ईडब्ल्यूएस फैसलाः स्टालिन का विरोध, कानूनी राय मांगी
ईडब्ल्यूएस यानी आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राजनीतिक दलों और विभिन्न नेताओं की प्रतिक्रियाओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। कुछ के बयान रणनीतिक हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने फैसले का विरोध करते हुए इस पर कानूनी राय लेना शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने फैसले का स्वागत करते हुए जाति जनगणना की मांग दोहरा दी है। मोदी सरकार अभी तक जाति जनगणना से किनारा कर रही है। जाति जनगणना की मांग भी रणनीतिक है।
स्टालिन ने सुप्रीम फैसले को सामाजिक न्याय की सदियों पुरानी लड़ाई के लिए झटका करार देते हुए कहा कि वह कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श करेंगे ताकि अगली कार्रवाई पर विचार किया जा सके।
स्टालिन ने तमिलनाडु के राजनीतिक दलों और समान विचारधारा वाले संगठनों को एकसाथ आने का भी आह्वान किया। स्टालिन ने कहा कि हमे उन लोगों को याद रखना होगा कि जिन्होंने सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ते हुए आरक्षण के लिए संविधान में पहला संशोधन प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी
बता दें कि तमिलनाडु में डीएमके सरकार इस मामले में एक पक्ष थी और उसने सरकारी नौकरियों में ईडब्ल्यूएस कोटा नहीं देने का निर्णय लिया था।
बहरहाल, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि ईडब्ल्यूएस 10 फीसदी आरक्षण पीएम मोदी की वजह से मिला है। हमारी पार्टी महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के लिए कोशिश कर रही है। दस फीसदी आरक्षण का लाभ महाराष्ट्र के लोगों को उठाना चाहिए। बीजेपी के महासचिव सी.टी. रवि ने कहा कि यह गरीबों के लिए मोदी मिशन की बहुत बड़ी जीत है। पार्टी के संगठन महासचिव बीएल संतोष ने कहा कि गरीबों के कल्याण के लिए पीएम मोदी के नजरिए को यह श्रेय जाता है।
कांग्रेस ने जाति जनगणना की मांग की
कांग्रेस ने सुप्रीम फैसले का स्वागत किया है। कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने याद दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए सरकार ने 2005-2006 में यह प्रक्रिया शुरू की थी, जिसके कारण 103वां संविधान संशोधन हुआ। इसके साथ ही सिंहो आयोग गठित हुआ। आयोग ने जुलाई 2010 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी। इसके बाद व्यापक विचार-विमर्श किया गया और 2014 तक विधेयक तैयार हो गया था।
STATEMENT ISSUED BY SHRI JAIRAM RAMESH, MP, GENERAL SECRETARY (COMMUNICATIONS), AICC.
— INC Sandesh (@INCSandesh) November 7, 2022
November 07, 2022 pic.twitter.com/oqmN117dgI
जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार ने उस विधेयक को लागू करने में पांच साल लगा दिए। सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना 2012 तक पूरी हो गई थी, जब मैं खुद केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री था। मोदी सरकार ने उस पर अभी तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। जाति जनगणना का कांग्रेस पार्टी समर्थन करती है और इसे शुरू करने की मांग करती है।
कांग्रेस की जाति जनगणना की मांग रणनीतिक है। बिहार में इस मुद्दे पर सीएम नीतीश कुमार और आरजेडी के तेजस्वी यादव पहल कर चुके हैं। अधिकांश विपक्षी दल जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं। जाति जनगणना से हर जाति की सामाजिक, आर्थिक तस्वीर सामने आएगी और तब आरक्षण को नए तरीके से परिभाषित किया जाए। ऐसे में सवर्ण जातियां घाटे में रहेंगी। क्योंकि देश में अनुसूचित, पिछड़ी, आदिवासी लोगों की जातियों की आबादी सबसे ज्यादा है। बीजेपी और आरएसएस ऐसे तमाम वर्गों को हिन्दू समुदाय में ही गिनते हैं। यहां तक कि सिखों को भी आरसएसए ने हिन्दू बताना शुरू किया था लेकिन अकाली दल और अन्य की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद आरएसएस ने चुप्पी साध ली।