एलोन मस्क ने क्यों कहा- ईवीएम को खत्म कर देना चाहिए, भाजपा तिलमिलाई
टेस्ला और स्पेसएक्स के चीफ एलोन मस्क ने हैकिंग के प्रति संभावित कमजोरियों के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के इस्तेमाल के खिलाफ सलाह दी है। उनकी टिप्पणी दुनिया भर में ईवीएम की सुरक्षा पर बढ़ती बहस के बीच आई है, खासकर प्यूर्टो रिको के हालिया प्राइमरी चुनावों में अनियमितताओं के आरोपों के बाद। भारत में चुनाव ईवीएम से होते हैं और देश में ईवीएम से वोटों की धांधली जनमानस में चिन्ता का विषय बना हुआ है।
We should eliminate electronic voting machines. The risk of being hacked by humans or AI, while small, is still too high. https://t.co/PHzJsoXpLh
— Elon Musk (@elonmusk) June 15, 2024
एलोन मस्क ने इस संबंध में 15 जून की शाम को एक्स पर लिखा- "हमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को खत्म कर देना चाहिए। इंसानों या एआई द्वारा हैक किए जाने का जोखिम, हालांकि छोटा है, फिर भी बहुत अधिक है।"
अमेरिका के प्यूर्टो रिको में ईवीएम सुरक्षा पर चर्चा तेज है। वहां के प्राइमरी चुनाव में ईवीएम को लेकर कई अनियमितताएं सामने आईं। हालाँकि, एक पेपर ट्रेल ने चुनाव अधिकारियों को वोटों की संख्या की पहचान करने और सही करने की अनुमति दी।
दरअसल, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के भतीजे और 2024 के अमेरिकी चुनावों के लिए एक स्वतंत्र उम्मीदवार रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर ने ईवीएम पर टिप्पणी की थी। कैनेडी ने लिखा था, "प्यूर्टो रिको के प्राथमिक चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से संबंधित सैकड़ों मतदान अनियमितताओं का अनुभव हुआ, एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, सौभाग्य से, एक पेपर ट्रेल था इसलिए समस्या फौरन पता चल गई और वोट मिलान को ठीक किया गया। उन क्षेत्रों में क्या होता होगा, जहां कोई पेपर ट्रेल नहीं है?"
कैनेडी जूनियर ने चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप को रोकने के लिए बैलेट पेपर की वापसी की वकालत की, जिससे यह तय हो सके कि हर वोट की गिनती हो और चुनाव सुरक्षित रहें। भारत में भी इसी तरह की मांग लगातार हो रही है लेकिन भारत की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट इस जिद पर अड़ी हुई है कि इतने बड़े देश में ईवीएम ही ठीक है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल वोटर-वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) मशीनों से निकलने वाली पेपर पर्चियों के माध्यम से ईवीएम पर डाले गए वोटों के क्रॉस-सत्यापन के मुद्दे पर सुनवाई की थी। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने प्रति विधानसभा क्षेत्र में पांच रैंडम ढंग से चयनित ईवीएम को सत्यापित करने की मौजूदा प्रथा को बरकरार रखते हुए 100 प्रतिशत क्रॉस-सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दो निर्देश जारी किये। सबसे पहले, चुनाव निशानों को ईवीएम में लोड करने के बाद, लोडिंग यूनिट को उम्मीदवारों और उनके प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षरित कंटेनरों में सील और सुरक्षित किया जाना चाहिए। दूसरे, ईवीएम के साथ इन सीलबंद कंटेनरों को नतीजा घोषित होने के बाद कम से कम 45 दिनों तक स्टोररूम में रखा जाना चाहिए।
This is a huge sweeping generalization statement that implies no one can build secure digital hardware. Wrong. @elonmusk 's view may apply to US n other places - where they use regular compute platforms to build Internet connected Voting machines.
— Rajeev Chandrasekhar 🇮🇳 (@RajeevRC_X) June 16, 2024
But Indian EVMs are custom… https://t.co/GiaCqU1n7O
भाजपा तिलमिलाई
एलोन मस्क का ईवीएम पर बयान भाजपा को पसंद नहीं आया। उसने पूर्व मंत्री राजीव चंद्रशेखर के जरिए एलोन मस्क को जवाब दिया है। चंद्रशेखर ने एक्स पर लिखा है- "यह एक चलता-फिरता बयान है। इसका अर्थ यह निकल रहा है कि कोई भी सुरक्षित डिजिटल हार्डवेयर नहीं बना सकता। गलत।" उन्होंने कहा- "कोई कनेक्टिविटी नहीं, कोई ब्लूटूथ, वाईफाई, इंटरनेट नहीं; अंदर जाने का कोई रास्ता नहीं है। फ़ैक्टरी-प्रोग्राम्ड कंट्रोल जिन्हें दोबारा प्रोग्राम नहीं किया जा सकता। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को उसी तरह से डिज़ाइन और निर्मित किया जा सकता है जैसा कि भारत ने किया है। हमें एक ट्यूटोरियल चलाने में खुशी होगी, एलोन ।" यानी चंद्रशेखर ने एलोन मस्क के बयान को हल्के से उड़ा दिया और कहा कि भारत उन्हें इस मामले में ट्यूशन दे सकता है।भारत में ईवीएम जनता की चिन्ता का विषय बना हुआ है। कई राजनीतिक दलों ने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई है। तमाम एनजीओ इस मुद्दे को कोर्ट में ले गए। इन सभी की आशंका है कि ईवीएम के जरिए सत्तारूढ़ पार्टी कुछ न कुछ गड़बड़ी जरूर करती है, जिससे मतदान प्रभावित होता है। यही वजह है कि भारत में भी बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग फिर से तेज होती जा रही है।