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ईपीएस बने AIADMK के महासचिव, बैठक से पहले हुआ बवाल

ईपीएस बने AIADMK के महासचिव, बैठक से पहले हुआ बवाल

क्या ईपीएस अब एआईएडीएमके का नेतृत्व आसानी से कर पाएंगे? या पार्टी के भीतर बवाल जारी रहेगा। 

एआईएडीएमके की जनरल काउंसिल की बैठक में सोमवार को ई.के. पलानीस्वामी को पार्टी का अंतरिम महासचिव चुना गया है। इससे पहले मद्रास हाई कोर्ट ने चेन्नई में हुई जनरल काउंसिल की बैठक पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा कि कानूनी नियमों के मुताबिक इस बैठक को किया जा सकता है। इस बैठक पर रोक लगाने की मांग ओ. पन्नीरसेलवम के गुट की थी। 

बैठक से पहले ई.के. पलानीस्वामी (ईपीएस) और ओ. पन्नीरसेलवम (ओपीएस) के गुटों में पत्थरबाजी और हाथापाई भी हुई। इसका वीडियो भी सामने आया है।

बता दें कि एआईएडीएमके पर कब्जे के लिए ईपीएस और ओपीएस के गुटों के बीच लंबे वक्त से जबरदस्त तकरार चल रही है। पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद यह तकरार और बढ़ी है। 

 - Satya Hindi

ईपीएस गुट एआईएडीएमके में एकल नेतृत्व की व्यवस्था चाहता है जबकि ओपीएस गुट वर्तमान में चल रहे दोहरे नेतृत्व के मॉडल को जारी रखना चाहता है।

एआईएडीएमके की जनरल काउंसिल में 2500 से ज्यादा सदस्य हैं और इसमें ईपीएस के समर्थकों की संख्या ज्यादा है। बैठक के हॉल के बाहर एमजी रामाचंद्रन, ईपीएस और जयललिता के पोस्टर लगे हैं। 

ओपीएस को दी थी कुर्सी 

भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद जब जयललिता को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी तो उन्होंने दो बार ओपीएस को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी दी थी। उनके निधन से पहले तीसरी बार भी ओपीएस को ही मुख्यमंत्री बनाया गया था। 

लेकिन जयललिता के निधन के बाद उनकी करीबी शशिकला ने पार्टी की कमान अपने हाथ में ले ली थी और ओपीएस की जगह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ईपीएस को बैठा दिया था। शशिकला के जेल में जाने के बाद ईपीएस और ओपीएस गुट ने हाथ मिला लिए थे और शशिकला को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। 

तब ओपीएस पार्टी में नंबर 1 बने थे और ईपीएस दूसरे नंबर पर थे जबकि सरकार में ईपीएस मुख्यमंत्री बने और ओपीएस उप मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन अप्रैल 2021 में सत्ता हाथ से निकलने के बाद दोनों गुट एक बार फिर आमने-सामने आ गए।

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