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जस्टिस रंजन गोगोई के संस्मरण पर क्यों मचा है बवाल?

जस्टिस रंजन गोगोई के संस्मरण पर क्यों मचा है बवाल?

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रजंन गोगोई के संस्मरण 'जस्टिस फॉर जज' में ऐसा क्या है कि विवाद छिड़ गया है?

अपने निजी जीवन और पेशेवर कारणों से विवादों में रह चुके पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई अपनी हलिया किताब से एक बार फिर चर्चा में हैं। उनका संस्मरण 'जस्टिस फॉर जज' चर्चा में है। जस्टिस गोगोई ने इस किताब में जो कुछ लिखा है, उस वजह से यह किताब तो चर्चा में है ही, जो नहीं लिखा है, उस वजह से भी चर्चा में है। 

याद दिला दें कि जस्टिस रंजन गोगोई ही सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे जब नवंबर 2019 में बाबरी मसजिद- राम जन्मभूमि मामले में फ़ैसला सुनाया गया था।

उसके पहले जस्टिस गोगोई उस समय विवादों आए थे जब एक महिला सहायक ने उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। 

'मुझे निशाने पर लिया'

जस्टिस गोगोई ने 'जस्टिस फॉर जज' में लिखा है कि एक 'समूह' ने उन्हें निशाने पर लिया और अनुचित तरीके से उन पर हमले किए, हालांकि उन्होंने इस समूह का नाम नहीं लिया था। 

उन्होंने कहा, "वे लोग किसी जज के कार्यकाल ख़त्म होने पर रिपोर्ट कार्ड जारी करते हैं। इस रिपोर्ट कार्ड की कीमत अदा करनी होती है।"

जस्टिस गोगोई ने इस बारे में आगे कहा है, 

यदि आप एक ख़ास किस्म के विचार से सहमत नहीं होते हैं और वैसा ही आचरण नहीं करते हैं तो आप पर यह आरोप लगेगा कि आपने समझौता कर लिया और न्यायपालिका व उसकी आज़ादी को तिलांजलि दे दी।


जस्टिस रंजन गोगोई, पूर्व मुख्य न्यायाधीश

'क्या जज हमेशा चुप रहें'

रंजन गोगोई ने यह भी कहा कि "यह समूह दिन प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है और यह न्यायपालिका के संस्थान के लिए 'असली ख़तरा' है।"

उन्होंने यह सवाल भी किया कि 'क्या जज उस समय भी चुप रहें जब उन पर गोलियाँ चलाई जा रहीं हों?'

विवादित फ़ैसलों पर टिप्पणी

जस्टिस गोगोई ने अपने संस्मरण में अपने कुछ विवादित फ़ैसलों पर भी टिप्पणी की है। उन्होंने रफ़ाल सौदे पर दिए अपने फ़ैसले की हुई आलोचना पर यह कह कर दुख जताया है कि इस फ़ैसले पर बहुत ही तेज़ हमले हुए।

याद दिला दें कि जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस के. एम. जोसेफ़ और जस्टिस एस. के. कौल की बेंच ने 36 रफ़ाल विमान सौदों में भ्रष्ट्राचार की जाँच से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया था। 

याद दिला दें कि जस्टिस जोसेफ़ ने इस फ़ैसले में एक अलग नोट भी दिया था और यह भी कहा था कि वे सीबीआई को नियम के अनुसार कार्रवाई करने से नहीं रोकेंगे। 

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अनुच्छेद 370 

इसी तरह जस्टिस गोगोई ने अनुच्छेद 370 ख़त्म किए जाने के बाद अदालत में दायर की गई याचिका और जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट कनेक्शन ब्लॉक करने के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं की भी चर्चा की है। 

सबरीमला

इसी तरह सुप्रीम कोर्ट के इस पूर्व न्यायाधीश ने सबरीमला मामले को सात जजों की बेंच को भेजने के फ़ैसले की चर्चा भी अपने संस्मरण में की है। 

एनआरसी

जस्टिस खुद असम के हैं और उन्होंने असम में एनआरसी लागू करने के फ़ैसले की चर्चा भी इस किताब में की है। 

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अयोध्या

जस्टिस रंजन गोगोई ने यह भी लिखा है कि अयोध्या मामले में फैसला सुनाने के बाद वे बेंच के दूसरे जजों को लेकर एक होटल में रात का खाना खाने गए थे। इस पर विवाद हुआ। इसे इस रूप में चित्रित किया गया कि वे जजों को लेकर खुशी मनाने एक पाँच सितारा होटल गए थे।

जस्टिस गोगोई ने 'एनडीटीवी' से बात करते हुए इससे इनकार किया था और कहा था कि वे लोग सिर्फ 'ब्रेक' लेने गए थे। 

जस्टिस गोगोई ने अपने संस्मरण में खुद पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप की भी चर्चा की है और उसे 'बड़ी साजिश का हिस्सा' बताया है। वे यह भी कहते हैं कि आरोप लगाने वाली महिला को बाद में अपने पद पर बहाल सिर्फ 'दया के आधार' पर किया गया था।

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