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ईवीएमः कमिश्नर वाराणसी ने जब चूक मान ली है तो आयोग कार्रवाई से क्यों भाग रहा है 

ईवीएमः कमिश्नर वाराणसी ने जब चूक मान ली है तो आयोग कार्रवाई से क्यों भाग रहा है 

वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने स्वीकार किया है कि ईवीएम के मूवमेंट में प्रोटोकॉल टूटा था। लेकिन चुनाव आयोग ने इस बयान का न तो संज्ञान लिया और न ही कार्रवाई की। चुनाव आयोग यह साबित करने में जुटा है कि यूपी में चुनाव निष्पक्ष हुए हैं।

वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने स्वीकार किया है कि ईवीएम ले जाने के मूवमेंट में कुछ खामियां थीं। उसकी वजह से गलतफहमी पैदा हुई। यह बात उन्होंने पत्रकारों के सामने स्वीकार की। उनका यह वीडियो बयान सोशल मीडिया पर वायरल है। महत्वपूर्ण यह है कि वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल की चूक वाले बयान पर चुनाव आयोग ने चुप्पी साध ली है। अगर यह चूक है तो चुनाव आयोग इसमें एक्शन क्यों नहीं ले रहा है। चुनाव में प्रोटोकॉल का पालन न किए जाने पर चुनाव आयोग कार्रवाई करता है। वो वाराणसी की घटना का संज्ञान लेते हुए कार्रवाई कर सकता था, ताकि बाकी जगहों पर ऐसा न हो। लेकिन उसने पूरे घटनाक्रम पर खानापूरी वाला बयान देकर बाकी बातों पर चुप्पी साध ली। इस वीडियो को समाजवादी पार्टी के तमाम नेताओं ने ट्वीट किया है। इस वीडियो में कमिश्नर दीपक अग्रवाल यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि ईवीएम ले जाने के लिए जो निर्धारित प्रोटोकॉल है, उसका पालन नहीं किया गया है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वो वोट मशीनें सिर्फ ट्रेनिंग के मकसद के लिए थीं।

सपा ने कल आरोप लगाया था कि वाराणसी में ईवीएम को अवैध रूप से मतगणना से 48 घंटे पहले ले जाया जा रहा था। जिसे सपा कार्यकर्ताओं ने पकड़ लिया था। इसके बाद बरेली, भदोही, इटावा, वगैरह से भी इसी तरह की सूचनाएं आने लगीं। कमिश्नर अग्रवाल वीडियो में यह भी कहते हुए नजर आ रहे हैं कि मैं आपको गारंटी दे सकता हूं कि वोटिंग में इस्तेमाल होने वाली मशीनों को हटाना नामुमकिन है। सभी मतगणना केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे, सुरक्षा गार्ड और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि मौजूद होते हैं। कमिश्नर ने कहा, राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता नजर रखने के लिए मतगणना केंद्रों के बाहर भी बैठ सकते हैं।

सपा ने कमिश्नर के इस वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए कहा कि प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया था, यह बात खुद कमिश्नर स्वीकार कर रहे हैं। सपा ने यह वीडियो चुनाव आयोग को टैग करते हुए लिखा है कि तमाम जिलों से ईवीएम में हेराफेरी की सूचनाएं हैं। यह किसके इशारे पर हो रहा है? क्या अधिकारी मुख्यमंत्री कार्यालय के दबाव में हैं? चुनाव आयोग को स्थिति साफ करना चाहिए।

सपा प्रमुख अखिलेश ने भी कल बीजेपी पर "चोरी" करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि तीन ट्रकों में ईवीएम एक मतगणना केंद्र से बाहर ले जाई गईं थीं।

सपा प्रमुख ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने वाराणसी में ईवीएम से लदे ट्रक को रोक लिया था। उन्होंने कहा कि वाराणसी में, हमने एक ट्रक को ईवीएम के साथ पकड़ा और दो अन्य भाग गए। अगर सरकार वोट चोरी करने की कोशिश नहीं कर रही है, तो उसे कम से कम यह बताना चाहिए कि ईवीएम ले जाते समय सुरक्षा क्यों नहीं थी। अधिकारियों के पास उन जगहों पर मतगणना को धीमा करने का आदेश था जहां बीजेपी उम्मीदवार की जीत की संभावना कम है। यादव ने दावा किया कि निर्देश विशेष रूप से 47 सीटों के लिए दिए गए थे, जहां 2017 के चुनाव में बीजेपी की जीत का अंतर 5,000 मतों से कम था।

यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश के आरोपों को खारिज करते हुए कहा: मैं अखिलेश यादव से धैर्य रखने के लिए कहूंगा। ईवीएम में क्या है यह 10 मार्च को पता चलेगा जब वोटों की गिनती होगी।

बता दें कि एग्जिट पोल में यूपी में बीजेपी की बड़ी जीत की भविष्यवाणी की गई है। पिछले चुनाव (2017) में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला था और सपा दूसरे नंबर पर रही थी।

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