+
एग्जिट पोलः 2009, 2014, 2019 में कितने सही, कितने गलत थे, जानिए

एग्जिट पोलः 2009, 2014, 2019 में कितने सही, कितने गलत थे, जानिए

भारत में एर्जिट पोल राजनीतिक दलों के पक्ष और विपक्ष में माहौल बनाने का जरिया बन गए हैं। यही वजह है कि कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में एग्जिट पोल पर शाम को होने वाली बहसों से किनारा कर लिया है। लेकिन टीवी चैनल कहां मानने वाले। ऐसे में जानिए कि 2009, 2014 और 2019 में एग्जिट पोल कितने सही या गलत साबित हुए थे। जिस देश में ईवीएम पर सवाल हों, वहां एग्जिट पोल कितने सही होंगे, आप अंदाजा लगा सकते हैं।

भारत में थका देने वाले आम चुनाव 2024 का शनिवार को मतदान के मामले में अंतिम दिन है। यह अभियान 43 दिनों तक चला। हालांकि चुनावी प्रक्रिया तो 4 जून को वोटों की गिनती और उसके बाद सरकार बनने तक जारी रहेगी। लेकिन अब सभी की नजरें एग्जिट पोल पर हैं। एग्जिट पोल शाम 6.30 पर या उसके बाद आना शुरू हो जाएंगे। इनके सही गलत, इनके इतिहास पर 2 और 3 जून को भी बहस चलेगी। हालांकि जो पार्टी एग्जिट पोल में आगे होगी, वो सरकार बनाने को लेकर बयानबाजी भी करेगी।

2014 और 2019 के एग्जिट पोल भाजपा की जीत की भविष्यवाणी में सही साबित हुए लेकिन भाजपा को मिले बहुमत का अंदाजा उन्हें भी नहीं था। 2014 के नतीजे 16 मई को और 2019 के नतीजे 23 मई को आए थे। इस बार नतीजे 4 जून को आएंगे। 

2014 का चुनाव

2014 में आठ एग्जिट पोल में कहा गया था कि भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए 283 सीटें जीतेगा। कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूपीए को 105 सीटें मिलेंगी। एग्जिट पोल 2014 में 'मोदी लहर' का अनुमान लगाने में नाकाम रहे। एनडीए को 336 सीटें मिलीं और यूपीए को महज 60 सीटें मिलीं। पार्टी के रूप में भाजपा ने 282 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीतीं थीं। इस एग्जिट पोल में न्यूज 24 चाणक्य ने एनडीए को 340 सीटें और यूपीए को 70 सीटें दी थीं। इंडिया टीवी सी वोटर ने एनडीए को 289 और यूपीए को 101 सीटें दी थीं। टाइम्स नाउ ओआरजी ने एनडीए को 249 और यूपीए को 148 सीटें दी थीं। कुल मिलाकर सभी एग्जिट पोल के सर्वे में एनडीए के खाते में 53 और यूपीए के खाते में 45 सीटों का अंतर था। यानी कोई भी एग्जिट पोल सही नहीं था। लेकिन सभी ने नतीजों के दिन दावा किया कि उनकी भविष्यवाणी सही थी।

2019 में भी एग्जिट पोल गलत साबितः 2019 यानी पिछले आम चुनाव में भी एग्जिट पोल पूरी तरह गलत साबित हुए।करीब 13 एग्जिट पोल ने एनडीए की कुल संख्या 306 और यूपीए की 120 बताई। लेकिन एनडीए ने कुल 353 सीटें जीतीं। यूपीए को 93 सीटें मिलीं। इनमें से बीजेपी को 303 और कांग्रेस को 52 सीटें मिलीं। इस एग्जिट पोल में न्यूज 24 चाणक्य ने एनडीए को 350 सीटें और यूपीए को 95 सीटें दी थीं। इंडिया टीवी सीएनएक्स ने एनडीए को 300 और यूपीए को 120 सीटें दी थीं। टाइम्स नाउ वीएमआर ने एनडीए को 306 और यूपीए को 132 सीटें दी थीं। एबीपी सीएसडीएस ने एनडीए को 277 और यूपीए को 130 सीटें दी थीं। हालांकि सीएसडीएस को काफी विश्सनीय माना जाता है। सी वोटर ने एनडीए को 287 और यूपीए को 128 सीटें दी थीं। कुल मिलाकर सभी एग्जिट पोल के सर्वे में एनडीए के खाते में 47 और यूपीए के खाते में 27 सीटों का अंतर था। यानी कोई भी एग्जिट पोल सही नहीं था। लेकिन सभी ने नतीजों के दिन दावा किया कि उनकी भविष्यवाणी सही थी।

2009 का चुनाव

इस आम चुनाव में एग्जिट पोल बुरी तरह धराशायी हो गए। 2009 में यूपीए सत्ता में दोबारा वापस की थी लेकिन किसी  एग्जिट पोल ने यूपीए की संख्या को सटीक या उसके आसपास नहीं आंका। उन्होंने यूपीए को 195 और एनडीए को 185 सीटें दीं यानी कुल दस सीटों का अंतर। लेकिन 2009 में एनडीए को 158 सीटें मिलीं और यूपीए को 262 सीटें हासिल हुईं। ​​इनमें से कांग्रेस ने 206 सीटें और भाजपा ने 116 सीटें जीतीं। यहां भी एग्जिट पोल सही नहीं थे। इस एग्जिट पोल में इंडिया टीवी सी वोटर ने एनडीए को 189 सीटें और यूपीए को 195 सीटें दी थीं। स्टार निलसन ने एनडीए को 196 और यूपीए को 199 सीटें दी थीं। हेडलाइंस टुडे यानी इंडिया टुडे ने एनडीए को 180 और यूपीए को 191 सीटें दी थीं। कुल मिलाकर सभी एग्जिट पोल के सर्वे में एनडीए के खाते में 22 और यूपीए के खाते में 54 सीटों का अंतर था। यानी कोई भी एग्जिट पोल सही नहीं था। लेकिन सभी ने नतीजों के दिन दावा किया कि उनकी भविष्यवाणी नतीजों के आसपास थी। इसी को वो अपनी बड़ी कामयाबी बता देते हैं।

2024 में क्या होगा

कुछ टीवी चैनलों ने चुनाव की तारीख घोषित होने से पहले ही भाजपा के पक्ष में माहौल बना दिया और कहा था कि भाजपा और मोदी अजेय हैं यानी उन्हें हराया नहीं जा सकता। लेकिन जब चुनाव शुरू हुए तो इंडिया गठबंधन ने एनडीए को और खासकर भाजपा को चुनौती देना शुरू किया। हालात बदलते गए। सोशल मीडिया और कथित सट्टा बाजार में .इंडिया गठबंधन के जीतने की भविष्यवाणी की जा रही है। पत्रकार से लेकर कलाकार तक अपने-अपने आकलन पेश कर रहे हैं। लेकिन अगर आप कुछ टीवी चैनलों को देखें तो वो यह मानने को तैयार नहीं हैं कि इंडिया गठबंधन कहीं लड़ाई में भी है। कोई भी चैनल विपक्ष को प्रभावी बताने का साहस नहीं कर पाया है। यही वजह है कि कांग्रेस ने टीवी चैनलों पर एग्जिट पोल पर होने वाली टीवी बहसों का बहिष्कार कर दिया है। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें