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बीजेपी नेताओं के नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट को क्यों नहीं हटाया फ़ेसबुक ने?

बीजेपी नेताओं के नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट को क्यों नहीं हटाया फ़ेसबुक ने?

फ़ेसबुक ने बीजीपे नेताओं के नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट को नहीं हटाया, न ही ऐसे लोगों को प्रतिबंधित किया। क्या है कारण?

फ़ेसबुक जैसी प्रतिष्ठित और अंतरराष्ट्रीय कंपनियाँ भी नरेंद्र मोदी सरकार से बिगाड़ के डर से अपने ही दिशा- निर्देशों का उल्लंघन करती हैं और नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट को नहीं हटाती हैं।

मशहूर अमेरिकी पत्रिका 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने एक ख़बर में दावा किया है कि फ़ेसबुक ने भारत के सत्तारूढ़ दल बीजेपी से जुड़े लोगों के नफ़रत फ़ैलाने वाले पोस्ट को नहीं हटाया। ऐसे कम से कम तीन मामले सामने आए हैं।

नफ़रत भरे बोल

ख़बर के अनुसार, तेलंगाना के एक मात्र बीजेपी विधायक टी राजा सिंह ने फ़ेसबुक पोस्ट में कहा कि 'रोहिंग्या शरणार्थियों को गोली मार दी जानी चाहिए।' उन्होंने मुसलमानों को 'विश्वासघाती' क़रार दिया और धमकी दी कि वह 'मसजिदों को ढहा देंगे।'

फ़ेसबुक कंपनी में नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट पर नज़र रखने वाले लोगों ने इस पोस्ट को पकड़ लिया, अधिकारियों को इसके बारे में बताया और कहा कि इस तरह के पोस्ट को हटा दिया जाना जाहिए। इस पोस्ट को हटाने के लिए सिंह को 'ख़तरनाक व्यक्ति' घोषित करना पड़ता।

क्या किया फ़ेसबुक ने?

वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, भारत में फ़ेसबुक का कामकाज देखने वाली और भारत सरकार से संपर्क बनाए रखने वाली अधिकारी अंखी दास ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि इससे भारत में कंपनी के कामकाज पर बुरा असर पड़ेगा।

फ़ेसबुक के प्रवक्ता एंडी स्टोन ने वॉल स्ट्रीट जर्नल से कहा कि 'अंखी दास ने तर्क दिया था कि टी राजा सिंह को ख़तरनाक व्यक्ति के रूप में चिन्हित करने का राजनीतिक असर पड़ेगा और कंपनी को देश में कामकाज करने में दिक्क़त होगी।'

स्टोन ने यह भी कहा कि इसके पहले भारत के सत्तारूढ़ दल के दो लोगों के पोस्ट फ़ेसबुक ने हटा दिए थे तो उन लोगों ने इसका कारण पूछते हुए जवाब माँगा था।

राहुल का हमला

कांग्रेस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि बीजेपी और आरएसएस ने भारत में फ़ेसबुक और वॉट्सऐप पर नियंत्रण कर रखा है।

बीजेपी का पलटवार

यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के बड़े नेता रवि शंकर प्रसाद ने राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि जो लोग खुद हारे हुए हैं और जिनकी बात उनकी ही पार्टी में लोग नहीं सुनते, उन्हें शिकायत है कि बीजेपी और आरएसएस पूरी दुनिया को नियंत्रित करते हैं। 

कोरोना जिहाद!

फ़ेसबुक पर नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट इसके पहले भी होते रहे हैं। बीजेपी के कई लोगों ने इस तरह के पोस्ट किए हैं। कर्नाटक से बीजेपी के नेता अनंत कुमार हेगड़े ने एक फ़ेसबुक पोस्ट में कहा था कि मुसलमान 'कोरोना जिहाद' चला रहे हैं और जानबूझ कर कोरोना रोग फैला रहे हैं। इसी तरह कुछ लोगों ने फ़ेसबुक पोस्ट कर तबलीग़ी जमात को कोरोना फैलने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया था।

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी ख़बर में यह भी कहा है कि फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों में वॉट्सग्रुप पर ग्रुप बनाया गया था और उस ग्रुप के ज़रिए हिंसा के लिए लोगों को उकसाया गया था, लोगों को भड़काया गया था। वॉट्सऐप फ़ेसबुक का ही सोशल मीडिया ऐप है।

क्या कहा था मार्क ज़करबर्ग ने?

इसी ख़बर में यह भी कहा गया है कि फ़ेसबुक के प्रमुख मार्क ज़करबर्ग ने एक टाउन हॉल बैठक में कपिल मिश्रा के वीडियो का उदाहरण देते हुए कंपनी कर्मचारियों से कहा था कि इस तरह के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

इसके पहले फ़ेसबुक ने नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट को हटाया है और ऐसे लोगों को प्रतिबंधित भी किया है। उसने अमेरिका में गोरों को श्रेष्ठ समझने वाले यानी व्हाइट सुप्रीमेसिस्ट अलेक्स जोन्स और इसलामी कट्टरपंथी लुइस फ़राख़ान पर प्रतिबंध लगा दिया था।

यह महत्वपूर्ण इसलिए है कि फ़ेसबुक प्रमुख मार्क ज़करबर्ग अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के बारे में कह चुके हैं कि राजनेता क्या करते हैं, यह लोगों को मालूम होना चाहिए, पर एक सीमा रेखा है और वे उसे लागू करेंगे।

क्यों आँखें मूंद लीं?

सवाल यह है कि फ़ेसबुक जैसी प्रतिष्ठित और बड़ी कंपनियाँ यदि इस तरह मोदी सरकार के दवाब में हैं और नफ़रत फैलाने के काम पर आँखें मूंदे हुए हैं, तो दूसरी और छोटी कंपनियों का क्या होगा। इससे यह सवाल भी उठता है कि एक तरह का अघोषित सेंसरशिप चल रहा है और सरकार आलोचना करने वाले या सत्तारूढ़ दल के लोगों के ख़िलाफ़ बोलने वालों को निशाने पर लेती है।

फ़ेसबुक और भारत में इसकी अधिकारी अंखी दास ने बीजेपी नेताओं के बारे में जो कुछ कहा है, वह साफ़ तौर पर फेवरेटिज़्म का मामला है, यानी फ़ेसबुक ने भारत के सत्तारूढ़ दल को विशेष छूट देते हुए उसके नेता की ओर आंखें मूंद लीं। पर सवाल उठता है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया? साफ़ तौर पर इसका कारण व्यावसायिक है।

भारत है सबसे बड़ा बाज़ार

भारत फ़ेसबुक का सबसे बड़ा बाज़ार है। पूरी दुनिया में भारत में सबसे अधिक 30 करोड़ लोग फ़ेसबुक का इस्तेमाल करते हैं, अमेरिका से भी ज़्यादा। फ़ेसबुक का इस्तेमाल करने वालों में भारत के बाद अमेरिका है जहां लगभग 20 करोड़ लोग इस सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म पर हैं। इसके बाद इंडोनेशिया, ब्राजील और मेक्सिको हैं।

भारत में फ़ेसबुक के अलावा उसके मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप का इस्तेमाल 40 करोड़ लोग करते हैं। फ़ेसबुक ने बीते दिनों रिलायंस जियो में बड़ा पूंजी निवेश किया है। उसकी नज़र भारत के ऑनलाइन खुदरा बाज़ार और ऑनलाइन भुगतान व्यवस्था पर है। समझा जाता है कि इसी वजह से फ़ेसबुक सरकार को नाराज़ नहीं करना चाहती है और इसलिए ही इस तरह के व्यवासायिक समझौते कर रही है जो खुद उसके मूल्यों के ख़िलाफ़ है।

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