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नोएडा के बाद गुरुग्राम, फरीदाबाद में भी मास्क अनिवार्य 

नोएडा के बाद गुरुग्राम, फरीदाबाद में भी मास्क अनिवार्य 

कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण क्या फिर से प्रतिबंधों की वापसी होगी? आख़िर फ़ेस मास्क ज़रूरी करने जैसे कोरोना प्रोटोकॉल को क्यों लागू किया जाने लगा है?

दिल्ली सहित कई शहरों में कोरोना संक्रमण के मामलों के बढ़ने के बीच ही अब क्या कोरोना प्रोटोकॉल की फिर से वापसी होगी? यूपी में नोएडा, गाजियाबाद जैसे शहरों के बद अब हरियाणा के गुरुग्राम और फरीदाबाद में भी मास्क को अनिवार्य कर दिया गया है। हरियाणा सरकार ने कोरोना मामलों में बढ़ोतरी के बाद सोमवार को गुरुग्राम, फरीदाबाद और दो अन्य ज़िलों में सार्वजनिक स्थानों पर लोगों के लिए फेस मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है।

यूपी की राजधानी लखनऊ और दिल्ली से सटे व एनसीआर में आने वाले यूपी के 6 ज़िलों में भी सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनना ज़रूरी कर दिया गया है। पीटीआई ने एक अधिकारी के हवाले से यह रिपोर्ट दी है। कोरोना की स्थिति में सुधार को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने इस महीने की शुरुआत में ही फेस मास्क पहनने में छूट दी थी। कोविड के मामलों में वृद्धि का असर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी एनसीआर के अंतर्गत आने वाले जिलों पर पड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने गौतम बौद्ध नगर, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ, बुलंदशहर, बागपत और राजधानी लखनऊ में सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया है। 

यूपी सरकार ने यह फ़ैसला तब लिया है जब पिछले 24 घंटों में गौतम बौद्ध नगर में 65, गाजियाबाद में 20 और लखनऊ में 10 नए मामलों की पुष्टि हुई है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक दिन में 517 कोरोना के मामले दर्ज किए गए हैं। दिल्ली और आसपास के शहरों गाजियाबाद और नोएडा में कई छात्रों में पिछले कुछ हफ्तों में संक्रमण पाया गया है। इससे कुछ स्कूलों को बंद करना पड़ा है।

इसके अलावा पूरे देश में सोमवार को कोरोना मामले में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। देश में एक दिन में 2,183 नए कोविड मामले आए हैं, जो रविवार के 1,150 मामलों से 89.8 प्रतिशत अधिक हैं। पिछले 24 घंटों में कुल 214 मौतें दर्ज की गई हैं। हालाँकि, इसमें केरल से 212 मौतों का आँकड़ा आया है जिसमें मौत के पिछले मामलों को भी शामिल किया गया है। 

देश में पॉजिटिविटी दर भी शनिवार के 0.31 प्रतिशत से बढ़कर 0.83 प्रतिशत हो गई है। बता दें कि अब तक कोरोना महामारी की चपेट में आने के बाद से देश में कुल 4.30 करोड़ से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।

दो दिन पहले ही एक सर्वे में दावा किया गया है कि दिल्ली-एनसीआर में अपने क़रीबी सोशल नेटवर्क में किसी को कोविड होने की सूचना देने वाले लोगों की संख्या में पिछले 15 दिनों में 500% की वृद्धि हुई है।

दिल्ली एनसीआर के क़रीब 19 प्रतिशत लोगों ने एक सर्वेक्षण में बताया है कि उनके क़रीबी सोशल नेटवर्क में एक या अधिक लोगों को पिछले 15 दिनों में कोरोना का संक्रमण हुआ है।

यह चिंता की बात इसलिए भी है कि आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं ने फ़रवरी महीने में कहा था कि देश में कोरोना की चौथी लहर अगले 4 महीने में यानी जून में आ सकती है और यह लहर 4 महीने तक रह सकती है। हालाँकि अभी जून का महीना नहीं आया है और वह वक़्त आने में अभी भी क़रीब 2 महीने का समय बाक़ी है, लेकिन दिल्ली में संक्रमण के मामले बढ़ने लगे।

केस तेज़ी से क्यों बढ़ रहे हैं?

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल का मानना ​​​​है कि भारत में कोविड -19 की चौथी लहर की संभावना कम है। अग्रवाल का गणितीय मॉडल पिछले दो वर्षों में देश में महामारी गतिविधि और व्यवहार को समझने के लिए एक संदर्भ बिंदु रहा है। उन्होंने रविवार को टीओआई से कहा, 'कोविड -19 मामलों में अब तक की वृद्धि चौथी लहर का निर्माण नहीं कर रही है।' दिल्ली और एनसीआर में यूपी के गौतमबुद्धनगर और जिलों सहित कई राज्यों में कोरोना मामलों में वृद्धि के कारण को लेकर उन्होंने कहा, 'मामलों में वर्तमान वृद्धि प्रतिबंध हटाने का परिणाम प्रतीत होती है। ऐसा लगता है कि यह जीवन के सामान्य स्थिति में लौटने का परिणाम है।' उन्होंने यह भी कहा है कि मौजूदा समय में क़रीब 90 फ़ीसदी लोगों में एंटी-बॉडी बनी हुई है। 

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