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विशेषज्ञों की राय : इस तरह कोरोना संक्रमण नहीं रुक सकता

विशेषज्ञों की राय : इस तरह कोरोना संक्रमण नहीं रुक सकता

स्वास्थ्य और महामारी से जुड़े विशेषज्ञों ने कोरोना संक्रमण की  रोकथाम के सरकार के तौर-तरीकों की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि इस स्थिति में यह संक्रमण नहीं रोका जा सकता है।

स्वास्थ्य और महामारी से जुड़े विशेषज्ञों ने कोरोना संक्रमण की  रोकथाम के सरकार के तौर-तरीकों की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि इस स्थिति में यह संक्रमण नहीं रोका जा सकता है। सरकार पर सवाल उठाने वालों में आईसीएमआर शोध समूह के दो विशेषज्ञ भी हैं।

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक ख़बर में यह कहा है। 

ऐसे नहीं  रुकेगा संक्रमण!

इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन, इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रीवेन्टिव मेडिसिन और इंडियन एसोसिएशन ऑफ़ एपीडेमियोलॉजिस्ट्स ने एक साझे बयान में सरकार की आलोचना की है। इन्होंने कहा है, 

'यह उम्मीद करना अव्यवहारिक है कि इस स्थिति में कोरोना को ख़त्म किया जा सकता है क्योंकि देश के बड़े हिस्से में सामुदायिक संक्रमण अच्छी तरह स्थापित हो चुका है।'


विशेषज्ञों के साझे बयान का अंश

बता दें कि सरकार अब तक यह दावा करती आई है कि सामुदायिक संक्रमण अब तक शुरू नहीं हुआ है। स्वास्थ्य विभाग में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल कई बार कह चुके हैं कि सामुदायिक संक्रमण शुरू नहीं हुआ है। ऑल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंज यानी एम्स के महानिदेशक ने मशहूर पत्रकार करण थापर को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि ऐसे कई इलाक़े हैं जहां सामुदायिक संक्रमण नहीं है, लेकिन ऐसे कई दूसरे इलाक़े भी हैं, जहाँ सामुदायिक संक्रमण हुआ है। 

दूसरी ओर, बीते 24 घंटे में कोरोना के 8380 नये मामले आए और 193 लोगों की मौत हुई।  देश भर में संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 1 लाख 82 हज़ार 143 हो गई। इसके साथ ही मरने वालों की संख्या बढ़कर 5164 हुई, अब तक 86 हज़ार 984 मरीज़ ठीक हुए। देश भर में फ़िलहाल 89 हज़ार 995 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं। 

सख़्त लॉकडाउन के बावजूद संक्रमण

इस साझे बयान में कहा गया है कि 25 मार्च से 30 जून तक का लॉकडाउन बहुत ही सख़्त रहा है, इसके बावजूद संक्रमण बहुत फैला है। 

इसमें यह भी कहा गया है कि यह लॉकडाउन एक मॉडलिंग के नतीजों के आधार पर लगाया गया, लेकिन वह मॉडलिंग बहुत ही बुरा था, इससे बुरा हो नहीं सकता।

इसके साथ ही इस बयान में यह भी कहा गया है कि यदि सरकार ने महामारी विशेषज्ञों से सलाह मशविरा की होती तो नतीजा बिल्कुल अलग होता, लेकिन सरकार ने उन लोगों से ही कोई संपर्क नहीं किया, जो इस क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं। 

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