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अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन में 4 पूर्व सीजेआई, अन्य जज भी हुए शामिल

अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन में 4 पूर्व सीजेआई, अन्य जज भी हुए शामिल

अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में राजनेता से लेकर अभिनेता, खिलाड़ी, व्यवसायी और अन्य हस्तियाँ ही नहीं शामिल हुईं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और क़ानूनी अधिकारी भी शामिल हुए।  

अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश से लेकर, कई पूर्व जज और क़ानूनी अधिकारी भी शामिल हुए थे। अनुष्ठान कार्यक्रम में शामिल होने वालों में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर, जस्टिस वीएन खरे, जस्टिस एनवी रमना और यूयू ललित शामिल हैं।

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर उन कई पूर्व न्यायाधीशों में से थे जो सोमवार को अभिषेक समारोह के लिए अयोध्या में मौजूद थे। जस्टिस खेहर राम मंदिर को लेकर भी चर्चा में रहे थे। उन्होंने 2017 में अयोध्या विवाद में व्यक्तिगत रूप से मध्यस्थता करने की पेशकश की थी। न्यायमूर्ति खेहर ने मामले में सौहार्दपूर्ण समाधान का आह्वान करते हुए कहा था, 'यदि आप मुझे दोनों पक्षों के मध्यस्थों के बीच चाहते हैं, तो मैं तैयार हूं।'

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार राम मंदिर अनुष्ठान समारोह में सुप्रीम कोर्ट के एक दर्जन से अधिक पूर्व न्यायाधीश भी मौजूद थे। इसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा; राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक भूषण आदि शामिल थे। न्यायमूर्ति भूषण उस पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ का हिस्सा थे जिसने 2019 में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ़ किया था।

अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आदर्श गोयल भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। आदर्श गोयल 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के समय उत्तर प्रदेश सरकार के वकील थे। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल, जो अयोध्या विवाद में 2010 में उच्च न्यायालय के फ़ैसले का हिस्सा थे, भी मंदिर के उद्घाटन में शामिल हुए। 

तब 2:1 के फ़ैसले में उच्च न्यायालय ने अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम मंदिर के बीच तीन-तरफ़ा बँटवारे का आदेश दिया था। जबकि जस्टिस एसयू खान और डीवी शर्मा ने बहुमत बनाया, सिर्फ अग्रवाल ने हिंदू पक्ष के पक्ष में फैसला सुनाया था।

भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल और राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी और वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन, जो हिंदू पक्ष के लिए सुप्रीम कोर्ट में दलीलों का नेतृत्व करने वाली टीम का हिस्सा रहे, समारोह में शामिल होने वालों में से थे। 

पता चला है कि जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम, अनिल दवे, विनीत सरन और ज्ञान सुधा मिश्रा भी मौजूद थे।

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