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कोरोना संकट से जूझते यूरोपीय देश एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन लगाने को तैयार

कोरोना संकट से जूझते यूरोपीय देश एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन लगाने को तैयार

कोरोना संक्रमण के तीसरी लहर का सामना कर रहे यूरोप के अब कई प्रमुख देशों ने एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन को फिर से शुरू करने की बात कही है। इन देशों का यह फ़ैसला तब आया है जब ईएमए ने कहा है कि एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन सुरक्षित है।

कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर का सामना कर रहे यूरोप के अब कई प्रमुख देशों ने एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन को फिर से शुरू करने की बात कही है। इन देशों का यह फ़ैसला तब आया है जब यूरोपीय मेडिसीन एजेंसी यानी ईएमए ने जोर देकर कहा है कि एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित व प्रभावी है और इससे ब्लड क्लॉटिंग यानी ख़ून जमने का कोई ख़तरा नहीं है। ईएमए की यह सफ़ाई फिर से इसलिए आई क्योंकि एक के बाद एक यूरोपीय देशों ने यह कहते हुए एस्ट्राज़ेनेका पर तात्कालिक रोक लगानी शुरू कर दी थी कि इससे ख़ून जमने की शिकायतें मिल रही हैं। 

ईएमए की घोषणा के बाद जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, लिथुआनिया, लातविया, स्लोवेनिया और बुल्गारिया सहित यूरोपीय देशों के एक समूह ने कहा कि वे जल्द ही टीकाकरण फिर से शुरू करेंगे। हालाँकि, नॉर्वे और स्वीडन अभी इसके लिए तैयार नहीं हैं। 

इन देशों ने एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन को फिर से बहाल करने का फ़ैसला तब लिया है जब यूरोप में तेज़ी से कोरोना फैल रहा है। फ़्रांस ने गुरुवार को कोरोना को लेकर सख्त पाबंदियाँ लगाई हैं। फ्रांस में नवंबर के बाद अब हर रोज़ सबसे ज़्यादा संक्रमण के मामले आ रहे हैं और वहाँ पूरे देश में लॉकडाउन लगाने पर विचार किया जा रहा है। इटली में फिर से लॉकडाउन लगाया गया है। इस प्रयास में कि कोरोना की तीसरी लहर को रोका जाए। जर्मन सरकार की स्वास्थ्य से जुड़ी एजेंसी रॉबर्ट कोच संस्थान के प्रमुख ने कहा है कि जर्मनी में तीसरी लहर पहले ही शुरू हो गई है। उस तरह से जैसे पिछले साल मार्च-अप्रैल महीने में लगाया गया था। पूरे यूरोप के हालात कैसे हैं इसका अंदाज़ा इसी से लग सकता है कि अब हर रोज़ 2 लाख से ज़्यादा संक्रमण के मामले आने लगे हैं। 

एस्ट्राज़ेनेका-ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन पर यूरोपीय यूनियन के बड़े देशों- जर्मनी, इटली, फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल, स्लोवेनिया और लातविया जैसे देशों ने रोक लगा दी थी। यूरोप के कुछ अन्य देशों ने पहले ही इस वैक्सीन पर रोक लगा दी थी। इन सभी देशों को यही आशंका थी कि इस वैक्सीन से ब्लड क्लॉटिंग यानी ख़ून जमने की दिक्कतें आ रही हैं। इस फ़ैसले से कोरोना के ख़िलाफ़ दुनिया भर में चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान को बड़ा झटका लगा। 

हालाँकि विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूरोपीय मेडिसीन एजेंसी यानी ईएमए ने बार-बार एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन को सुरक्षित बताया है।

ईएमए के प्रमुख एमर कुक ने गुरुवार को कहा कि एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन की जाँच के बाद इसकी 'समिति एक स्पष्ट वैज्ञानिक निष्कर्ष पर आई है कि यह एक सुरक्षित और प्रभावी टीका है'।

 - Satya Hindi

इसने कहा है कि समिति ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि ख़ून के जमने का वैक्सीन से कुछ संबंध नहीं है। हालाँकि, इसने इससे इनकार भी नहीं किया कि कुछ दुर्लभ मामलों में ब्लड क्लॉटिंग के मामले से संबंध हो सकते हैं। 

ब्रिटेन के स्वास्थ्य नियामक ने भी यह कहा कि फाइजर वैक्सीन और ख़ून के जमने के बीच कोई संबंध नहीं थे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दोहराया कि वैक्सीन नहीं लेने से बेहतर है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ली जाए। एस्ट्राजेनेका के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एन टेलर ने कहा कि 'वैक्सीन की सुरक्षा सर्वोपरि है और हम नियामकों के फ़ैसलों का स्वागत करते हैं जो महामारी को रोकने में हमारे टीके के अत्यधिक लाभकारी होने की पुष्टि करते हैं'।

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