगा रखा है। ऑल्ट न्यूज़ और बूम लाइव वेबसाइट ने इसे फ़ेक साबित कर दिया है।

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प्रियंका पर भी कई फ़ेक न्यूज़ गढ़ी गयी

एक वीडियो ट्वीट किया गया, जिसमें प्रियंका गाँधी पुलवामा हमले के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हँसती हुई दिखती हैं। बूम लाइव ने पड़ताल कर इसे फ़र्ज़ी क़रार दिया है। बता दें कि प्रियंका ने अभी राजनीति में क़दम रखा है और बीजेपी के लिए इन्हें बड़ी चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है। इस फ़ेक न्यूज़ से साफ़ है कि प्रियंका के ख़िलाफ़ नफ़रत का माहौल बनाया जा रहा है। उनके ख़िलाफ़ झूठ फैला कर बेहद घटिया और बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। 

फ़ेसबुक पर नरेंद्र दामोदर मोदी नाम के पेज़ पर यह कहा गया है कि प्रियंका गाँधी ने पुलवामा हमले से पहले 7 फ़रवरी को दुबई में पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा से मुलाक़ात की थी। ट्विटर पर गौरव प्रधान नाम के हैंडल से कहा गया है कि पाकिस्तान की बोर्डर एक्शन टीम कुछ हैरतअंगेज कार्रवाई करना चाहती है और प्रियंका जब दुबई में थीं, उसी दौरान 'नोमी' यानी बाज़वा ने प्रियंका को यह जानकारी दी। लेकिन ऑल्ट न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में इसे फ़र्ज़ी पाया और कहा कि पूरी तरह से फ़ेक न्यूज़ का मामला है।

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क्या आतंकी हमला टाला गया

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहा है। वॉट्सऐप पर वायरल वीडियो के साथ में मैसेज लिखा गया है कि एक शॉपिंग मॉल में आतंकी साज़िश का पर्दाफाश किया गया। इसी वीडियो को फ़ेसबुक पर भी शेयर करते हुए लिखा गया है कि इसलामिक ज़िहादी आतंकी को 14 फ़रवरी को रंगे हाथों ग़िरफ़्तार किया गया है। जबकि सच्चाई यह है कि यह वीडियो मुंबई में एक मॉकड्रिल का है। इसमें सुरक्षा से जुड़ी अलग-अलग टीमों ने मॉकड्रिल की है। इस फ़ेक न्यूज़ का मक़सद साफ़ तौर पर आतंकवाद से लड़ने में सरकार की तत्परता को दिखाना था।

पुरानी मुठभेड़ को बताया पुलवामा हमले का बदला

साल 2018 के एक वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है जिसमें लिखा है कि पुलवामा हमले का सेना ने बदला ले लिया है। इसमें यह भी लिखा है कि 'मिशन की शुरुआत हो गई तीन शुअरों को मार गिराया गया।' यह फ़ेक न्यूज़ है। यह वीडियो साल 2018 का है, जबकि सरकार की सफलता बताने के लिए इसे पुलवामा हमले के बाद का बताकर गुमराह किया जा रहा है। बूम लाइव ने 2018 के वीडियो की पुष्टि के लिए टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ख़बर का लिंक भी दिया है।

फ़ेक न्यूज़ की ज़रूरत क्यों पड़ी

पुलवामा में आतंकी हमले का असर हर देशवासियों पर हुआ। लोगों में आक्रोश दिखा। ज़ाहिर सी बात है कि यह ग़स्सा ख़ुद को सबसे बड़ी राष्ट्रवादी पार्टी कहने वाली बीजेपी सरकार पर दिख रहा है। हर तरफ़ से सरकार पर इसके लिए दबाव बनने लगा। सोशल मीडिया पर भी आतंकी कार्रवाई रोक पाने में नाकाम रहने का बीजेपी की सरकार पर आरोप लगाए जाने लगे। इसी बीच सोशल मीडिया पर ऐसी फ़ेक न्यूज़ की बाढ़ सी ला दी गयी। इनमें से अधिकतर फ़ेक न्यूज़ बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाती दिखीं। 'राष्ट्रवादी' विचार से हमदर्दी रखने वाले सोशल मीडिया के लोगों ने ऐसे फ़ेक न्यूज़ को फैलाना शुरू कर दिया। 

ज़ाहिर है कि इसे चुनाव से पहले नकारात्मक असर को कम करने के प्रयास के तौर पर प्रचार के रूप में देखा गया। 

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